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नीरव तो 'निवृत्त' हो गया लेकिन PNB का 'घर' बिक गया

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 11 अगस्त, 2018 03:51 PM
  • 11 अगस्त, 2018 03:51 PM
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कई बार कर्ज इतना अधिक हो जाता है कि उसे अपना घर भी बेचना पड़ जाता है. अक्सर लोग बैंक के कर्ज से परेशान होकर ऐसा करते हैं. लेकिन जरा सोचिए, अगर किसी बैंक की हालत भी ऐसी ही हो जाए तो?

ये तो आपने कई बार देखा होगा कि कर्ज में डूबकर इंसान को अपना घर गिरवी रखना पड़ जाता है. कई बार कर्ज इतना अधिक हो जाता है कि उसे अपना घर भी बेचना पड़ जाता है. अक्सर लोग बैंक के कर्ज से परेशान होकर ऐसा करते हैं. लेकिन जरा सोचिए, अगर किसी बैंक की हालत भी ऐसी ही हो जाए तो? इन दिनों पंजाब नेशनल बैंक का हाल कुछ ऐसा ही है. नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक को ऐसी चपत लगाई है कि बैंक के सामने अपना पुराना घर बेचने की नौबत आ चुकी है.

नीरव मोदी की वजह से पीएनबी भारी मुसीबत में फंस गया है.

700-800 करोड़ जुटा लेगा बैंक !

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के 12,283 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद पंजाब नेशनल बैंक को लगातार नुकसान हो रहा है. जून तिमाही में भी बैंक को करीब 984 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. इस कर्ज से निपटने के लिए बैंक ने अपना पुराना मुख्यालय बेचने का प्लान बनाया है. आपको बता दें कि मुख्यालय दक्षिण दिल्ली में स्थित है और उम्मीद की जा रही है कि इसे बेचकर बैंक करीब 700-800 करोड़ रुपए का इंतजाम कर सकता है. इसके लिए बैंक ने आयकर विभाग और एक्साइज विभाग से बात भी कर ली है. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, मेहुल चोकसी की कंपनियों के बैंक ने 7081 करोड़ रुपए और नीरव मोदी की कंपनियों को 6498 करोड़ रुपए के एलओयू पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से जारी किए गए थे. आपको बता दें कि 2015 में पीएनबी का एनपीए 25,695 करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 55,818 करोड़ रुपए हो गए हैं.

सबका फायदा हुआ, सिवाय पीएनबी के

बात नीरव मोदी की हो या मेहुल चोकसी की हो, दोनों का फायदा हुआ. इसके अलावा, भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर इस घोटाले का हवाला देते हुए हमले किए. भाजपा का कहना था कि इसकी शुरुआत कांग्रेस के समय में 2011 में ही हो गई थी, जबकि कांग्रेस घोटालों के लिए...

ये तो आपने कई बार देखा होगा कि कर्ज में डूबकर इंसान को अपना घर गिरवी रखना पड़ जाता है. कई बार कर्ज इतना अधिक हो जाता है कि उसे अपना घर भी बेचना पड़ जाता है. अक्सर लोग बैंक के कर्ज से परेशान होकर ऐसा करते हैं. लेकिन जरा सोचिए, अगर किसी बैंक की हालत भी ऐसी ही हो जाए तो? इन दिनों पंजाब नेशनल बैंक का हाल कुछ ऐसा ही है. नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक को ऐसी चपत लगाई है कि बैंक के सामने अपना पुराना घर बेचने की नौबत आ चुकी है.

नीरव मोदी की वजह से पीएनबी भारी मुसीबत में फंस गया है.

700-800 करोड़ जुटा लेगा बैंक !

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के 12,283 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद पंजाब नेशनल बैंक को लगातार नुकसान हो रहा है. जून तिमाही में भी बैंक को करीब 984 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. इस कर्ज से निपटने के लिए बैंक ने अपना पुराना मुख्यालय बेचने का प्लान बनाया है. आपको बता दें कि मुख्यालय दक्षिण दिल्ली में स्थित है और उम्मीद की जा रही है कि इसे बेचकर बैंक करीब 700-800 करोड़ रुपए का इंतजाम कर सकता है. इसके लिए बैंक ने आयकर विभाग और एक्साइज विभाग से बात भी कर ली है. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, मेहुल चोकसी की कंपनियों के बैंक ने 7081 करोड़ रुपए और नीरव मोदी की कंपनियों को 6498 करोड़ रुपए के एलओयू पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से जारी किए गए थे. आपको बता दें कि 2015 में पीएनबी का एनपीए 25,695 करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 55,818 करोड़ रुपए हो गए हैं.

सबका फायदा हुआ, सिवाय पीएनबी के

बात नीरव मोदी की हो या मेहुल चोकसी की हो, दोनों का फायदा हुआ. इसके अलावा, भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर इस घोटाले का हवाला देते हुए हमले किए. भाजपा का कहना था कि इसकी शुरुआत कांग्रेस के समय में 2011 में ही हो गई थी, जबकि कांग्रेस घोटालों के लिए भाजपा के कार्यकाल को दोषी ठहरा रही थी. दोनों ने एक दूसरे पर आरोपों के तीर चलाए और पीएनबी घोटाले से अपना राजनीतिक फायदा साधने की पूरी कोशिश की. जिन अधिकारियों ने ये फर्जी एलओयू बनाए थे, उन्हें भी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से बख्शीश मिल ही गई होगी. यानी इस घोटाले से सबका फायदा हुआ, सिर्फ पीएनबी को नुकसान हुआ.

जिस तरह कोई शख्स अपनी मेहनत से बनाए हुए घर को बिकते हुए देखता है तो उसकी आंखे भर आती हैं, कुछ ऐसा ही पीएनबी के साथ भी हो रहा होगा. पीएनबी ने सालों की मेहनत के बाद एक मुकाम हासिल किया था, लेकिन नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे लोगों ने पीएनबी को बड़ी चपत लगा दी है. इसमें सबसे अधिक दोषी हैं वो अधिकारी, जिन्होंने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का साथ दिया. बैंक ने जिन अधिकारियों को अपना समझा, उन्हीं अधिकारियों ने बैंक की जड़ें खोद डालीं. अब तक दूसरों को कर्ज देने वाला बैंक आज खुद कर्ज में डूबा है और उसके सामने पूर्व मुख्यालय को बेचने के अलावा और कोई चारी नहीं है. क्योंकि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी तो पैसे लौटाने भारत आएंगे नहीं. केस न जाने कब तक चलेगा और फैसला पता नहीं कब आएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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