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निर्मला सीतारमण का लाल कपड़े में लिपटा 'स्वदेशी बजट'!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 05 जुलाई, 2019 12:30 PM
  • 05 जुलाई, 2019 11:43 AM
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2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक कई ऐसे बदलाव किए गए, जिससे अंग्रेजों के तरीके से बजट पेश करने के रास्ते को बदला गया. अब वित्त मंत्री के हाथ से ब्रीफकेस गायब होना भी उसी का हिस्सा है.

जब कभी बात बजट (Budget) की होती है तो दिमाग में एक लाल रंग का ब्रीफकेस घूमने लगता है. ये वही ब्रीफकेस होता है, जो बजट वाले दिन वित्त मंत्री के हाथों में होता है और जिसमें बजट होता है. लेकिन इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में वो ब्रीफकेस नहीं है, बल्कि उसकी जगह ले ली है लाल मखमली कपड़े में लिपटे बजट पेपर्स ने. इसे 'बही खाता' नाम दिया गया है. आजादी के बाद आज तक हमेशा बजट ब्रीफकेस में ही दिखा, लेकिन इस बार बजट को स्वदेशी बनाते हुए उसे पारंपरिक तरीके से लाया गया है. ठीक वैसे, जैसे बेहद पूज्यनीय ग्रंथों को लाया जाता है. मोदी सरकार हमेशा से ही स्वदेशी होने की बात कहती है और अब उसे ही बजट में भी लागू कर दिया गया है. ये स्वदेशी बजट (Swadeshi Budget) बेशक जनता को खूब पसंद आएगा. 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक कई ऐसे बदलाव किए गए, जिससे अंग्रेजों के तरीके से बजट पेश करने के रास्ते को बदला गया.

इस बार बजट को स्वदेशी बनाते हुए उसे पारंपरिक तरीके से लाया गया है.

भाजपा के बजट से जुड़े 4 बदलाव

1- बजट की तारीख को 28 फरवरी से बदल कर 2017 में 1 फरवरी कर दिया गया.

2- बजट पेश करने के समय को शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे किया गया. 2000 तक बजट 5 बजे पेश होता था, लेकिन 2001 में अटल बिहारी सरकार ने इस परंपरा को बदल दिया.

3- पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में इन दोनों को एक में जोड़ दिया गया.

4- अब 2019 में बजट में दिखने वाला ब्रीफकेस भी बदल गया है और उसकी जगह लाल कपड़े में लिपटे बही खाते ने ले ली है.

सोशल मीडिया पर हो रही बहस

निर्मला सीतारमण के हाथ में लाल कपड़े में लिपटा...

जब कभी बात बजट (Budget) की होती है तो दिमाग में एक लाल रंग का ब्रीफकेस घूमने लगता है. ये वही ब्रीफकेस होता है, जो बजट वाले दिन वित्त मंत्री के हाथों में होता है और जिसमें बजट होता है. लेकिन इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में वो ब्रीफकेस नहीं है, बल्कि उसकी जगह ले ली है लाल मखमली कपड़े में लिपटे बजट पेपर्स ने. इसे 'बही खाता' नाम दिया गया है. आजादी के बाद आज तक हमेशा बजट ब्रीफकेस में ही दिखा, लेकिन इस बार बजट को स्वदेशी बनाते हुए उसे पारंपरिक तरीके से लाया गया है. ठीक वैसे, जैसे बेहद पूज्यनीय ग्रंथों को लाया जाता है. मोदी सरकार हमेशा से ही स्वदेशी होने की बात कहती है और अब उसे ही बजट में भी लागू कर दिया गया है. ये स्वदेशी बजट (Swadeshi Budget) बेशक जनता को खूब पसंद आएगा. 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक कई ऐसे बदलाव किए गए, जिससे अंग्रेजों के तरीके से बजट पेश करने के रास्ते को बदला गया.

इस बार बजट को स्वदेशी बनाते हुए उसे पारंपरिक तरीके से लाया गया है.

भाजपा के बजट से जुड़े 4 बदलाव

1- बजट की तारीख को 28 फरवरी से बदल कर 2017 में 1 फरवरी कर दिया गया.

2- बजट पेश करने के समय को शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे किया गया. 2000 तक बजट 5 बजे पेश होता था, लेकिन 2001 में अटल बिहारी सरकार ने इस परंपरा को बदल दिया.

3- पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में इन दोनों को एक में जोड़ दिया गया.

4- अब 2019 में बजट में दिखने वाला ब्रीफकेस भी बदल गया है और उसकी जगह लाल कपड़े में लिपटे बही खाते ने ले ली है.

सोशल मीडिया पर हो रही बहस

निर्मला सीतारमण के हाथ में लाल कपड़े में लिपटा बजट देखकर हर कोई थोड़ा हैरान भी है. कुछ लोग इससे खुश हैं तो कुछ इस पर सवाल भी उठा रहे हैं. सोशल मीडिया पर तो इसे लेकर एक बहस सी छिड़ गई है. आइए आपको बताते हैं लोग क्या-क्या बातें कर रहे हैं.

- सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि यह भारतीय परंपरा के अनुसार है. ये दिखाता है कि हम पश्चिमी गुलामी से बाहर निकल रहे हैं. ये कोई बजट नहीं है, बल्कि बही खाता है.

- कुछ लोग कह रहे हैं कि ब्रीफकेस अब चला गया, ये अच्छा बदलाव है.

- इसी बीच रशीद किदवई ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया है कि वित्त मंत्री का ब्रीफकेस कहा हैं? वित्त मंत्रालय की एक और परंपरा खत्म हो गई? इस पर पत्रकार सुमित अवस्थी ने भी सवाल किया है कि आखिर आप ब्रीफकेस क्यों देखना चाहते हैं? बही खाते में गलत क्या है?

- पत्रकार पंकज झा ने ट्वीट किया है- 'इस बार बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्री आईं तो उनके हाथ में ब्रीफ़केस नहीं, लाल रंग की फ़ाइल थी. इससे पहले वित्त मंत्री ब्रीफ़केस लेकर आते थे. #मोदीराज में ब्रीफ़केस का ये कल्चर ख़त्म हो गया है.'

अब बारी वित्त वर्ष बदलने की

बजट से जुड़े 4 बदलाव मोदी सरकार कर चुकी है और अब बारी है वित्त वर्ष को बदलने की. अभी तक वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है, जबकि साल 1 जनवरी से 31 दिसंबर होता है. अब मोदी सरकार धीरे-धीरे वित्त वर्ष की अवधि भी बदल कर 1 जनवरी से 31 दिसंबर करेगी. वैसे भी मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल से ही इस पर विचार हो रहा है और उम्मीद है कि इस कार्यकाल में सरकार ये सख्त फैसला भी ले लेगी. वैसे भी, इतने तगड़े जनादेश वाली भाजपा के लिए ये बदलाव करने का इससे अच्छा मौका शायद हो कोई और होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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