• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

कॉल ड्रॉप पर मुआवजा नहीं, समाधान जरूरी

    • आदर्श तिवारी
    • Updated: 13 मई, 2016 09:54 PM
  • 13 मई, 2016 09:54 PM
offline
मुआवजे की बहस के बीच कॉल ड्राप की समस्या को खत्म करने का मुद्दा गौण हो चला हैं. उपभोक्ताओं को उनके पैसे भले मिल जाते लेकिन कॉल ड्राप की समस्या तो जस की तस बनीं रहती. इसलिए फौरी राहत पर बात करने की बजाए कॉल ड्राप की समस्या के निदान के लिए समाधान खोजना होगा.

कॉल ड्रॉप को लेकर मुआवजे की आस लगाएं उपभोक्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है. इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के उस फैसले को गैर-संवैधानिक करार दिया जिसमें ट्राई ने कॉल ड्रॉप होने पर ग्राहकों को मुआवजा देने की बात कहीं थी. कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि कॉल ड्रॉप के लिए टेलिकॉम कंपनियों द्वारा ग्राहकों को क्षतिपूर्ति करने वाला ट्राई का आदेश अनुचित और गैर-पारदर्शी हैं.

इस फैसले के बाद टेलिकॉम कंपनियों ने राहत की सांस ली है. सुनवाई के दौरान ट्राई ने दलील देते हुए कहा कि मोबाइल कंपनियों को उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है. करोड़ो उपभोक्ताओं के देश में चार-पांच कंपनियों ने कब्जा कर रखा है. कई बार ये तथ्य भी सामने आए हैं कि बड़ी कंपनियां जान-बूझ कर कॉल ड्रॉप कर देतीं हैं जिससे उनको लाखों-करोड़ो का लाभ होता हैं. इनका रोज़ाना 250 करोड़ का राजस्व है लेकिन निवेश नाम मात्र का है.

 

ट्राई ने इस मसले पर कोर्ट को ये भी बताया कि फिलहाल उपभोक्ताओं को कंपनियां कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में मुआवजा दे. अगर इससे कंपनियों को ज्यादा नुकसान होता है तो ट्राई छह माह के बाद हर्जाने की समीक्षा करेगी. ट्राई के इन सब दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला कंपनियों के हित में सुनाया. बहरहाल, ट्राई शुरू से ही कॉल ड्रॉप की बढती समस्या को लेकर चिंतित रहा है. सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर भी ट्राई टेलीकॉम कंपनियों को आड़े हाथो लेता रहा है. गौरतलब है कि कॉल ड्रॉप होने से नुकसान उपभोक्ता का होता है. टेलीकॉम कंपनिया पूरे मिनट का पैसा मनमाने ढंग से ग्राहकों से ऐंठ लेती हैं, जिससे ग्राहकों को समय के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता हैं.

कॉल ड्रॉप को लेकर मुआवजे की आस लगाएं उपभोक्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है. इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के उस फैसले को गैर-संवैधानिक करार दिया जिसमें ट्राई ने कॉल ड्रॉप होने पर ग्राहकों को मुआवजा देने की बात कहीं थी. कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि कॉल ड्रॉप के लिए टेलिकॉम कंपनियों द्वारा ग्राहकों को क्षतिपूर्ति करने वाला ट्राई का आदेश अनुचित और गैर-पारदर्शी हैं.

इस फैसले के बाद टेलिकॉम कंपनियों ने राहत की सांस ली है. सुनवाई के दौरान ट्राई ने दलील देते हुए कहा कि मोबाइल कंपनियों को उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है. करोड़ो उपभोक्ताओं के देश में चार-पांच कंपनियों ने कब्जा कर रखा है. कई बार ये तथ्य भी सामने आए हैं कि बड़ी कंपनियां जान-बूझ कर कॉल ड्रॉप कर देतीं हैं जिससे उनको लाखों-करोड़ो का लाभ होता हैं. इनका रोज़ाना 250 करोड़ का राजस्व है लेकिन निवेश नाम मात्र का है.

 

ट्राई ने इस मसले पर कोर्ट को ये भी बताया कि फिलहाल उपभोक्ताओं को कंपनियां कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में मुआवजा दे. अगर इससे कंपनियों को ज्यादा नुकसान होता है तो ट्राई छह माह के बाद हर्जाने की समीक्षा करेगी. ट्राई के इन सब दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला कंपनियों के हित में सुनाया. बहरहाल, ट्राई शुरू से ही कॉल ड्रॉप की बढती समस्या को लेकर चिंतित रहा है. सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर भी ट्राई टेलीकॉम कंपनियों को आड़े हाथो लेता रहा है. गौरतलब है कि कॉल ड्रॉप होने से नुकसान उपभोक्ता का होता है. टेलीकॉम कंपनिया पूरे मिनट का पैसा मनमाने ढंग से ग्राहकों से ऐंठ लेती हैं, जिससे ग्राहकों को समय के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता हैं.

इसी के मद्देनजर ट्राई ने कंपनियों को एक दिन में अधिकतम तीन रूपये और एक कॉल ड्रॉप होने पर एक रूपये ग्राहकों को वापस करने का फैसला सुनाया था. लेकिन कंपनियों के दलील के आगे ट्राई का यह फैसला कोर्ट के सामने धराशायी हो गया. कोर्ट के सामने कंपनियों ने भारी नुकसान का हवाला देते हुए ट्राई के आदेश को मनमाना तथा गैरकानूनी बताते हुए रद्द करने की मांग की और ये स्वीकार भी कर लिया गया.

हालांकि, इन सब के बीच कॉल ड्रॉप रोकने का मुद्दा गौण हो चला हैं. अगर हम ट्राई और कंपनियों के दलीलों का मूल्यांकन करें तो एक बात साफ जाहिर होता है कि ट्राई बदले की भावना से काम कर रहा था. ट्राई के पास सिमित अधिकार हैं लेकिन कई दफा ट्राई ने अपने अधिकार सीमाओं का उलंघन किया, जिससे उसका पक्ष कोर्ट में कमजोर हो गया. खैर, सवाल ये उठता है कि फिर ग्राहकों को कॉल ड्रॉप से मुक्ति कैसे मिले? संचार क्षेत्र में विकास तो दिनों दिन हो रहा है लेकिन सेवाओं की गुणवत्ता चरमराती जा रही हैं.

मोबाइल ग्राहकों की संख्या में पहले की अपेक्षा बहुत बढोत्तरी हुई है. लेकिन टावरों की संख्या कम होने की वजह से कॉल ड्रॉप की समस्या का जन्म हुआ. इसके अलावा तकनीकी कारण भी हैं. इसके निवारण के लिए अभी तक ट्राई ने भी कोई दीर्घकालिक उपाय नहीं सुझाए हैं. एकबारगी ये मान भी लिया जाए कि कंपनियां उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप होने पर मुआवजा देने को तैयार हो जाएं तो क्या इससे कॉल ड्राप की समस्या खत्म हो जाएगी? जाहिर है कि मुआवजा का कॉल ड्रॉप से कोई सरोकार नहीं है. उपभोक्ताओं को उसके आर्थिक नुकसान की भरपाई करा देने भर से उसकी समस्या हल नही होती.

ट्राई का यह आदेश एक प्रतीकात्मक आदेश था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. उपभोक्ताओं को उनके पैसे भले मिल जाते लेकिन कॉल ड्रॉप की समस्या जस की तस बनीं रहती. ट्राई का यह फैसला निश्चित तौर पर मनमाने ढंग से लिया गया था. अगर ट्राई कॉल ड्रॉप की समस्या के निवारण के लिए वाकई प्रतिबद्ध हैं तो उसे सभी कंपनियों को ऐसे निर्देश देने चाहिए जिसमें नेटवर्किंग का विस्तार हो. आज एक आम ग्राहक से लेकर प्रधानमंत्री तक को अमूमन बात करते समय नेटवर्क की दिक्कत आने से काल ड्रॉप की समस्या से गुजरना पड़ता है.

कोर्ट का ये फैसला भले ही कंपनियों के पक्ष में हो लेकिन टेलीकॉम कम्पनियों को ये नही भूलना चाहिए कि उनका मुख्य दायित्व ग्राहकों को अच्छी सेवा देना है. साथ ही ट्राई को भी उपभोक्ताओं को फौरी राहत देने की बजाए कॉल ड्रॉप की समस्या के निदान के लिए समाधान खोजना होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲