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RBI से 1.76 लाख करोड़ रु. मोदी सरकार को मिलते ही मिस्‍ट्री बन गई

    • आईचौक
    • Updated: 28 अगस्त, 2019 12:16 AM
  • 27 अगस्त, 2019 09:36 PM
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RBI ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का सरप्लस जारी करने का फैसला किया है. लेकिन इस फैसले के बाद विपक्ष की तरफ से लगातार सवाल उठ रहे हैं. जिसपर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने विराम लगाने की कोशिश की है.

देश की अर्थव्यवस्था के क्या हाल हैं ये हर किसी को पता है. Economic slowdown चल रहा है और हर सेक्टर से लोगों की नौकरियां जाने की खबरें आ रही हैं. लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के मुकाबले बेहतर हालात में है. सरकार को देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का पूरा अंदाज़ा है और सरकार इस दिशा में प्रयासरत है.

अर्थव्यवस्था की इसी स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए या 24.8 अरब डॉलर का लाभांश या सरप्लस जारी करने का फैसला किया है. इसमें वर्ष 2018-19 के लिए लाभांश के 1,23,414 करोड़ रुपये और अतिरिक्त प्रावधानों के लिए 52,637 करोड़ रुपये शामिल हैं. ऐसा पहली बार हुआ है कि RBI ने इतनी बड़ी राशि सरप्लस के तौर पर दी हो. रिज़र्व बैंक ने कहा कि यह ट्रांसफ़र न्यू इकनॉमिक कैपिटल फ़्रेमवर्क के तहत है जिसे हाल ही में स्वीकार किया गया है.

सरकार को दिया गया ये अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस है

क्या होता है सरप्लस

आरबीआई को अलग अलग बांड में निवेश करने से आय होती है. इस आय में से एक हिस्सा आकस्मिक जरूरतों के लिए अलग कर दिया जाता है, जो सीएफ का हिस्सा बन जाता है जिसे कंटेंजेंसी फंड (CF) कहा जाता है. इस आय का जो बाकी हिस्सा बचत है वो सरप्लस होता है. यह सरप्लस आरबीआई सरकार को हस्तांतरित कर देता है. CF जितना कम निकाला जाएगा उतना ही सरप्लस ज्यादा होगा.

सरकार को दिया गया ये सरप्लस ऐतिहासिक है

आरबीआई रिजर्व के उचित स्तर पर काफी समय से विवाद चल रहा था. सरकार इस रिजर्व से एक बड़ी राशि दिए जाने की मांग कर रही थी. इस विवाद पर बिमल जालान समिति का गठन किया गया था. जालान समिति की सिफारिश पर ही आरबीआई ने सरकार को सरप्लस...

देश की अर्थव्यवस्था के क्या हाल हैं ये हर किसी को पता है. Economic slowdown चल रहा है और हर सेक्टर से लोगों की नौकरियां जाने की खबरें आ रही हैं. लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के मुकाबले बेहतर हालात में है. सरकार को देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का पूरा अंदाज़ा है और सरकार इस दिशा में प्रयासरत है.

अर्थव्यवस्था की इसी स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए या 24.8 अरब डॉलर का लाभांश या सरप्लस जारी करने का फैसला किया है. इसमें वर्ष 2018-19 के लिए लाभांश के 1,23,414 करोड़ रुपये और अतिरिक्त प्रावधानों के लिए 52,637 करोड़ रुपये शामिल हैं. ऐसा पहली बार हुआ है कि RBI ने इतनी बड़ी राशि सरप्लस के तौर पर दी हो. रिज़र्व बैंक ने कहा कि यह ट्रांसफ़र न्यू इकनॉमिक कैपिटल फ़्रेमवर्क के तहत है जिसे हाल ही में स्वीकार किया गया है.

सरकार को दिया गया ये अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस है

क्या होता है सरप्लस

आरबीआई को अलग अलग बांड में निवेश करने से आय होती है. इस आय में से एक हिस्सा आकस्मिक जरूरतों के लिए अलग कर दिया जाता है, जो सीएफ का हिस्सा बन जाता है जिसे कंटेंजेंसी फंड (CF) कहा जाता है. इस आय का जो बाकी हिस्सा बचत है वो सरप्लस होता है. यह सरप्लस आरबीआई सरकार को हस्तांतरित कर देता है. CF जितना कम निकाला जाएगा उतना ही सरप्लस ज्यादा होगा.

सरकार को दिया गया ये सरप्लस ऐतिहासिक है

आरबीआई रिजर्व के उचित स्तर पर काफी समय से विवाद चल रहा था. सरकार इस रिजर्व से एक बड़ी राशि दिए जाने की मांग कर रही थी. इस विवाद पर बिमल जालान समिति का गठन किया गया था. जालान समिति की सिफारिश पर ही आरबीआई ने सरकार को सरप्लस राशि जारी करने का फैसला किया है. पिछले कुछ सालों का सरप्लस रिकॉर्ड देखें तो पता चलता है कि अब से पहले आरबीआई ने इतनी बड़ी राशी सरप्लस के रूप में सरकार को नहीं दी थी.

वर्ष सरप्लस (रु. करोड़)
2012-13 33,010
2013-14 52,679
2014-15 65,896
2015-16 65,876
2016-17 30,659
2017-18 50,000
2018-19 1,23,414 + 52,637=1,76,051

आखिर इतनी बड़ी राशि दे पाना कैसे संभव हुआ

पिछले साल आरबीआई ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया था और भारी लाभ के साथ डॉलर को बेचा था. साथ ही उसने रिकॉर्ड स्तर पर ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) को भी अंजाम दिया था. जिससे आरबीआई को बहुत लाभ हुआ था. जालाना समिति ने भी आरबीआई के लिए इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क का सुझाव दिया. जिसके तहत आरबीआई के पास आकस्मिक जरूरतों के लिए जितना पैसा होना चाहिए उससे ज्यादा है. इसलिए आरबीआई सरप्लस के रूप में सरकार को इतनी बड़ी राशी दे पाई.

सरकार इतने पैसे का करेगी क्या ?

इतनी बड़ी रकम का उपयोग कहां होगा और ये किस तरह मददगार होगा ये सवाल हर किसे के मन में है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जब ये सवाल किया गया कि 1.76 लाख करोड़ का क्या होगा तो उन्होंने कहा कि वो इस रकम के इस्तेमाल होने के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकतीं. सरकार इसके बारे में निर्णय लेकर बाद में अवगत कराएगी.

लेकिन जैसा कि कहा जा रहा है एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत मंदी के दौर से गुजर रही है. बैंकिंग सेक्टर संकट में हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ़्ते ही कहा है कि सरकार जल्द ही 700 अरब रुपए सरकारी बैंकों में डालेंगी. जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. ये सरप्लस सरकार के लिए कितना जरूरी था वो इस बात से समझा जा सकता है कि सरकार द्वारा बीते सप्ताह सरचार्ज वापस लेने की घोषणा और अन्य आर्थिक सुधारों के साथ साथ RBI की इस घोषणा के बाद शेयर बाजार में लगातार तेजी देखी जा रही है. मंगलवार को सेंसेक्स 164 अंकों की बढ़त के साथ 37,658.48 पर खुला जबकि निफ्टी ने 48.70 अंकों की तेजी के साथ 11,106.55 से कारोबार की शुरुआत की. बाजार अच्छा होगा तो अर्थव्यवस्था संभलेगी.

विपक्ष क्यों इसे विनाशकारी फैसला बता रहा है

जब से आरबीआई ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ का सरप्लस देने के फैसला लिया है तभी से विपक्ष सरकार पर हमलावर है. राहुल गांधी का कहना है कि - ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बेखबर हैं कि खुद पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने के घाव पर चिपकाने जैसा है.’

राज्यसभा सांसद और नेता आनंद शर्मा ने भी प्रेस कान्फ्रेंस कर RBI के इस फैसले को विनाशकारी बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार देश को दिवालियेपन की तरफ धकेल रही है. यही नहीं इस पैसे को लोकर सरकार ने कुछ साफ नहीं किया है तो इसपर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. राहुल गांधी ने तो सरप्लस लेने को चोरी तक कह डाला. लेकिन इसपर निर्मला सीतारमण भी चुप नहीं रहीं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कम से कम कांग्रेस पार्टी को तो इस बारे में नहीं बोलना चाहिए. राहुल गांधी जब भी चोरी या चोर का विषय उठाते हैं तो मुझे बस एक ही चीज याद आती है कि उनके इतना चोर-चोर चिल्लाने के बाद जनता उनको सबक सीखा चुकी है.

अब सरकार इस पैसे का क्या करेगी वो तो जल्द ही पता चल ही जाएगा. लेकिन इतना तो तय है कि ये गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने का काम ही करेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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