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सुब्रत राय–विजय माल्या: एक जैसे गुनाह की भरपाई के दो मॉडल

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 30 मार्च, 2016 07:16 PM
  • 30 मार्च, 2016 07:16 PM
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दोनों विजय माल्या और सुब्रत राय देश में क्रोनी कैपिटलिज्म का साक्षात चेहरा रहे है. राजनेता से लेकर बड़े से बड़े सरकारी बाबू इनकी पार्टी में चार चांद लगाते रहे हैं. फिर इन दोनों से भरपाई के अलग-अलग तरीके क्या कह रहे हैं.

विजय माल्या और सुब्रत राय. दोनों अपने समय के बादशाह – किंग ऑफ गुड टाइम्स. किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या देश के 17 सरकारी बैंकों के लगभग 9000 करोड़ रुपये डकार गए. मनी लॉंडरिंग जैसे संगीन वित्तीय अपराधों को अंजाम दिया. एयरलाइंस के सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार और बेहाल सड़क पर हैं. विजया माल्या आज देश से हजारों किलोमीटर दूर लंदन के गांव में बनी अपनी हवेली में चैन की बंसी बजा रहे हैं.

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय ने अपने तथाकथिक 3 करोड़ निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये नियमों की अनदेखी कर जुटाए. पकड़े गए, तो मामला कानूनी दांव-पेंच में पड़ा. कोर्ट को जैसे ही समझ आया कि सुब्रत राय का इरादा पैसे लौटाने का नहीं है, उन्हें सलाखों के पीछे ढ़केल दिया. बीते दो साल से सुब्रत राय दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं. अदालत ने सहारा प्रमुख की बेल के लिए 10,000 करोड़ रुपये जमा कराने की शर्त रख दी है.

सुब्रत राय और विजय माल्या

सेबी, प्रवर्तन निदेशालय, इन्कम टैक्स और वित्तीय अनियमितता से जुड़े कुछ विभागों समेत देश की अदालतों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे विजय माल्या और सुब्रत राय से पैसे निकलवाये जाएं. विजय माल्या के कर्ज ने देश के सरकारी बैंकों की पहले से पतली हालत को और खस्ता कर दिया है. सुब्रत राय की उगाही में लाखों निवेशकों का करोड़ों रुपया डूबा पड़ा है.

अब इसे सरकारी दांव-पेंच की विडंबना कहें या फिर भरपाई कराने के दो अलग-अलग मॉडल- विजय माल्या आसानी से देश से निकलकर इंग्लैंड चले जाते हैं. सुब्रत राय उतनी ही आसानी से देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल पहुंच जाते हैं.

बीते दो साल से हो रही तमाम कोशिश के बावजूद सुब्रत...

विजय माल्या और सुब्रत राय. दोनों अपने समय के बादशाह – किंग ऑफ गुड टाइम्स. किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या देश के 17 सरकारी बैंकों के लगभग 9000 करोड़ रुपये डकार गए. मनी लॉंडरिंग जैसे संगीन वित्तीय अपराधों को अंजाम दिया. एयरलाइंस के सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार और बेहाल सड़क पर हैं. विजया माल्या आज देश से हजारों किलोमीटर दूर लंदन के गांव में बनी अपनी हवेली में चैन की बंसी बजा रहे हैं.

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय ने अपने तथाकथिक 3 करोड़ निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये नियमों की अनदेखी कर जुटाए. पकड़े गए, तो मामला कानूनी दांव-पेंच में पड़ा. कोर्ट को जैसे ही समझ आया कि सुब्रत राय का इरादा पैसे लौटाने का नहीं है, उन्हें सलाखों के पीछे ढ़केल दिया. बीते दो साल से सुब्रत राय दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं. अदालत ने सहारा प्रमुख की बेल के लिए 10,000 करोड़ रुपये जमा कराने की शर्त रख दी है.

सुब्रत राय और विजय माल्या

सेबी, प्रवर्तन निदेशालय, इन्कम टैक्स और वित्तीय अनियमितता से जुड़े कुछ विभागों समेत देश की अदालतों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे विजय माल्या और सुब्रत राय से पैसे निकलवाये जाएं. विजय माल्या के कर्ज ने देश के सरकारी बैंकों की पहले से पतली हालत को और खस्ता कर दिया है. सुब्रत राय की उगाही में लाखों निवेशकों का करोड़ों रुपया डूबा पड़ा है.

अब इसे सरकारी दांव-पेंच की विडंबना कहें या फिर भरपाई कराने के दो अलग-अलग मॉडल- विजय माल्या आसानी से देश से निकलकर इंग्लैंड चले जाते हैं. सुब्रत राय उतनी ही आसानी से देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल पहुंच जाते हैं.

बीते दो साल से हो रही तमाम कोशिश के बावजूद सुब्रत राय से अभी तक एक आने की वसूली नहीं हो पाई है. वहीं विजय माल्या के वकीलों ने फिलहाल कोर्ट को अपने मुवक्किल के हवाले से बताया है कि सितंबर तक वह 4000 करोड़ रुपये की भरपाई कर देंगे. हालांकि ऐसे मामलों के जानकारों को इस बात की उम्मीद कम है कि माल्या अपने वादे पर खरे उतरेंगे.

दोनों विजय माल्या और सुब्रत राय देश में क्रोनी कैपिटलिज्म का साक्षात चेहरा रहे है. महज दो दशकों में दोनों के कारोबार में कई गुना उछाल आया. राजनेता से लेकर बड़े से बड़े सरकारी बाबू इनकी पार्टी में चार चांद लगाते रहे हैं. दुनिया में क्रिकेट की संस्थाएं सबसे बड़े भ्रष्टाचार की पोषक रही हैं और इन दोनों ने क्रिकेट में अपना-अपना जाल बिछा रखा है. फॉर्मूला वन रेसिंग इन्ही दोनों के सहारे देश में ट्रैक पर आने की कोशिश में है. विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस पर उड़ान भरी तो सुब्रत राय भी सहारा एयरलाइंस से आसमान चूमते रहे हैं. वहीं बात जब एक दूसरे की मदद हो तो यह भी किसी से छिपा नहीं है कि 2011 में सुब्रत राय ने विजय माल्या को बड़ी रकम देकर घाटे से उबारने की कोशिश की थी. दोनों के कारोबार, शौक और ऐशो-आराम में इतनी समानताओं के बाद जब दोनों के अपराध भी एक-दूसरे के कार्बन कॉपी हैं तो सवाल उठता है कि क्यों इनसे भरपाई कराने के तरीकों में इतना अंतर दिख रहा है. क्या वाकई यह भरपाई के दो अलग-अलग मॉडल ही हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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