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गूगल से क्या टैक्स ले पाएगी सरकार!

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 22 मार्च, 2016 09:13 PM
  • 22 मार्च, 2016 09:13 PM
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गूगल और गूगल जैसी सैकड़ों ऑनलाइन कंपनियां गूगल के इनकम फॉर्मूले को अपनाती हैं. ऐसी सभी कंपनियां अमेरिका में एक मामुली टैक्स अदा करती हैं और इस पूरे कारोबार में अमेरिका को सबसे बड़ा फायदा विदेशी मुद्रा के भंडारण से हो रहा है.

सर्च इंजन गूगल का इनकम फॉर्मूला आज साइबर दुनिया के लिए मिसाल है. गूगल इंक अमेरिका में रजिस्टर्ड एक कंपनी है जो दुनिया के कई देशों में काम कर रही है. इस कंपनी की कमाई का फॉर्मूला साइबर दुनिया की लगभग सभी कंपनियां अपना रही हैं. अमेरिका को छोड़कर गूगल दुनिया के किसी देश में टैक्स का भुगतान नहीं करती है.

ऐसा कैसे होता है? उदाहरण के लिए मान लीजिए कि गूगल अमेरिका में बैठा एक सर्विस प्रोवाइडर है जिसके जरिए दुनियाभर में प्रोडक्ट बेचा जा रहा है. ये प्रोडक्ट ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग तक तमाम सर्विसेज के तौर पर उन देशों के नागरिक खरीदते हैं जहां-जहां गूगल काम कर रही है. इन देशों के नागरिक इस खरीद के बदले अपने देश की मुद्रा को गूगल के जरिए अमेरिका के हवाले कर रहा है. वहीं जिन देशों में ये सर्विसेज खरीदी और इस्तेमाल की जा रही हैं, वे इसपर किसी तरह का टैक्स नहीं लगा रहे हैं.

अमेरिकी सरकार को भी गूगल के इनकम प्लान से फायदा गूगल और गूगल जैसी सैकड़ों ऑनलाइन कंपनियां इसी इनकम फॉर्मूले को अपनाती हैं. ऐसी सभी कंपनियां अमेरिका में एक मामुली टैक्स अदा करती हैं और इस पूरे कारोबार में अमेरिका को सबसे बड़ा फायदा विदेशी मुद्रा के भंडारण से हो रहा है. गौरतलब है कि गूगल जैसी साइबर कंपनियां दुनियाभर में अमेरिका के रजिस्टर्ड ऑफिस के नाम पर काम करती हैं और इसी दलील से वह ऑनलाइन कारोबार पर हर देश में टैक्स से बचती रही है.

जेटली ने की गूगल टैक्स लगाने की तैयारी हाल ही में पास हुए वार्षिक बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ‘गूगल टैक्स’ लगाने का प्रावधान कर दिया है. यह टैक्स फिलहाल भारत में काम कर रही उन सभी साइबर कंपनियों पर लगेगा जिनका भारत में रजिस्टर्ड ऑफिस नहीं है. इस टैक्स के दायरे में ग्लोबल एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग कंपनियां आएंगी जो भारत में कारोबार कर रही हैं.

इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों में गूगल टैक्स गूगल टैक्स की शुरुआत...

सर्च इंजन गूगल का इनकम फॉर्मूला आज साइबर दुनिया के लिए मिसाल है. गूगल इंक अमेरिका में रजिस्टर्ड एक कंपनी है जो दुनिया के कई देशों में काम कर रही है. इस कंपनी की कमाई का फॉर्मूला साइबर दुनिया की लगभग सभी कंपनियां अपना रही हैं. अमेरिका को छोड़कर गूगल दुनिया के किसी देश में टैक्स का भुगतान नहीं करती है.

ऐसा कैसे होता है? उदाहरण के लिए मान लीजिए कि गूगल अमेरिका में बैठा एक सर्विस प्रोवाइडर है जिसके जरिए दुनियाभर में प्रोडक्ट बेचा जा रहा है. ये प्रोडक्ट ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग तक तमाम सर्विसेज के तौर पर उन देशों के नागरिक खरीदते हैं जहां-जहां गूगल काम कर रही है. इन देशों के नागरिक इस खरीद के बदले अपने देश की मुद्रा को गूगल के जरिए अमेरिका के हवाले कर रहा है. वहीं जिन देशों में ये सर्विसेज खरीदी और इस्तेमाल की जा रही हैं, वे इसपर किसी तरह का टैक्स नहीं लगा रहे हैं.

अमेरिकी सरकार को भी गूगल के इनकम प्लान से फायदा गूगल और गूगल जैसी सैकड़ों ऑनलाइन कंपनियां इसी इनकम फॉर्मूले को अपनाती हैं. ऐसी सभी कंपनियां अमेरिका में एक मामुली टैक्स अदा करती हैं और इस पूरे कारोबार में अमेरिका को सबसे बड़ा फायदा विदेशी मुद्रा के भंडारण से हो रहा है. गौरतलब है कि गूगल जैसी साइबर कंपनियां दुनियाभर में अमेरिका के रजिस्टर्ड ऑफिस के नाम पर काम करती हैं और इसी दलील से वह ऑनलाइन कारोबार पर हर देश में टैक्स से बचती रही है.

जेटली ने की गूगल टैक्स लगाने की तैयारी हाल ही में पास हुए वार्षिक बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ‘गूगल टैक्स’ लगाने का प्रावधान कर दिया है. यह टैक्स फिलहाल भारत में काम कर रही उन सभी साइबर कंपनियों पर लगेगा जिनका भारत में रजिस्टर्ड ऑफिस नहीं है. इस टैक्स के दायरे में ग्लोबल एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग कंपनियां आएंगी जो भारत में कारोबार कर रही हैं.

इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों में गूगल टैक्स गूगल टैक्स की शुरुआत इंग्लैंड से हुई है. वहां काम कर रहीं ज्यादातर साइबर कंपनियां अमेरिका आधारित हैं. इन कंपनियों के पास इंग्लैंड के आनलाइन कारोबार का बड़ा हिस्सा है. इंग्लैंड में गूगल टैक्स का इस्तेमाल इन कंपनियों को अपना मुनाफा किसी और देश ले जाने से रोकने के लिए किया जाता है. वहीं फ्रांस में ऐसी कंपनियों के खिलाफ इस टैक्स के साथ-साथ पिछले कुछ सालों का बकाया भी वसूला की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि फ्रांस में गूगल का टैक्स विवाद चल रहा है. फ्रांस सरकार ने गूगल से 2005 तक के टैक्स विवाद को सुलझाने के लिए कहा है.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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