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बैंको के इस महागठबंधन से बदल सकती हैं ये चीजें

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 02 अप्रिल, 2017 04:31 PM
  • 02 अप्रिल, 2017 04:31 PM
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देश के सबसे बड़े बैंक में अब पांच असोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक जुड़ गए हैं. इसके बाद अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दुनिया के टॉप 50 बैंक्स में से एक हो गया है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अब से थोड़ा बदल गया है. दरअसल, देश के सबसे बड़े बैंक में अब पांच असोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक जुड़ गए हैं. इसके बाद अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दुनिया के टॉप 50 बैंक्स में से एक हो गया है.

कौन-कौन से बैंक्स जुड़े?

इस मर्जर में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBP) और स्टेट बैंक ऑफ त्रावनकोर (SBT) शामिल हैं. इनके अलावा, भारतीय महिला बैंक (BMB) भी 1 अप्रैल से एक साथ जुड़ गए हैं.

SBI में क्या हुए बदलाव?

एसबीआई मर्जर के बाद अब बैंक के पास कुल 37 करोड़ कस्टमर बेस हो गया है. इसके अलावा, 24000 ब्रांच और पूरे देश में करीब 59000 एटीएम हो गए हैं.

एसबीआई के खजाने में कुल 26 लाख करोड़ रुपए और जुड़ जाएंगे. एसबीआई का टोटल बेस 41 लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा.

ये बैंकों के जुड़ने से अगर आपको लगता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता तो आप गलत हो सकते हैं. कई बार बैंकों के जुड़ने से तत्कालीन कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन बाद में पॉलिसी में बदलाव होने लगते हैं. तो एक बैंक मर्जर से उसके ग्राहकों पर कैसा-कैसा असर पड़ सकता है चलिए देखते हैं?

1. लोन और डिपॉजिट रेट...

जो छोटे बैंक्स मर्ज हुए हैं उनके लोन और डिपॉजिट रेट में पेरेंट बैंक के अनुसार बदलाव हो सकते हैं. फिलहाल तो कोई ऐसा बदलाव घोषित नहीं किया गया है, लेकिन किसी भी बैंक मर्जर में इसकी उम्मीद रहती है. अगर तत्कालीन दौर में कोई घोषणा नहीं होती है तो भी आने वाले समय में इसकी उम्मीद बढ़ जाती है.

2. कार्ड टाईअप और चार्ज....

आज के समय में कई बैंकों ने अलग-अलग रिटेलर और स्टोर्स से टाईअप करते हैं जिससे...

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अब से थोड़ा बदल गया है. दरअसल, देश के सबसे बड़े बैंक में अब पांच असोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक जुड़ गए हैं. इसके बाद अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दुनिया के टॉप 50 बैंक्स में से एक हो गया है.

कौन-कौन से बैंक्स जुड़े?

इस मर्जर में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBP) और स्टेट बैंक ऑफ त्रावनकोर (SBT) शामिल हैं. इनके अलावा, भारतीय महिला बैंक (BMB) भी 1 अप्रैल से एक साथ जुड़ गए हैं.

SBI में क्या हुए बदलाव?

एसबीआई मर्जर के बाद अब बैंक के पास कुल 37 करोड़ कस्टमर बेस हो गया है. इसके अलावा, 24000 ब्रांच और पूरे देश में करीब 59000 एटीएम हो गए हैं.

एसबीआई के खजाने में कुल 26 लाख करोड़ रुपए और जुड़ जाएंगे. एसबीआई का टोटल बेस 41 लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा.

ये बैंकों के जुड़ने से अगर आपको लगता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता तो आप गलत हो सकते हैं. कई बार बैंकों के जुड़ने से तत्कालीन कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन बाद में पॉलिसी में बदलाव होने लगते हैं. तो एक बैंक मर्जर से उसके ग्राहकों पर कैसा-कैसा असर पड़ सकता है चलिए देखते हैं?

1. लोन और डिपॉजिट रेट...

जो छोटे बैंक्स मर्ज हुए हैं उनके लोन और डिपॉजिट रेट में पेरेंट बैंक के अनुसार बदलाव हो सकते हैं. फिलहाल तो कोई ऐसा बदलाव घोषित नहीं किया गया है, लेकिन किसी भी बैंक मर्जर में इसकी उम्मीद रहती है. अगर तत्कालीन दौर में कोई घोषणा नहीं होती है तो भी आने वाले समय में इसकी उम्मीद बढ़ जाती है.

2. कार्ड टाईअप और चार्ज....

आज के समय में कई बैंकों ने अलग-अलग रिटेलर और स्टोर्स से टाईअप करते हैं जिससे यूजर्स को कैशबैक और कार्ड डिस्काउंट जैसी सुविधाएं मिलती हैं. किसी एक बैंक के मर्जर से आने वाले समय में इस डिस्काउंट और कैशबैक स्कीम में भी फर्क पड़ता है. जैसी उदाहरण के तौर पर अगर एसबीआई के क्रेडिट कार्ड से बिग बाजार में पेमेंट करने से 5% कैशबैक मिलता है तो जरूरी नहीं कि अब वही डिस्काउंट SBBJ कार्ड पर भी मिले या उस कार्ड को भी वैसे ही इस्तेमाल करने की छूट मिले.

इसके अलावा, अगर SBBJ की फीस कुछ प्रतिशत लगती है तो SBI से जुड़ने के बाद उसमें भी बदलाव हो सकता है. फिर चाहें वो क्रेडिट कार्ड फीस हो या डेबिट कार्ड सभी में बदलाव हो सकता है. ये तो सिर्फ उदाहरण था, लेकिन ऐसे बदलाव के लिए अब बाकी बैंकों के ग्राहकों को तैयार रहना चाहिए.

3. कस्टमर पॉलिसी में बदलाव...

अगर कोई बैंक मर्ज हुआ है तो इसकी उम्मीद की जा सकती है कि बैंक की कस्टमर पॉलिसी में बदलाव होगा. चाहें कोई भी पॉलिसी हो बैंक आपको आधिकारिक तौर पर सूचना देगा. इसके लिए अपने ईमेल आदि का ख्याल रखिए साथ ही ये ख्याल भी रखना होगा कि कहीं फिशिंग मेल के चक्कर में आप अपनी सूचनाएं गलत जगह ना पहुंचा दें. आम तौर पर किसी भी पॉलिसी के बदलाव के दौरान ईमेल द्वारा सिर्फ एक लेटर भेजा जाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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