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तो क्या मंत्रियों के कर्ज में डूब गया एयर इंडिया?

    • आईचौक
    • Updated: 03 अक्टूबर, 2018 01:32 PM
  • 03 अक्टूबर, 2018 01:32 PM
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एयर इंडिया की हालत ठीक नहीं है और सरकार इस एयरलाइन्स को बेचने की कोशिश भी कर चुकी है, लेकिन एक RTI के जवाब में जो बात सामने आई है उससे लगता है कि इसकी हालत बिगाड़ने में मंत्रियों का हाथ भी है.

एयर इंडिया यानी भारत सरकार की वो एयरलाइन जिसका विज्ञापन कई फिल्मों में हो चुका है, जिसे अव्वल दर्जे की एयरलाइन माना जाता था और जिससे पीएम (चाहें वो कोई भी हो) विदेशों की यात्रा करते हैं. पिछले कुछ समय से एयर इंडिया अपनी सर्विसेज के लिए नहीं बल्कि इस कारण चर्चा में है कि उसपर जितना कर्ज है वो किंगफिशर जैसी एयरलाइन्स से भी ज्यादा है. अगर कुल कर्ज की बात करें तो एयर इंडिया लगभग 50 हज़ार करोड़ घाटे में चल रही है. लगातार कई सालों से घाटे में चल रही इस सरकारी एयरलाइन पर मार्च 2017 तक 33392 करोड़ का कर्ज था ये संख्या मार्च 2018 में 50000 करोड़ के पार हो गई थी.

2016-17 में एयर इंडिया का घाटा ही 5765.17 करोड़ था. अब एक बात सामने आई है जिसमें ये कहा जा रहा है कि सरकार को दरअसल एयर इंडिया को 1146.86 यानी लगभग 1147 करोड़ रुपए देने हैं. ये आंकड़ा एक RTI से सामने आया है. इतनी बड़ी रकम उन यात्राओं की है जिनमें VVIP चार्टर प्लेन्स का इस्तेमाल किया गया और बाद में एयरलाइन को पैसा नहीं दिया गया.

एयर इंडिया से बुक की गई 10 साल पुरानी फ्लाइट्स के पैसे भी नहीं दिए गए हैं.

RTI एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा नौसेना के रिटायर्ड कमोडोर ने इस बारे में खुलासा किया है. ये जानकारी एयर इंडिया की तरफ से लोकेश बत्रा को सितंबर में दी गई है. जो जानकारी मिली वो बताती है कि डिफेंस मिनिस्ट्री के 211.17 करोड़, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के 543.18 करोड़ और मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेर्यस के 392.33 करोड़ रुपए बाकी हैं.

इसमें भारत के राष्ट्रपति के लिए बुक की गई फ्लाइट्स, प्रधानमंत्री के लिए बुक की गई फ्लाइट्स, VIP और फॉरेन डेलिगेट्स के लिए बुक किए गए चार्टर्ड प्लेन शामिल है. इनमें से कुछ वो फ्लाइट्स भी हैं जिन्हें भारतीय नागरिकों के लिए बुक किया गया था जो किसी न किसी जगह...

एयर इंडिया यानी भारत सरकार की वो एयरलाइन जिसका विज्ञापन कई फिल्मों में हो चुका है, जिसे अव्वल दर्जे की एयरलाइन माना जाता था और जिससे पीएम (चाहें वो कोई भी हो) विदेशों की यात्रा करते हैं. पिछले कुछ समय से एयर इंडिया अपनी सर्विसेज के लिए नहीं बल्कि इस कारण चर्चा में है कि उसपर जितना कर्ज है वो किंगफिशर जैसी एयरलाइन्स से भी ज्यादा है. अगर कुल कर्ज की बात करें तो एयर इंडिया लगभग 50 हज़ार करोड़ घाटे में चल रही है. लगातार कई सालों से घाटे में चल रही इस सरकारी एयरलाइन पर मार्च 2017 तक 33392 करोड़ का कर्ज था ये संख्या मार्च 2018 में 50000 करोड़ के पार हो गई थी.

2016-17 में एयर इंडिया का घाटा ही 5765.17 करोड़ था. अब एक बात सामने आई है जिसमें ये कहा जा रहा है कि सरकार को दरअसल एयर इंडिया को 1146.86 यानी लगभग 1147 करोड़ रुपए देने हैं. ये आंकड़ा एक RTI से सामने आया है. इतनी बड़ी रकम उन यात्राओं की है जिनमें VVIP चार्टर प्लेन्स का इस्तेमाल किया गया और बाद में एयरलाइन को पैसा नहीं दिया गया.

एयर इंडिया से बुक की गई 10 साल पुरानी फ्लाइट्स के पैसे भी नहीं दिए गए हैं.

RTI एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा नौसेना के रिटायर्ड कमोडोर ने इस बारे में खुलासा किया है. ये जानकारी एयर इंडिया की तरफ से लोकेश बत्रा को सितंबर में दी गई है. जो जानकारी मिली वो बताती है कि डिफेंस मिनिस्ट्री के 211.17 करोड़, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के 543.18 करोड़ और मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेर्यस के 392.33 करोड़ रुपए बाकी हैं.

इसमें भारत के राष्ट्रपति के लिए बुक की गई फ्लाइट्स, प्रधानमंत्री के लिए बुक की गई फ्लाइट्स, VIP और फॉरेन डेलिगेट्स के लिए बुक किए गए चार्टर्ड प्लेन शामिल है. इनमें से कुछ वो फ्लाइट्स भी हैं जिन्हें भारतीय नागरिकों के लिए बुक किया गया था जो किसी न किसी जगह पर फंसे हुए थे और उनका रेस्क्यू किया गया.

इसी साल अगस्त में सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से 11000 करोड़ के राहत पैकेज की मांग की थी. ये रकम एयर इंडिया के उद्धार के लिए थी. सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की कोशिश भी की थी, लेकिन वो सफल नहीं हो पाया. सितंबर में ही एयर इंडिया को सरकार की तरफ से और 2100 करोड़ मिलने का आश्वासन मिला था.

हाल ही में सिविल एविएशन मिनिस्टर जयंत सिन्हा ने बयान दिया है कि एयर इंडिया के रिवाइवल पैकेज पर काम लगभग खत्म हो गया है और इसे और बेहतरीन और इसे इंटरनेशन एयरलाइन्स की टक्कर का बनाया जाएगा. खैर, इस बात को अगर छोड़ दिया जाए तो भी इस सरकारी एयरलाइन ने सोमवार 1 अक्टूबर को ही 14 प्रॉपर्टीज बेचने के लिए तैयार की हैं जिससे एयरलाइन 250 करोड़ पैसे जुटाने के इंतजार में है.

मई में एयर इंडिया की बिक्री नहीं हो पाई और अब सरकार इसके नॉन-कोर असेट्स बेचने की कोशिश कर रही है. जो प्रॉपर्टी बेचने की बात की गई है वो मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और अमृतसर में है. इसमें कमर्शियल और रिहायशी जमीन और फ्लैट्स भी शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक इस नीलामी का हिस्सा लेने के लिए 1 नवंबर तक का समय दिया गया है. एयर इंडिया के कर्मचारियों ने इस तरह बिक्री करने का विरोध किया है. अब सोचने वाली बात ये है कि जहां सरकार एयर इंडिया के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है वहीं वो किसी भी तरह से अपना पुराना कर्ज चुकाने की कोशिश क्यों नहीं करती?

250 करोड़ के लिए एयर इंडिया को जमीनें बेचनी पड़ रही है तो इसकी चार गुना रकम चुकाकर सरकार क्यों ये नहीं सोचती कि एयर इंडिया को थोड़ी ही सही, लेकिन राहत दी जाए. RTI की जानकारी के मुताबिक जो फ्लाइट्स बुक की गई थीं उनमें से कुछ तो 10 साल पुरानी थीं. अब ये तो सवाल उठाने वाली बात है कि देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उधार के चार्टर्ड प्लेन में सफर करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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