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'नकद नारायण' पर एक नया संकट आने वाला है

    • आईचौक
    • Updated: 10 मई, 2018 07:03 PM
  • 10 मई, 2018 07:03 PM
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बैंक पैसे बचाने की एक ऐसी योजना बना रहे हैं, जिससे देश भर के बैंकिंग कंज्यूमर्स को दिक्कत हो सकती है. बैंकों की योजना सीधे-सीधे एटीएम से जुड़ी है, जिसके तहत करीब 2000 एटीएम बंद भी किए जा चुके हैं.

नोटबंदी के बाद का समय कौन भूल सकता है, जब पैसों की ऐसी किल्लत हो गई थी कि एटीएम के बाहर सुबह से शाम तक लंबी लाइनें लगी रहती थीं. आज के समय में बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जो बैंक जाकर पैसा निकालते हैं. अधिकतर लोग एटीएम से ही पैसे निकालना पसंद करते हैं. लेकिन आने वाले समय में नकद नारायण पर एक संकट आने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों ने करीब 2000 एटीएम बंद कर दिए हैं. यह आंकड़े मई 2017 से लेकर फरवरी 2018 तक यानी 10 महीनों के हैं. ऐसा करने के पीछे की मुख्य वजह बताया गया बढ़ती हुई लागत को बताया जा रहा है.

फरवरी 2018 तक बैंकों के ऑनसाइट यानी बैंकों की ब्रांच में लगे एटीएम की संख्या घटकर 1,07,630 रह गई है, जो मई 2017 में 1,10,116 थी. भारतीय स्टेट बैंक के ऑफसाइट यानी जहां बैंक की ब्रांच नहीं है वहां लगे एटीएम की संख्या में मामूली बढोत्तरी की है. यह संख्या 29,917 से बढ़कर 32,680 हो गई है. वहीं दूसरी ओर अगर भारतीय स्टेट बैंक के ऑनसाइट एटीएम की बात करें तो इनकी संख्या मई 2017 में 29,150 थी, जो फरवरी 2018 तक घटकर 26,505 रह गई है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने कुल 27 ऑनसाइट एटीएम बंद किए हैं और 317 ऑफसाइट एटीएम बंद किए हैं. वहीं दूसरी ओर, कैनरा बैंक ने कुल 189 ऑनसाइट और 808 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं. बैंक ऑफ इंडिया ने भी कुल 108 ऑनसाइट एटीएम और 100 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपने 655 ऑनसाइट एटीएम और 467 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं.

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक बैंक इन एटीएम के मेंटेनेंस पर होने वाले खर्च को भी कम कर रहे हैं. एक पब्लिक सेक्टर बैंक के एग्जिक्युटिव के मुताबिक कुछ साल पहले तक एक एटीएम को लगाने में बैंक को करीब 5 लाख रुपए खर्च करने पड़ते थे, जबकि अब यह काम सिर्फ 50-60...

नोटबंदी के बाद का समय कौन भूल सकता है, जब पैसों की ऐसी किल्लत हो गई थी कि एटीएम के बाहर सुबह से शाम तक लंबी लाइनें लगी रहती थीं. आज के समय में बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जो बैंक जाकर पैसा निकालते हैं. अधिकतर लोग एटीएम से ही पैसे निकालना पसंद करते हैं. लेकिन आने वाले समय में नकद नारायण पर एक संकट आने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों ने करीब 2000 एटीएम बंद कर दिए हैं. यह आंकड़े मई 2017 से लेकर फरवरी 2018 तक यानी 10 महीनों के हैं. ऐसा करने के पीछे की मुख्य वजह बताया गया बढ़ती हुई लागत को बताया जा रहा है.

फरवरी 2018 तक बैंकों के ऑनसाइट यानी बैंकों की ब्रांच में लगे एटीएम की संख्या घटकर 1,07,630 रह गई है, जो मई 2017 में 1,10,116 थी. भारतीय स्टेट बैंक के ऑफसाइट यानी जहां बैंक की ब्रांच नहीं है वहां लगे एटीएम की संख्या में मामूली बढोत्तरी की है. यह संख्या 29,917 से बढ़कर 32,680 हो गई है. वहीं दूसरी ओर अगर भारतीय स्टेट बैंक के ऑनसाइट एटीएम की बात करें तो इनकी संख्या मई 2017 में 29,150 थी, जो फरवरी 2018 तक घटकर 26,505 रह गई है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने कुल 27 ऑनसाइट एटीएम बंद किए हैं और 317 ऑफसाइट एटीएम बंद किए हैं. वहीं दूसरी ओर, कैनरा बैंक ने कुल 189 ऑनसाइट और 808 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं. बैंक ऑफ इंडिया ने भी कुल 108 ऑनसाइट एटीएम और 100 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपने 655 ऑनसाइट एटीएम और 467 ऑफसाइट एटीएम बंद कर दिए हैं.

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक बैंक इन एटीएम के मेंटेनेंस पर होने वाले खर्च को भी कम कर रहे हैं. एक पब्लिक सेक्टर बैंक के एग्जिक्युटिव के मुताबिक कुछ साल पहले तक एक एटीएम को लगाने में बैंक को करीब 5 लाख रुपए खर्च करने पड़ते थे, जबकि अब यह काम सिर्फ 50-60 हजार रुपए में हो रहा है.

इसी तरह, शुरुआत में एक एटीएम मशीन 100 स्क्वायर फुट में लगाई जाती थी, लेकिन अब यह काम सिर्फ 30-50 स्कावायर फुट में हो रहा है.

एक बैंक एग्जिक्युटिव ने बताया कि बैंक अब एटीएम के अंदर दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर भी फिर से सोच रहे हैं, जैसे एसी और गार्ड. बैंक अब ई-सर्विलांस करने को लेकर विचार कर रहे हैं, ताकि गार्ड की लागत को कम किया जा सके. ई-सर्विलांस के साथ ऑटोमेटेड अलार्म लगा होगा, जो नजदीकी पुलिस स्टेशन से जुड़ा होगा.

इससे हर समय जो गार्ड एटीएम पर रखना पड़ता है, उसे नहीं रखना होगा. दूर-दराज के जिन इलाकों में रात को एटीएम से चोरी होने का खतरा रहता है, बैंक उन इलाकों में एटीएम रात के समय बंद रखने पर भी विचार कर रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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