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आखिर कैसे मेहुल चौकसी ने ले ली एंटिगुआ की नागरिकता

    • आईचौक
    • Updated: 30 जुलाई, 2018 06:46 PM
  • 30 जुलाई, 2018 06:46 PM
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आखिर कैसे इतनी आसानी से मेहुल चौकसी जैसे लोग किसी अन्य देश की नागरिकता हासिल कर लेते हैं. क्या कीमत चुकानी पड़ती है और क्या भारत सरकार इस नागरिकता को कैंसिल कर सकती है?

मेहुल चौकसी के बारे में तो आप जानते ही होंगे. नीरव मोदी के साथी और रिश्तेदार मेहुल चौकसी भारत में अब भगौड़े साबित हो चुके हैं और उन्हें वापस लाने की बात कही जा रही है. उनपर धोखाधड़ी का केस भी चल रहा है. पंजाब नेश्नल बैंक के फ्रॉड के बाद मेहुल चौकसी ने लगातार सरकार से बचने की कोशिश की हैं. और इसी कोशिश में अब वो एंटिगुआ एंड बारबुडा की नागरिकता लेने की कोशिश की है.

ये पहली बार नहीं है जब भारत के किसी भगौड़े ने ऐसे किसी अन्य कैरेबियन देश की नागरिकता लेने की कोशिश की हो. कुछ साल पहले डायमंड प्रमोटर जतिन मेहता जो सरकारी बैंक के करीब 7000 करोड़ लेकर गायब हो गए थे उन्होंने सेंट किट्स एंड नेविस (St. Kitts and Nevis) की नागरिकता ले ली थी. यहां तक की ललित मोदी ने भी सेंट लूसिया की नागरिकता लेने की कोशिश की थी, लेकिन उसके लिए बहुत देर हो गई थी.

कैरेबियन आइलैंड्स हमेशा ऐसे नागरिकों के लिए भारत के नियमों से बचने के तरीके लगते हैं. पर ऐसा क्यों? 1984 में सेंट कीट्स एंड नेविस ने पहली बार यहां का विवादित पेड सिटिजनशिप कानून निकाला था. ये तब था जब इस देश को यूनाइटेड किंगडम से आज़ादी मिली थी. बिजनेस तरक्की तब करने लगा जब यहां के पासपोर्ट होल्डरों को शेनजेन जोन में बिना किसी वीज़ा ट्रैवल करने की छूट मिलने लगी.

मेहुल चौकसी के पहले भी भारतीय लोगों ने ऐसा किया है

(Schengen zone - 26 यूरोपिय देशों का समूह जिन्हें आपस में पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती. इसमें ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, ग्रीनलैंड आदि शामिल हैं.)

इसके बाद सेंट लूसिया, डॉमिनिका, ग्रेनेडा, एंटिगुआ एंड बारबुडा जैसे देशों ने भी अपने सिटिजनशिप इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम निकाले. जो लोग अपने देश से भागना चाहते हैं अब ऐसे कैरेबियन देश उनके लिए स्वर्ग जैसे हो गए हैं. साथ ही ये देश ऐसे...

मेहुल चौकसी के बारे में तो आप जानते ही होंगे. नीरव मोदी के साथी और रिश्तेदार मेहुल चौकसी भारत में अब भगौड़े साबित हो चुके हैं और उन्हें वापस लाने की बात कही जा रही है. उनपर धोखाधड़ी का केस भी चल रहा है. पंजाब नेश्नल बैंक के फ्रॉड के बाद मेहुल चौकसी ने लगातार सरकार से बचने की कोशिश की हैं. और इसी कोशिश में अब वो एंटिगुआ एंड बारबुडा की नागरिकता लेने की कोशिश की है.

ये पहली बार नहीं है जब भारत के किसी भगौड़े ने ऐसे किसी अन्य कैरेबियन देश की नागरिकता लेने की कोशिश की हो. कुछ साल पहले डायमंड प्रमोटर जतिन मेहता जो सरकारी बैंक के करीब 7000 करोड़ लेकर गायब हो गए थे उन्होंने सेंट किट्स एंड नेविस (St. Kitts and Nevis) की नागरिकता ले ली थी. यहां तक की ललित मोदी ने भी सेंट लूसिया की नागरिकता लेने की कोशिश की थी, लेकिन उसके लिए बहुत देर हो गई थी.

कैरेबियन आइलैंड्स हमेशा ऐसे नागरिकों के लिए भारत के नियमों से बचने के तरीके लगते हैं. पर ऐसा क्यों? 1984 में सेंट कीट्स एंड नेविस ने पहली बार यहां का विवादित पेड सिटिजनशिप कानून निकाला था. ये तब था जब इस देश को यूनाइटेड किंगडम से आज़ादी मिली थी. बिजनेस तरक्की तब करने लगा जब यहां के पासपोर्ट होल्डरों को शेनजेन जोन में बिना किसी वीज़ा ट्रैवल करने की छूट मिलने लगी.

मेहुल चौकसी के पहले भी भारतीय लोगों ने ऐसा किया है

(Schengen zone - 26 यूरोपिय देशों का समूह जिन्हें आपस में पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती. इसमें ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, ग्रीनलैंड आदि शामिल हैं.)

इसके बाद सेंट लूसिया, डॉमिनिका, ग्रेनेडा, एंटिगुआ एंड बारबुडा जैसे देशों ने भी अपने सिटिजनशिप इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम निकाले. जो लोग अपने देश से भागना चाहते हैं अब ऐसे कैरेबियन देश उनके लिए स्वर्ग जैसे हो गए हैं. साथ ही ये देश ऐसे पासपोर्ट बनाते हैं जिसमें से कई देशों में बिना मेहनत, वीज़ा, इमिग्रेशन आदि के घूमा जा सकता है.

क्यों एंटिगुआ चुना मेहुल चौकसे ने?

मेहुल चौकसी ने एंटिगुआ ही क्यों चुना इसके बारे में तो नहीं पता, लेकिन इस देश की नागरिकता लेने के कई फायदे हैं. उदाहरण के तौर पर एंटिगुआ एंड बारबूडा के पासपोर्ट होल्डर के पास 132 देशों में बिना वीज़ा ट्रैवल करने की सुविधा है. इसमें ब्रिटेन, सिंगापुर और शेनजेन देश भी शामिल हैं. ऐसे में यूरोप का अधिकतर हिस्सा कवर हो जाता है. साथ ही अगर आपको इस दूर-दराज़ आइलैंड पर जाकर नहीं रहना है तो इसके लिए भी एक उपाय है. बस एंटीगुआ में पांच सालों में 5 दिन गुजार दीजिए और आपका काम हो जाएगा. आपकी नागरिकता को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

ऐसे देशों में रियल एस्टेट में निवेश कर ज्यादा रिटर्न भी पाया जा सकता है. ऐसे में दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट के साथ-साथ पैसा भी कमाया जा सकता है. साथ ही कोई डायरेक्ट टैक्स नहीं, कोई कैपिटल गेन्स पर टैक्स नहीं, डिविडेंट पर कोई टैक्स नहीं. इन देशों में शिफ्ट करने के कई फायदे हो सकते हैं.

ये देश अपने सुपर रिच नागरिकों (जिन्होंने पेड सिटिजनशिप ली है) को बिना किसी नुकसान के बैकअप दे देते हैं. अगर अपने देश में कोई चार्ज लगाया गया हो तो दूसरे देश में आसानी से नागरिकता ले लीजिए और अपने देश के कानून से बच जाइए. ऐसे में मेहुल चौकसी जैसे लोगों के लिए ये पासपोर्ट बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकते हैं.

एक पेंच भी है..

ऐसे देशों की नागरिकता लेने के लिए आपके ऊपर कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए. कम से कम तब तक जब तक एप्लिकेशन प्रोसेस में है. नागरिकता मिलने से पहले रिकॉर्ड्स की जांच की जाती है और इंटरपोल तक से जानकारी ली जा सकती है. हालांकि, मेहुल चौकसी जैसे लोगों के लिए ये बिलकुल समय पर हो सकता है क्योंकि उनके कोर्ट केस रजिस्टर होने से पहले ही उन्होंने यहां की नागरिकता के लिए अर्जी डाल दी थी.

क्या होती है कीमत..

इन पासपोर्ट्स की कीमत भी छोटी नहीं होती है और इनकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप कहां रहना चाहते हैं, काम करना चाहते हैं और ट्रैवल करना चाहते हैं.

जिन्हें थोड़ा सस्ता ऑप्शन चाहिए वो डॉमिनिका और सेंट लूसिया जैसे देश चुन सकते हैं जहां पासपोर्ट सिर्फ 1 लाख डॉलर (68 लाख रुपए) में एक सिंगल निवेशक के लिए मिल सकता है. अगर आपको अपने पति-पत्नी को भी ले जाना है तो सेंट लूसिया के लिए 1 लाख 65 हज़ार डॉलर और डॉमिनिका के लिए 1 लाख 75 हज़ार डॉलर देने होंगे.

अगर चीन में बिजनेस करना है तो ग्रेनेडा का पासपोर्ट लिया जा सकता है जो 2 लाख डॉलर में मिलेगा. ऐसे में चीन सहित यूरोपियन यूनियन के कई देशों में बिना वीज़ा ट्रैवल करने की सुविधा होगी.

लेकिन इनमें से कई सिटिजनशिप प्रोग्राम अमेरिका का वीज़ा फ्री ट्रैवल नहीं मिलेगा. अगर वो चाहिए तो थोड़े और पैसे खर्च कर माल्टीज पासपोर्ट लेना होगा. माल्टीज पासपोर्ट मिलने पर वीज़ा फ्री 166 देशों में ट्रैवल किया जा सकता है इसमें अमेरिका, कनाडा, यूरोपियन यूनियन के देश आदि शामिल हैं. हालांकि, ऐसे में रहने, काम करने और पढ़ने की इजाजत सिर्फ 28 यूरोपियन यूनियन देशों में ही है, इसमें नॉर्वे, आइसलैंड, स्वित्जरलैंड आदि शामिल हैं. अगर माल्टीज पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना है तो मेन एप्लिकेंट को कम से कम 650,000 यूरो (साढ़े 5 करोड़ के आस-पास) पैसे देने होंगे.

अगर इससे भी पावरफुल पासपोर्ट चाहिए तो सिप्रस का पासपोर्ट लेना होगा. सिप्रस का गोल्डन वीज़ा प्रोग्राम लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसी सिटिजनशिप के लिए कम से कम 2 मिलियन यूरो खर्च करने होंगे. सिप्रस में पर्मानेंट रेसिडेंसी भी मिलती है वीज़ा इन्वेस्टमेंट के तहत उसके लिए 3 लाख यूरो और वैट देना होगा. सिप्रस का पासपोर्ट और सिटिजनशिप लेने के लिए इंसान को कम से कम 60 दिन एक साल में सिप्रस में रहना होगा और 183 दिन से ज्यादा किसी अन्य देश में नहीं रहना होगा. रियल एस्टेट बिजनेसमैन सुरेंद्र हीरानंदानी के पास सिप्रस की नागरिकता है.

भारत करोड़पतियों के बाहर जाने के मामले में दूसरे नंबर पर है. सबसे पहले चीन है जहां 7000 ज्यादा करोड़पति दूसरे देशों की नागरिकता ले चुके हैं. ये सिर्फ 2017 का आंकड़ा है. इसी के साथ, भारत से भी 2017 में 7000 लोग दूसरे देशों की नागरिकता लेने गए. 2016 में ये आंकड़ा 6000 था और 2015 में ये आंकड़ा 4000 था.

भारत कैसे रोक सकता है मेहुल चौकसी की नागरिकता...

भारत अभी भी मेहुल चौकसी की एंटिगुआ की नागरिकता मिलने से रोक सकता है. मेहुल चौकसी ने ये सिटिजनशिप 2017 में मांगी थी जब पंजाब नैशनल बैंक का फ्रॉड पकड़ा नहीं गया था.

एंटिगुआ के सिटिजनशिप प्रोग्राम में तीन तरह से निवेश करना होता है. पहले तो 'देश के लिए नैशनल डेवलपमेंट फंड में दान', दूसरा 'पहले से ही निर्धारित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में' और तीसरा 'सरकार द्वारा निर्धारित किसी बिजनेस में'

विवाद के चलते मेहुल चौकसी की नागरिकता कैंसिल हो सकती है

पर सिटिजनशिप प्रोग्राम में साफ लिखा है कि किसी भी क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले इंसान को इसका हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है. ऐसे में मेहुल चौकसी तो क्रिमिनल केस में अंदर जा सकते हैं. दूसरा अपने वकील को एक लेटर लिखकर मेहुल चौकसी ने बताया था कि उन्होंने वो सब काम किया है जो एंटिगुआ के नियमों के हिसाब से है और ऐसे में उनकी सिटिजनशिप सही है. पर एंटिगुआ के नियमों के अनुसार अगर किसी नागरिक का रजिस्ट्रेशन गलत फैक्ट्स के आधार पर हो रहा है या कोई फ्रॉड है तो उसकी नागरिकता कैंसिल हो सकती है.

एंटिगुआ में मेहुल चौकसी की नागरिकता को लेकर बहुत सी बातें हो रही हैं और उस देश के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउनी ने 2017 में मेहुल चौकसी को लेकर बयान दिया था कि चौकसी के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. पर अब स्थिती बदल गई है. अब विपक्ष प्रधानमंत्री से सवाल कर रहे हैं कि उनका देश ऐसे फ्रॉड लोगों के लिए जन्नत बन गया है.

2014 से लेकर अभी तक 28 भारतीयों ने एंटिगुआ की नागरिकता के लिए एप्लिकेशन डाली है. और 2017 जनवरी 1 से लेकर जून 30 तक ही 7 लोगों ने ये एप्लिकेशन भरी है. एंटिगुआ में 1121 विदेशी नागरिक हैं जिनमें से 2.5% भारतीय हैं. इसके अलावा, 42 बंगलादेशी, 28 पाकिस्तानी और 478 चीनी नागरिक हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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