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रेपो रेट क्यों घटा और क्या होगा इसका असर!

    • बिजय कुमार
    • Updated: 08 अगस्त, 2019 01:03 PM
  • 08 अगस्त, 2019 01:03 PM
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अब रेपो दर 5.40% पर पहुंच गई है जो अप्रैल 2010 (5.25) के बाद सबसे निचले स्तर पर है, जिससे कर्ज सस्ता होने का रास्ता आसान हो गया है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि अब बैंको पर अपने रेट में कमी करने का दबाव बनेगा.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी कि RBI ने रेपो रेट में कटौती की है जिससे लोन के सस्ता होने की उम्मीद है. आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गयी है. ये लगातार चौथी बार है जब इस तरह से कटौती की गयी है. अब रेपो रेट 0.35% घटकर 5.40% पर आ गया है तो वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 5.50 से घटाकर 5.15% कर दिया गया है.

बता दें कि इससे पहले रेपो रेट 5.75 प्रतिशत पर था. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद इस साल 7 फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई. उसके बाद 4 अप्रैल 2019 को और फिर 6 जून 2019 को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में भी 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक पांच अगस्त को शुरू हो गई थी. छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई.

रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है

रेपो रेट, वह ब्याज दर है जिसपर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. अब रेपो दर 5.40% पर पहुंच गई है जो अप्रैल 2010 (5.25) के बाद सबसे निचले स्तर पर है, जिससे कर्ज सस्ता होने का रास्ता आसान हो गया है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि अब बैंको पर अपने रेट में कमी करने का दबाव बनेगा. ऐसे में अगर बैंक इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचते हैं तो लोन लेना सस्ता होगा साथ ही जो होम, ऑटो या अन्य प्रकार के लोन फ्लोटिंग रेट पर लिए गए हैं, उनकी ईएमआई में भी कमी आएगी.

ऐसा माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती को गति देने के लिए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है. क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी उद्योगों की वृद्धि में रफ्तार नहीं देखने को मिल रही थी. तो वहीं रियल एस्टेट और व्हीकल इंडस्ट्री में...

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी कि RBI ने रेपो रेट में कटौती की है जिससे लोन के सस्ता होने की उम्मीद है. आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गयी है. ये लगातार चौथी बार है जब इस तरह से कटौती की गयी है. अब रेपो रेट 0.35% घटकर 5.40% पर आ गया है तो वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 5.50 से घटाकर 5.15% कर दिया गया है.

बता दें कि इससे पहले रेपो रेट 5.75 प्रतिशत पर था. दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास के रिजर्व बैंक गवर्नर का पदभार संभालने के बाद इस साल 7 फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई. उसके बाद 4 अप्रैल 2019 को और फिर 6 जून 2019 को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में भी 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक पांच अगस्त को शुरू हो गई थी. छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई.

रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है

रेपो रेट, वह ब्याज दर है जिसपर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. अब रेपो दर 5.40% पर पहुंच गई है जो अप्रैल 2010 (5.25) के बाद सबसे निचले स्तर पर है, जिससे कर्ज सस्ता होने का रास्ता आसान हो गया है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि अब बैंको पर अपने रेट में कमी करने का दबाव बनेगा. ऐसे में अगर बैंक इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचते हैं तो लोन लेना सस्ता होगा साथ ही जो होम, ऑटो या अन्य प्रकार के लोन फ्लोटिंग रेट पर लिए गए हैं, उनकी ईएमआई में भी कमी आएगी.

ऐसा माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती को गति देने के लिए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है. क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी उद्योगों की वृद्धि में रफ्तार नहीं देखने को मिल रही थी. तो वहीं रियल एस्टेट और व्हीकल इंडस्ट्री में मंदी कायाम है और प्रमुख व्हीकल कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई. यही नहीं हाल ही में जीडीपी की वैश्विक रैंकिंग में भी भारतीय अर्थव्यवस्था फिसलकर सातवें स्थान पर आ गई है.

ऐसे में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है तो वहीं रियल एस्टेट और व्हीकल इंडस्ट्री को भी गति देना जरूरी है क्योंकि सस्ते कर्ज से इन क्षेत्रों में तेजी आएगी. लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि आखिरकार बैंक लोगों के लिए रेट में कितनी कटौती करते हैं क्योंकि ऐसा देखने में आया है कि बैंक लोगों को इसका उम्मीद के हिसाब से फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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