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ऐसे 6 स्टार्टअप जिन्होंने भारतीय जीवन शैली को दिए नए आयाम

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    • Updated: 21 अप्रिल, 2018 05:34 PM
  • 21 अप्रिल, 2018 05:34 PM
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भारत आज पूरी दुनिया के साथ तकनीक के मार्ग पर कदम मिलाकर चल रहा है. जब एक तरफ बात विकास की हो रही है तो बताते चलें कि नए स्टार्टअप खुलने के मामले में आज देश पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है.

आज दुनिया 21 वीं शताब्दी के खुमार में तेज़ी के साथ दौड़ रही है. नित नई तकनीक से हमारा आमना -सामना हो रहा है जिसने हमारी जिंदगी को पहले से बेहतर और आरामदायक बनाने का काम किया है. जिस चीज की कभी कल्पना नहीं की थी वो आज हमारे एक इशारे पर उपलब्ध है. तकनीक ने पूरी दुनिया के बाजार को लाकर आज हमारे ड्राइंग रूम में खड़ा कर दिया है. पटना के एक गांव में बैठा आदमी आज अमेरिका के सिएटल में बैठे व्यक्ति के साथ अपना व्यापार कर सकता है, मानव रचनात्मकता का इससे बड़ा उदहारण क्या हो सकता है.

भारत भी आज पूरी दुनिया के साथ तकनीक के मार्ग पर कदम मिलाकर चल रहा है. नए स्टार्टअप खुलने के मामले में आज देश पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है. हाल ही में आई वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अगर नए प्रयोगों के दायरे को और बढ़ाता है तो देश जल्द ही एक नई 'सिलिकॉन वैली' का गवाह बनेगा. युवा जोश और तकनीक के प्रति उनकी भूख ने इतना तो तय कर दिया है कि भारत पूरी दुनिया में हो रही चौथी औधोगिक क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार है.

आज स्टार्टअप भारत को नई ऊंचाइयों की तरफ ले जा रहा है

हाल के वर्षों में देश में कुछ ऐसे स्टार्टअप्स का पदार्पण हुआ, जिसने भारतीय जीवन-शैली को पूरी तरह से बदल के रख दिया और आज हम एक सुविधाजनक जिंदगी के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके हैं. आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही स्टार्टअप्स के बारे में जिसने हमारे जीने और सोचने के तरीके को काफी हद तक बदलने का काम किया है.

पेटीएम (paytm)

कहते हैं कि, 'पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं,' ऐसा ही हुआ विजय शेखर शर्मा के साथ. कोई भी छात्र जब पहली बार अपने कॉलेज जीवन में पैर रखता है तो वहां की चकाचौंध स्वतः ही उसे आकर्षित करती है. विजय शेखर शर्मा स्वभाव से बहुत ही...

आज दुनिया 21 वीं शताब्दी के खुमार में तेज़ी के साथ दौड़ रही है. नित नई तकनीक से हमारा आमना -सामना हो रहा है जिसने हमारी जिंदगी को पहले से बेहतर और आरामदायक बनाने का काम किया है. जिस चीज की कभी कल्पना नहीं की थी वो आज हमारे एक इशारे पर उपलब्ध है. तकनीक ने पूरी दुनिया के बाजार को लाकर आज हमारे ड्राइंग रूम में खड़ा कर दिया है. पटना के एक गांव में बैठा आदमी आज अमेरिका के सिएटल में बैठे व्यक्ति के साथ अपना व्यापार कर सकता है, मानव रचनात्मकता का इससे बड़ा उदहारण क्या हो सकता है.

भारत भी आज पूरी दुनिया के साथ तकनीक के मार्ग पर कदम मिलाकर चल रहा है. नए स्टार्टअप खुलने के मामले में आज देश पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है. हाल ही में आई वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अगर नए प्रयोगों के दायरे को और बढ़ाता है तो देश जल्द ही एक नई 'सिलिकॉन वैली' का गवाह बनेगा. युवा जोश और तकनीक के प्रति उनकी भूख ने इतना तो तय कर दिया है कि भारत पूरी दुनिया में हो रही चौथी औधोगिक क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार है.

आज स्टार्टअप भारत को नई ऊंचाइयों की तरफ ले जा रहा है

हाल के वर्षों में देश में कुछ ऐसे स्टार्टअप्स का पदार्पण हुआ, जिसने भारतीय जीवन-शैली को पूरी तरह से बदल के रख दिया और आज हम एक सुविधाजनक जिंदगी के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके हैं. आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही स्टार्टअप्स के बारे में जिसने हमारे जीने और सोचने के तरीके को काफी हद तक बदलने का काम किया है.

पेटीएम (paytm)

कहते हैं कि, 'पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं,' ऐसा ही हुआ विजय शेखर शर्मा के साथ. कोई भी छात्र जब पहली बार अपने कॉलेज जीवन में पैर रखता है तो वहां की चकाचौंध स्वतः ही उसे आकर्षित करती है. विजय शेखर शर्मा स्वभाव से बहुत ही शर्मीले थे लेकिन तकनीक के प्रति जिज्ञासा ने उन्हें हमेशा नए प्रयोगों को साधने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही एक स्टार्टअप शुरू किया,'कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम.' जिसका इस्तेमाल उस दौर में इंडियन एक्सप्रेस और दूसरे मीडिया पब्लिकेशन करते थे. रचनात्मकता हमेशा से ही विजय शेखर शर्मा की पहचान रही है.

बात स्टार्टअप की चल रही है तो हम पेटीएम को नकार नहीं सकते

साल 2010 में 'दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग' से पढ़े विजय शेखर शर्मा ने इस कंपनी की नीव रखी. दूरदर्शी सोच के मालिक इस व्यक्ति ने भारत में सेवाओं के इस्तेमाल और उसकी पूरी अवधारणा को ही बदल के रख दिया. मोबाइल रिचार्ज से लेकर बिजली बिल तक, सिनेमा टिकट से लेकर विमान टिकट तक आज यह कंपनी देश की नंबर वन सेवा प्रदाता मंच बन चुकी है. कल तक जिन सेवाओं के भुगतान के लिए लोग घंटों तक कतार में खड़े रहते थे, आज कुछ ही समय में उनका भुगतान हो जाता और कंपनी की तरफ से उन्हें कुछ प्रोत्साहन राशि भी दे दी जाती है.

आज गूगल के तेज़ और फ्लिपकार्ट के 'फ़ोन पे' जैसे सर्विस प्रदाता मंच के बावजूद पेटीएम का भारत के सर्विस सेक्टर पर एकाधिकार जारी है. अलीबाबा और सॉफ्टबैंक के वितीय पोषण के कारण आज पेटीएम की कुल बाजार कीमत 65 हज़ार करोड़ को पार कर चुकी है. हाल ही में पेटीएम बैंक सेवा प्रारम्भ करने के बाद विजय शेखर शर्मा ने ऑनलाइन बैंकिंग के तरीके को बदलने की बात कही है. पेटीएम मॉल अगले 2 सालों के भीतर 6 हज़ार करोड़ की भारी- भरकम राशि खर्च करके अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी स्थापित कंपनियों से ई- कॉमर्स के क्षेत्र में भी दो -दो हाथ करने को तैयार है.

मुख्य निवेशक -  अलीबाबा, सॉफ्टबैंक और रिलायंस कैपिटल

कुल बाजार कीमत -  65000 करोड़

पेटीएम मॉल के लांच के साथ ही अब विजय शेखर फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे रिटेल के बड़े खिलाड़ियों को टक्कर देने वाले हैं. इसके लिए उन्हें 2600 करोड़ सॉफ्ट बैंक और 300 करोड़ रुपये अलीबाबा से निवेश के तौर पर मिले हैं. ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स का बाजार 30% की रफ्तार से आगे बढ़ेगा.

ओला ने कई मायनों में हमारा जीवन सुगम बना दिया है

ओला (ola)

याद कीजिये जब कभी आपको दफ्तर में ज्यादा काम होने के कारण देर हो जाती थी. आप थके - हारे अपने दफ्तर से बाहर निकलते तो रिक्शा चालक आपकी जेब के ऊपर डाका डालने के लिए तैयार बैठा होता. मनमाना भाड़ा वसूलता और आपके पास कोई चारा नहीं होता. इतनी रकम चुकाने के बाद भी आपको कोई खास सुविधा उपलब्ध नहीं थी. लोगों की इसी शिकायत को हमेशा के लिए दूर करने के मकसद से साल 2010 में देश के आईटी सिटी बेंगलुरु में आईआईटी से पढ़े दो लड़कों ने ओला कैब नामक सर्विस की शुरुआत की.

शुरूआती मुफ्त सवारी और भारी मात्रा में कैशबैक देने के कारण बहुत ही कम समय में ये कंपनी लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गई. आज ओला भारत के 104 शहरों में अपनी सेवाएं दे रही है. न्यूनतम भाड़ा और अधिकतम सेवा के सिद्धांत के साथ आज ओला की बाजार कीमत 30 हज़ार करोड़ को पार कर चुकी है.

आज लोग कहीं भी देर रात जाने में संकोच नहीं करते. कुछ घटनाओं को अगर छोड़ दिया जाये तो इसमें हमें सुरक्षा की गारंटी का एहसास भी कहीं न कही होता है. भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी के दिमाग की उपज इस सेवा ने भारत में यातायात क्रांति को हवा देने का काम किया है. ओला से आज साढ़े पांच लाख ड्राइवर जुड़े हुए हैं. ओला ने बहुत हद भारत के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को संगठित करने का काम किया है.

मुख्य निवेशक - सॉफ्टबैंक, टाइगर ग्लोबल, टेनसेंट लिमिटेड

कुल बाजार कीमत - 30 हज़ार करोड़

सेवा क्षेत्र - भारत और ऑस्ट्रेलिया

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओला जल्द ही अपनी मुख्य प्रतिद्वंदी अमरीकन कैब कंपनी उबर इंडिया का अधिग्रहण कर सकती है. लगातार दोनों कंपनियों के अधिकारीयों का मिलना इसी और इशारा करता है. इस डील के पूरा होने से ओला का भारतीय कैब मार्केट पर एकाधिकार स्थापित हो जायेगा.

फ्लिप्कार्ट पर अब हम घर बैठे कुछ भी खरीद सकते हैं

फ्लिपकार्ट (flipkart)

भारत 130 करोड़ की जनसंख्या वाला देश है. लोगों के रहन-सहन में भी अनेकों प्रकार की विविधताएं देखने को मिलती हैं. खाने-पीने से लेकर पहनने -ओढ़ने तक लोगों के जीवन स्तर में भारी अंतर है. साल 2007 में भारतीय विविधताओं का संज्ञान लेते हुए आईआईटी दिल्ली के दो साथियों ने फ्लिपकार्ट की स्थापना की और एक ऐसा मंच मुहैया कराया जहां लोग अपनी पसंद-नापसंद के हिसाब से खरीदारी कर सकें. फ्लिपकार्ट ने जबॉन्ग और मिंत्रा जैसी कंपनियों का अधिग्रहण करने के बाद आज देश के ऑनलाइन फैशन उद्योग पर अपना अधिपत्य जमा लिया है.

सॉफ्ट बैंक, टेनसेंट लिमिटेड और माइक्रोसॉफ्ट ने फ्लिपकार्ट में भारी मात्रा में निवेश किया है. फ्लिपकार्ट की कुल  बाजार कीमत आज 80 हज़ार करोड़ को पार कर चुकी है. निकट भविष्य में इसमें जबरदस्त उछाल देखा जा सकता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक भारतीयों का डिजिटल खर्च 6 लाख करोड़ को पार कर जायेगा. जिसमें अकेले ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 45% रहने का अनुमान लगाया गया है.

फ्लिपकार्ट - वालमार्ट गठजोड़ : ऐसा कहा जा रहा है कि वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच डील अपने अंतिम स्तर पर पहुंच चुकी है. फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट की 51 फीसदी हिस्सा खरीदने की योजना है. वॉलमार्ट (Walmart) में इसके लिए पहले ही शेयर होल्डर एग्रीमेंट जारी कर दिया है. कंपनी इसके लिए करीब 65 हजार करोड़ से लेकर 78 हजार करोड़ रुपए खर्च कर सकती है. इसके बाद फ्लिपकार्ट का वैल्यूएशन 1.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा. वालमार्ट अमरीका की सबसे बड़ी रिटेल चेन कंपनी है, जो कि भारतीय रिटेल मार्केट में अमेज़न के वर्चस्व को कम करना चाहती है. फ्लिपकार्ट भी वालमार्ट के सहारे अमरीका के रिटेल बाजार में अपना प्रवेश सुनिश्चित करना चाहेगा. इसमें कोई शक नहीं है कि अमेज़न के लिए आगे आने वाले दिनों में स्थितियां चुनौतीपूर्ण होने वाली हैं.

ज़ोमैटो के आने के बाद खाने पीने के शौकीन लोगों को बड़ी सहूलियत हुई है

ज़ोमैटो (zomato)

हम हिन्दुस्तानियों के बारे में एक बात बहुत ही प्रसिद्ध है कि चाहे हम किसी भी चीज़ में कटौती कर लें लेकिन खाने के मामले में कंजूसी नहीं करते हैं. खाने के शौक़ीन लोगों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2008 में दीपेंद्र गोयल ने ज़ोमैटो की कल्पना को सच किया और हमारे पिकनिक मानाने के पूरे अंदाज़ को बदल कर रख दिया. विगत वर्ष में ही ज़ोमैटो ने एक महीने के भीतर 30 लाख आर्डर प्राप्त किये. आज लगभग 23 देशों में ज़ोमैटो अपनी सेवाएं दे रहा है. 2017 में कंपनी का राजस्व 333 करोड़ को पार कर गया. गोयल के मुताबिक कंपनी जल्द ही लाभ की  स्थिति प्राप्त कर लेगी.

मुख्य निवेशक - इन्फो एज, ऐंट फाइनेंशियल, बाइडू

कुल बाजार कीमत - 10000 करोड़

सेवा क्षेत्र - भारत सहित 22 देशों में

प्रैक्टो ने डाक्टरों को एक मंच पर लाने का काम किया है

प्रैक्टो (practo) 

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 5 लाख डॉक्टरों की कमी है. देश में 1674 लोगों पर एक डॉक्टर का होना हमारे देश में स्वस्थ्य सेवाओं की स्थिति को दर्शाता है. ऐसे में हमारे देश के स्वास्थ्य सेक्टर में क्रांति लाने का काम किया. एनआईटी सूरतकल से पढ़े बेंगलुरु के शशांक ने,वर्ष 2008 में प्रैक्टो की  स्थापना की. आज प्रैक्टो से जुड़े हुए 2 लाख डॉक्टर पूरे भारत में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 10000 अस्पताल , 5000 नैदानिक केंद्र आज भारत के 35 शहरों में अपनी सेवाएं संचालित कर रहे हैं.

निवेशकों का भी रुझान प्रैक्टो को लेकर सकारात्मक है. 814 करोड़ का निवेश इसे देश का सबसे बड़ी हेल्थ स्टार्टअप बनाता है. स्टार्टअप के जानकार लोग प्रैक्टो को लम्बी रेस का घोड़ा मानते हैं.

मुख्य निवेशक - टेनसेंट होल्डिंग, मैट्रिक्स पार्टनर

कुल बाजार कीमत - 4200 करोड़

बायजु ने शिक्षा को नए आयाम पर लाकर खड़ा कर दिया है

बायजु - (byju) 

आज पूरी दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर खड़ी है. तकनीक ने हमारी दिनचर्या को बहुत हद तक बदल के रख दिया है. बिग डाटा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ऑटोमेशन के इस दौर ने हमारे पढ़ने-लिखने और सीखने की परम्परागत प्रणाली की अवधारणा को बदल कर रखा दिया है. आज हम ऐसी जगह खड़े हैं जहां किसी कंपनी का कर्मचारी या किसी कॉलेज का छात्र अपने ही डिग्री की अहमियत पर सवाल उठा रहा है. स्किल पर आधारित नौकरियों ने शिक्षा क्षेत्र को अपने कोर्स सरंचना को पुनः परिभाषित करने के लिए मजबूर कर दिया है.

इस नए दौर के ट्रेंड को पकड़ने का काम किया केरल के रवींद्रन ने. 2011 में बेंगलुरु में इन्होंने अपने सपने को साकार किया. आज बायजु के प्रमुख निवेशकों में फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग की संस्था भी है. क्लास 10 वीं से लेकर जीमैट और जीआरई तक की तैयारियां बायजु अपने प्लेटफार्म के माध्यम से करवाता है. विशेषज्ञों की पूरी टीम इस काम में लगी हुई है. बायजु की बाजार कीमत आज 4500 करोड़ के आसपास है. नव शिक्षा के स्तर को क्रांतिकारी तरीके से बदलने का श्रेय रवींद्रन को जाता है. इनके एप डाउनलोड की संख्या 1 करोड़ को पार कर चुकी है.

मुख्य निवेशक - चान ज़ुकरबर्ग इनिशिएटिव (फेसबुक ), टेनसेंट लिमिटेड, टाइम्स इंटरनेट

कुल बाजार कीमत - 4500 करोड़

कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न, इंडिया टुडे)  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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