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अच्छा मानसून ले आएगा मोस्ट वॉन्टेड अच्छे दिन!

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 14 अप्रिल, 2016 12:35 PM
  • 14 अप्रिल, 2016 12:35 PM
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क्या अर्थव्यवस्था पर मानसून का सेंटिमेंट इतना भारी पड़ता है कि उसके कमजोर रहने पर आर्थिक आंकड़े गिरने लग जाते हैं और जैसे ही औसत से अच्छी बारिश के संकेत मिले सबकुछ अच्छा लगने लगता है.

देश को पिछले दो साल से अच्छे दिन आने का बेसब्री से इंतजार है. देश की अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की दर से बढ़ रही है और कई अर्थशाष्त्री चालू वित्त वर्ष में लगभग 8 फीसदी विकास दर का अनुमान जता रहे है. लेकिन इससे अच्छे दिन आते नहीं दिख रहे हैं. बीते एक साल में रिजर्व बैंक ने तीन बार ब्याज दरों में कटौती की लेकिन फिर भी अच्छे दिन नहीं देखने को मिले. बीते दो साल से कमजोर मानसून और कई हिस्सों में सूखे की स्तिथि ने भी अच्छे दिनों को नजदीक नहीं फटकने दिया. ऐसे में क्या अब मौसम विभाग का औसत से अधिक बारिश का अनुमान देश को अच्छे दिनों में ले जाएगा.

क्या अर्थव्यवस्था पर मानसून का सेंटिमेंट इतना भारी पड़ता है कि उसके कमजोर रहने पर आर्थिक आंकड़े गिरने लग जाते हैं और जैसे ही औसत से अच्छी बारिश के संकेत मिले सबकुछ अच्छा लगने लगता है. आखिर अच्छे मानसून की उम्मीद कहां-कहां असर दिखाने लगती है.

मानसून में सियासत नहीं देश में मानसून अच्छा रहता है तो उसमें किसी तरह की राजनीति नहीं रहती. अच्छा मानसून अमीर और गरीब दोनों को फायदा पहुंचाता है. देश की बड़ी आबादी अपनी आमदनी के लिए खेती पर निर्भर है. अच्छा मानसून अच्छी फसल लेकर आता है जिससे खाने-पीने की चीजें बाजार में सस्ती रहती है. सस्ती फसल से आम आदमी की बचत बढ़ जाती है और जरूरी खरीदारी के बाद भी उसके पास बाजार में नए प्रोडक्ट आजमाने के लिए पैसे मौजूद रहते हैं. आम आदमी को हो रहे इसी फायदे में अमीर आदमी का भी फायदा रहता है. फैक्ट्रियों से नए प्रोडक्ट नए और लुभावने ऑफर्स के साथ बाजार में आते हैं जिसका फायदा कंपनियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी मिलता है.

 सूखे से त्रस्त किसान को मानसून का...

देश को पिछले दो साल से अच्छे दिन आने का बेसब्री से इंतजार है. देश की अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की दर से बढ़ रही है और कई अर्थशाष्त्री चालू वित्त वर्ष में लगभग 8 फीसदी विकास दर का अनुमान जता रहे है. लेकिन इससे अच्छे दिन आते नहीं दिख रहे हैं. बीते एक साल में रिजर्व बैंक ने तीन बार ब्याज दरों में कटौती की लेकिन फिर भी अच्छे दिन नहीं देखने को मिले. बीते दो साल से कमजोर मानसून और कई हिस्सों में सूखे की स्तिथि ने भी अच्छे दिनों को नजदीक नहीं फटकने दिया. ऐसे में क्या अब मौसम विभाग का औसत से अधिक बारिश का अनुमान देश को अच्छे दिनों में ले जाएगा.

क्या अर्थव्यवस्था पर मानसून का सेंटिमेंट इतना भारी पड़ता है कि उसके कमजोर रहने पर आर्थिक आंकड़े गिरने लग जाते हैं और जैसे ही औसत से अच्छी बारिश के संकेत मिले सबकुछ अच्छा लगने लगता है. आखिर अच्छे मानसून की उम्मीद कहां-कहां असर दिखाने लगती है.

मानसून में सियासत नहीं देश में मानसून अच्छा रहता है तो उसमें किसी तरह की राजनीति नहीं रहती. अच्छा मानसून अमीर और गरीब दोनों को फायदा पहुंचाता है. देश की बड़ी आबादी अपनी आमदनी के लिए खेती पर निर्भर है. अच्छा मानसून अच्छी फसल लेकर आता है जिससे खाने-पीने की चीजें बाजार में सस्ती रहती है. सस्ती फसल से आम आदमी की बचत बढ़ जाती है और जरूरी खरीदारी के बाद भी उसके पास बाजार में नए प्रोडक्ट आजमाने के लिए पैसे मौजूद रहते हैं. आम आदमी को हो रहे इसी फायदे में अमीर आदमी का भी फायदा रहता है. फैक्ट्रियों से नए प्रोडक्ट नए और लुभावने ऑफर्स के साथ बाजार में आते हैं जिसका फायदा कंपनियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी मिलता है.

 सूखे से त्रस्त किसान को मानसून का इंतजार

सूखा ग्रस्त इलाकों में मानसून से पहले खुशी की लहर महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश समेत कई इलाकों में पानी का संकट गहरा चुका है. पिछले दो साल से कमजोर मानसून के चलते ज्यादातर इलाकों में पानी के श्रोत सूख चुके हैं. महाराष्ट्र और गुजरात के बड़े शहरों में पीने के पानी की भी बड़ी किल्लत सामने खड़ी है. ऐसे में इन सभी क्षेत्रों में पानी के बचे-कुचे श्रोतों पर कब्जा करने की घटनाएं और उनपर विवाद बढ़ जाते हैं. नौबत यहां तक आ जाती है कि आम-आदमी को जीवन-यापन के लिए पानी खरीदना पड़ जाता है. वहीं कई लोगों को इसपर राजनीति करने का भी पूरा मौका मिल जाता है. विपक्ष सरकारों पर बेरुखी का आरोप लगाती है और सरकार विपक्ष पर मामले को चूल देने का आरोप लगाती है. इन सबके बीच आम आदमी एक डर के माहौल में रहने के लिए मजबूर हो जाता है. वहीं मौसम विभाग के अनुमान से इन सभी इलाकों में खुशी की लहर है कि उनकी समस्या का जल्द निदान हो जाएगा. कालाबाजारी करने वालों के मंसूबों पर भी पानी फिर चुका है.

बड़ी छलांग के लिए शेयर बाजार तैयार मंगलवार को मौसम विभाग ने अनुमान जारी किया कि मौजूदा साल मानसून के लिहाज से अच्छा रहेगा और औसत से अधिक बारिश देखने को मिलेगी. इस खबर ने बीते कुछ महीनों से गिरावट के दौर से गुजर रहे शेयर बाजार को जैसे जीवन दान दे दिया. बुधवार सुबह बाजार हरे निशान में खुला. जानकारों का मानना है कि मौसम विभाग के अनुमान पर शेयर बाजार में निवेशकों की खुशी लौट आई है. अच्छी बारिश और नतीजतन अच्छी फसल की उम्मीद पर उन्होंने ऑटो, इंफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिग सेक्टर के शेयरों की जमकर खरीदारी शुरू कर दी है. गौरतलब है कि देश में 1 जून से मानसून की दस्तक देखने को मिलती है और सामान्य चाल पर अगले 15 दिनों में पूरा देश मानसून की चपेट में आ जाता है.

खरीफ बुआई के लिए बंपर तैयारी देश में मानसून के साथ-साथ खरीफ बुआई शुरू हो जाती है. मौसम विभाग के इस अनुमान से देश में खरीफ बुआई का इंतजार कर रहे किसानों के लिए बड़ी राहत आई है. लगातार बीते दो साल से कमजोर मानसून ने उन्हें मायूसी के सिवाए कुछ नहीं दिया है. अब औसत से बेहतर बारिश उनकी उम्मीदों को बढ़ा रहा है कि वह खरीफ सीजन में अच्छी पैदावार करके बीते दो साल के अपने नुकसान की भरपाई कर पाएंगे. गौरतलब है कि देश में औसत से बेहतर बारिश से खरीफ पैदावार को फायदा मिलता है. देश में खाद्य सामग्री की कीमतें काबू में रहती है. सस्ता अनाज खरीदने से लोगों के पास अन्य जरूरी खरीदारी के लिए पर्याप्त धन संचित हो जाता है. लिहाजा इस खबर से किसानों के चहरे पर अभी से चमक दिखनी शुरू हो जाती है और अच्छी आमदनी की उम्मीद पर वह अपनी पूरी ताकत खरीफ बुआई में लगा देतें हैं.

सस्ता हो जाएगा कर्ज हाल ही में रिजर्व बैंक ने अपनी पहली मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कहा कि बेहतर मानसून के आगाज पर ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ जाएगी. ऐसे में मौसम विभाग की माने आने वाले कुछ महीनें ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक के फैसले के लिए अहम साबित होंगे. गौरतलब है कि जानकारों का मानना है कि ब्याज दरों में और कटौती अर्थव्यवस्था में जरूरी तेजी लाने के लिए अहम है. रिजर्व बैंक के इस कदम से देश में कर्ज सस्ता होगा और कारोबारी के साथ-साथ आम आदमी बैंकों से ज्यादा से ज्यादा कर्ज उठाने की कोशिश करेंगे. गौरतलब है कि वैश्विक मंदी के बीच दुनिया में सर्वाधिक विकास दर भारत में मिल रहा है और ऐसी स्थिति में कारोबारी तेजी आने से लंबे समय तक विकास की रफ्तार को कायम रखा जा सकता है.

आटो सेक्टर को अच्छे सेल की उम्मीद अच्छी फसल और कारोबारी तेजी का सीधा असर आम आदमी की बचत पर पड़ता है. एक तरफ जहां उसकी कमाई बढ़ती हैं वहीं खाने-पीने की जरूरी वस्तुओं की महंगाई नियंत्रित रहने से उसकी सेविंग्स में भी इजाफा दिखने की उम्मीद बढ़ जाती है. जानकारों के मुताबिक किसी भी देश में ऑटो सेक्टर के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण समय रहता है जब वहां का आम आदमी दो पहिया, चार पहिया, कॉमर्शियल मोटर समेत खेती में काम आने वाले ट्रैक्टर की खरीद पर जोर देता है. अच्छे मानसून से इन कंपनियों पर पिछले कुछ समय से छाई मंदी टलने की उम्मीद है.

सड़क, पुल और मकान जैसे निर्माण कार्यों में तेजी अच्छा मानसून ग्रामीण इलाकों में आमदनी में इजाफा करता है. इससे सरकार के ऊपर बोझ कम होता है और वह अपने फंड को आम आदमी के जीवन को और बेहतर करने में लगाने के लिए स्वतंत्र हो जाता है. ऐसे मौकों पर सड़क, पुल, मकान और स्कूल-कॉलेज जैसे निर्माण कार्यों में तेजी आने का रास्ता साफ हो जाता है. एक बार फिर इन निर्माण कार्यों के चलते ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ने के साथ-साथ आमदनी में इजाफा देखने को मिलता है. साथ ही इन सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों के शेयर में उछाल दर्ज होने से निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलने लगता है.

अब इन सभी मुद्दों पर एक अच्छा मानसून देश में आम आदमी से लेकर खास आदमी के लिए इतनी सौगत लेकर आता है जो जाहिर है इस साल औसत से बेहतर मानसून देश में अच्छे दिनों को लाने का साधन भी बन सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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