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1 अप्रैल 2019 से बदलने वाले हैं आम लोगों से जुड़े ये नियम

    • आईचौक
    • Updated: 31 मार्च, 2019 03:41 PM
  • 31 मार्च, 2019 03:41 PM
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1 अप्रैल 2019 से नया वित्तीय वर्ष लगते ही कई पुराने नियम बदलने वाले हैं. नौकरी पेशा लोगों के लिए कुछ अहम बदलाव होने वाले हैं.

चुनावी सरगर्मी और 1 अप्रैल 2019 से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही भारत में कई नियमों का बदलाव होने वाला है. चुनावों से पहले आचार संहिता लग चुकी है और सरकार कोई नई स्कीम नहीं लॉन्च कर सकती, लेकिन जो भी पुराने फैसले लिए गए थे उनमें से कई इस बार लागू हो रहे हैं. कुछ चीज़ें सस्ती होंगी तो कई जगह महंगाई बढ़ेगी. 1 अप्रैल से भारत में बदलने वाला है ये सब-

1. आयकर नियमों से जुड़े हुए बदलाव-

सबसे पहले बात करते हैं इनकम टैक्स की. नए वित्तीय वर्ष से 5 साथ तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा. साथ ही, स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपये, बैंक में जमा पर 40 हजार का तक के ब्याज पर टैक्स फ्री, किराये पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये आदि बदलाव भी शामिल हैं.

पिछले साल का आईटीआर भरने की आखिरी तारीख भी 31 मार्च ही है जिसके बाद तय नियमों के हिसाब से जुर्माना लगेगा.

2. घर, लोन, जीवन बीमा होगा सस्ता-

घर लेना होगा सस्ता-

अपना घर लेने वालों के लिए एक खुशखबरी है. पिछली जीएसटी बैठक में किफायती दर के निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर को घटा कर एक फीसदी कर दिया था. पहले जहां अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर 12% टैक्स लगता था उसे घटाकर अब 5% कर दिया गया है और जहां 8% टैक्स अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए लगता था उसे घटाकर अब 1% कर दिया गया है. ये फैसला 1 अप्रैल 2019 से लागू किया जाएगा. दरअसल, ये 1% जीएसटी की बात फायदेमंद तो लग रही है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को होगा जो 60 स्क्वेयर मीटर या फिर 650 स्क्वेयर फिट का घर खरीदेंगे. ये मेट्रो शहरों के लिए है. अगर इससे कम के कार्पेट एरिया में बना हुआ घर है तो ही 1% जीएसटी लगेगा अगर इससे ज्यादा है तो नॉर्मल टैक्स रेट लागू होगा. यही रेट नॉन मेट्रो शहरों पर 90 स्क्वेयर मीटर यानी 950 स्क्वेयप फिट के घर पर लागू होगा. लेकिन सिर्फ यहीं नहीं इसमें भी एक शर्त है. शर्त ये कि इस कार्पेट एरिया वाले घर की कीमत 45 लाख से कम ही होनी चाहिए.

चुनावी सरगर्मी और 1 अप्रैल 2019 से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही भारत में कई नियमों का बदलाव होने वाला है. चुनावों से पहले आचार संहिता लग चुकी है और सरकार कोई नई स्कीम नहीं लॉन्च कर सकती, लेकिन जो भी पुराने फैसले लिए गए थे उनमें से कई इस बार लागू हो रहे हैं. कुछ चीज़ें सस्ती होंगी तो कई जगह महंगाई बढ़ेगी. 1 अप्रैल से भारत में बदलने वाला है ये सब-

1. आयकर नियमों से जुड़े हुए बदलाव-

सबसे पहले बात करते हैं इनकम टैक्स की. नए वित्तीय वर्ष से 5 साथ तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा. साथ ही, स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपये, बैंक में जमा पर 40 हजार का तक के ब्याज पर टैक्स फ्री, किराये पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये आदि बदलाव भी शामिल हैं.

पिछले साल का आईटीआर भरने की आखिरी तारीख भी 31 मार्च ही है जिसके बाद तय नियमों के हिसाब से जुर्माना लगेगा.

2. घर, लोन, जीवन बीमा होगा सस्ता-

घर लेना होगा सस्ता-

अपना घर लेने वालों के लिए एक खुशखबरी है. पिछली जीएसटी बैठक में किफायती दर के निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर को घटा कर एक फीसदी कर दिया था. पहले जहां अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर 12% टैक्स लगता था उसे घटाकर अब 5% कर दिया गया है और जहां 8% टैक्स अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए लगता था उसे घटाकर अब 1% कर दिया गया है. ये फैसला 1 अप्रैल 2019 से लागू किया जाएगा. दरअसल, ये 1% जीएसटी की बात फायदेमंद तो लग रही है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को होगा जो 60 स्क्वेयर मीटर या फिर 650 स्क्वेयर फिट का घर खरीदेंगे. ये मेट्रो शहरों के लिए है. अगर इससे कम के कार्पेट एरिया में बना हुआ घर है तो ही 1% जीएसटी लगेगा अगर इससे ज्यादा है तो नॉर्मल टैक्स रेट लागू होगा. यही रेट नॉन मेट्रो शहरों पर 90 स्क्वेयर मीटर यानी 950 स्क्वेयप फिट के घर पर लागू होगा. लेकिन सिर्फ यहीं नहीं इसमें भी एक शर्त है. शर्त ये कि इस कार्पेट एरिया वाले घर की कीमत 45 लाख से कम ही होनी चाहिए.

अगर आपका घर इस दायरे में आता है तो यकीनन आपके लिए बेहतरीन डील हो सकती है.

जीवन बीमा खरीदना होगा सस्ता-

1 अप्रैल से लागू होने वाले नए नियम से 22 से 50 साल के लोगों को फायदा होगा. 1 अप्रैल से कंपनियां मृत्यु दर के नए नियमों का पालन करेंगी. अभी तक बीमा कंपनियां 2006-08 के डाटा का इस्तेमाल कर रहीं थी, जो कि अब बदलकर 2012-14 का हो जाएगा. कुल मिलाकर डेथ रेट के आधार पर नई स्कीम आएंगी.

लोन लेना होगा सस्ता-

बैंक इस वित्तीय वर्ष से MCLR की जगह आरबीआई द्वारा तय किए गए रेपो रेट के आधार पर लोन देंगे. इससे सभी तरह के लोन सस्ते हो सकते हैं. अलग-अलग बैंक अपने लोन की गणना अलग नियमों के आधार पर करते हैं, लेकिन अगर जिन ग्राहकों के कर्ज माजिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) बेंचमार्क से जुड़े हैं, उनके कर्ज में कमी आएगी. हां, बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) में कोई कटौती नहीं आएगी.

3. कार, बाइक, सीएनजी, पीएनजी महंगी हो जाएगी!

वाहनों में इस्तेमाल होने वाली गैस महंगी-

1 अप्रैल से जो बड़ा बदलाव आने वाला है उसके हिसाब से कंप्रेस्ड नैचुरल गैस(CNG) और पाइप नैचुरल गैस (PNG) महंगी हो सकती है. प्राकृतिक गैस की कीमतों में 18 फीसदी तक की बढ़त की उम्‍मीद है. इससे PNG और CNG की कीमतों में बढ़त हो सकती है. इसका असर पेट्रोल और डीजल पर नहीं होगा.

गाड़ियां होंगी महंगी-

टाटा मोटर्स, जगुआर लैंड रोवर इंडिया और Toyota Kirloskar Motors ने कार की कीमतों में बढ़ातरी का ऐलान किया है. इसी के साथ, कई बाइक कंपनियां ऐसी घोषणा पहले ही कर चुकी हैं. कारों के करीब 25 हज़ार महंगे होने की गुंजाइश है. 1 अप्रैल 2019 से उन्हें हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट देना आवश्यक कर दिया गया है.

4. EPFO और रेलवे के नियमों में बदलाव-

ये खास तौर पर नौकरीपेशा कर्मचारियों के लिए है. नौकरी बदलने पर आपका पीएफ अपने आप ही ट्रांसफर हो जाएगा. पहले ईपीएफओ के सदस्यों को AN रखने के बाद भी पीएफ ट्रांसफर करने के लिए अलग से अप्लाई करना पड़ता था.

जहां तक रेलवे के नियमों में बदलाव की बात है तो 1 अप्रैल से नया PNR सिस्टम लागू होगा. अगर किसी व्यक्ति को 2 ट्रेनों में जाना है तो कनेक्टिंग ट्रेन का पीएनआर भी एक ही टिकट पर जनरेट होगा. 1 अप्रैल से कनेक्टिंग ट्रेन छूटने पर टिकट की रकम वापस हो जाएगी.

5. NPS में मिलेगा ज्यादा फायदा-

1 अप्रैल 2019 से नैशनल पेंशन स्कीम लेने वालों को भी ज्यादा फायदा होगा. नए वित्त वर्ष से इस स्कीम में खाता खुलवाने वालों को टैक्स में पूरी तरह से छूट मिलेगी. सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम को पीपीएफ की तरह EEE यानी एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट का दर्जा दिया है. पहले नेशनल पेंशन स्कीम में जमा फंड की 60 प्रतिशत रकम निकाली जा सकती थी बची हुई 40 प्रतिशत पेंशन योजना में चली जाती थी. ऐसे में 60 प्रतिशत का 40 प्रतिशत हिस्सा तो टैक्स फ्री होता था, लेकिन बाकी बची 20% रकम पर टैक्स देना होता था अब ये पूरी तरह से टैक्स फ्री हो जाएगा.

इसके अलावा, हवाई सफर महंगा हो सकता है, इसका अनुमान अभी लगाया जा रहा है. सरकार की एक समिति ने हवाई सफर करने वाले यात्रियों से पहले के मुकाबले अधिक पैसेंजर सर्विस फीस (PSF) लेने की सिफारिश की है, पर अभी इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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