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आखिर क्यों भारत के लिए अहम है सिंगापुर..

    • आईचौक
    • Updated: 01 जून, 2018 07:31 PM
  • 01 जून, 2018 07:31 PM
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पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय कंपनियां सिंगापुर को एक स्प्रिंग की तरह इस्तेमाल करती हैं. अगर आर्थिक लाभ के हिसाब से देखें तो क्या आप जानते हैं कि सिंगापुर भारत के लिए कितना जरूरी देश है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर की दो दिवसीय यात्रा पर हैं और इस बार भी उनके भाषण की काफी चर्चा हो रही है. सिंगापुर से समझौतों की बात करें तो इस दौरे पर करीब 14 समझौतों पर दस्तखत हुए हैं और ये सभी भारत और सिंगापुर के व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाने के लिए हैं. एक जो सबसे अहम घोषणा हुई वो ये कि भारतीय सैलानी अब RuPay, BHIM और यूपीआई आधारित remittance app का इस्तेमाल सिंगापुर में आसानी से हो पाएगा और इस दौरे के दौरान वो भी लॉन्च कर दिया गया है.

इसी के साथ, नौसेना से जुड़े समझौतों पर भी दस्तखत हुए. इसके अलावा, पब्लिक सर्विस ट्रेनिंग, साइबर सिक्योरिटी, नार्कोटिक्स कंट्रोल जैसे मुद्दों पर भी समझौते हुए. 

कुल मिलाकर आने वाले कुछ समय में सिंगापुर के साथ बहुत से व्यापार की उम्मीद की जा सकती है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय कंपनियां सिंगापुर को एक स्प्रिंग की तरह इस्तेमाल करती हैं. यकीनन ये आगे बढ़ने के लिए ही कही गई है बात. सिंगापुर वैसे भी भारत के लिए बहुत जरूरी देश है. अगर सिर्फ भारत को सिंगापुर से होने वाले फायदों की बात करें तो...

सिंगापुर दौरे के दौरान पीएम मोदी

1. सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा ODI देश है..

भारतीय कंपनियों का निवेश में होने वाले निवेश यानी Overseas Direct Investments (ODI) का सबसे बड़ा हिस्‍सा सिंगापुर जाता है. इतना ही नहीं फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी भी सिंगापुर में ही लिस्‍टेड है. पैसे का फ्लो भारत में सिंगापुर के जरिए भी होता है. पिछले साल ही सिंगापुर में भारतीय कंपनियों का निवेश 32 प्रतिशत बढ़कर 2.49 बिलियन डॉलर हुआ था.

2. FDI में भी सिंगापुर आगे..

एक समय सिंगापुर भारत की एफडीआई का सबसे बड़ा स्त्रोत था, लेकिन इस...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर की दो दिवसीय यात्रा पर हैं और इस बार भी उनके भाषण की काफी चर्चा हो रही है. सिंगापुर से समझौतों की बात करें तो इस दौरे पर करीब 14 समझौतों पर दस्तखत हुए हैं और ये सभी भारत और सिंगापुर के व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाने के लिए हैं. एक जो सबसे अहम घोषणा हुई वो ये कि भारतीय सैलानी अब RuPay, BHIM और यूपीआई आधारित remittance app का इस्तेमाल सिंगापुर में आसानी से हो पाएगा और इस दौरे के दौरान वो भी लॉन्च कर दिया गया है.

इसी के साथ, नौसेना से जुड़े समझौतों पर भी दस्तखत हुए. इसके अलावा, पब्लिक सर्विस ट्रेनिंग, साइबर सिक्योरिटी, नार्कोटिक्स कंट्रोल जैसे मुद्दों पर भी समझौते हुए. 

कुल मिलाकर आने वाले कुछ समय में सिंगापुर के साथ बहुत से व्यापार की उम्मीद की जा सकती है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय कंपनियां सिंगापुर को एक स्प्रिंग की तरह इस्तेमाल करती हैं. यकीनन ये आगे बढ़ने के लिए ही कही गई है बात. सिंगापुर वैसे भी भारत के लिए बहुत जरूरी देश है. अगर सिर्फ भारत को सिंगापुर से होने वाले फायदों की बात करें तो...

सिंगापुर दौरे के दौरान पीएम मोदी

1. सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा ODI देश है..

भारतीय कंपनियों का निवेश में होने वाले निवेश यानी Overseas Direct Investments (ODI) का सबसे बड़ा हिस्‍सा सिंगापुर जाता है. इतना ही नहीं फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी भी सिंगापुर में ही लिस्‍टेड है. पैसे का फ्लो भारत में सिंगापुर के जरिए भी होता है. पिछले साल ही सिंगापुर में भारतीय कंपनियों का निवेश 32 प्रतिशत बढ़कर 2.49 बिलियन डॉलर हुआ था.

2. FDI में भी सिंगापुर आगे..

एक समय सिंगापुर भारत की एफडीआई का सबसे बड़ा स्त्रोत था, लेकिन इस वक्त सिंगापुर की ये जगह 2016 में मॉरिशियस ने ले ली थी जिसने भारत में 15.72 बिलियन का निवेश किया था, लेकिन सिंगापुर भी पीछे नहीं था जहां से भारत में 8.71 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ था. एफडीआई में कमी टैक्स समझौते में बदलाव के कारण भी आई है. नई संधी 2017 फरवरी से लागू हुई है.

3. नौकरी और व्यापार..

सिर्फ निवेश की बात न करें तो भी सिंगापुर भारतीयों के लिए नौकरी और व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है. 2010 की सिंगापुर जनगणना के मुताबित वहां भारतीय स्थानीय निवासी 110646 थे. इसके अलावा, इंडियन सिंगापुर सिटिजन 237473 थे. कुल भारतीय जो सिंगापुर में रहते हैं वो 3 लाख 48 हज़ार 119 हैं. यानी सिंगापुर की जनसंख्या का 9.23% हिस्सा. सिंगापुर में लिटिल इंडिया नाम की एक जगह है जो सिंगापुर में भारतीयों का अहम ठिकाना मानी जाती है.

भारत और सिंगापुर के बीच 2005 में ही कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एग्रीमेंट (CECA) के तहत समझौता हुआ है जिसके कारण व्यापार, निवेश और समुद्री सुरक्षा के मामले में दोनों देश एक साथ काम करेंगे. और तब से ही सिंगापुर लगातार भारत की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा रहा है. सिंगापुर भारत का 8वां सबसे बड़ा आर्थिक निवेशक देश है और ASEAN देशों में सबसे ऊपर भी रहा है. 

कुल मिलाकर सिंगापुर भारत के आर्थिक विकास के लिए एक जरूरी पार्टनर है और इस हिसाब से मोदी के दौरे को भी इसी कड़ी में एक कदम कहा जा सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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