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महंगी गाड़ियों पर इसलिए मिल रहा है 20 लाख से 1 करोड़ तक का डिस्काउंट

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 24 अप्रिल, 2017 07:24 PM
  • 24 अप्रिल, 2017 07:24 PM
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ब्रिक्जिट का शुक्रिया कीजिए क्योंकि इसके चक्कर में रॉल्स रॉयस, बेंटले, एस्टन मार्टिन, रेंज रोवर और फरारी जैसी गाड़ियों की कीमत कम हो गई है.

क्या आप हाल ही में कोई गाड़ी खरीदने वाले हैं? अगर आपका जवाब हां है और आपको कोई नई लग्जरी गाड़ी खरीदनी है तो फिर ये एक अच्छा समय साबित हो सकता है. ब्रिक्जिट का शुक्रिया कीजिए क्योंकि इसके चक्कर में रॉल्स रॉयस, बेंटले, एस्टन मार्टिन, रेंज रोवर और फरारी जैसी गाड़ियों की कीमत कम हो गई है.

क्या है वजह?

वजह ये है कि यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटिश पाउंड में 20% की गिरावट आई है. यानि पिछले साल के मुकाबले इस साल पाउंड भारतीय रुपए के मुकाबले कमजोर हुआ है. पहले जो 108 रुपए का एक पाउंड था अब वो 81 रुपए का एक पाउंड तक जा पहुंचा है. ऐसे में ब्रिटेन से आने वाले इम्पोर्ट सस्ते हुए हैं. उनमें से एक है कारें.

कारों की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर आया हैसुपर लग्जरी कारों का भारत भी एक अच्छा मार्केट है. अगर आंकड़ों को देखें तो 2 करोड़ और उससे ऊपर की कारों के खरीददार साल 2016 में 200 यूनिट से ज्यादा रहे. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है और इन कारों में से आधी ब्रिटेन में बनी हुई थीं.

कितने कम हुए दाम?

 कार                   पुरानी कीमत         नई कीमत

1. रेंज रोवर स्पोर्ट-        1.35 करोड़        1.04 करोड़

 

2.. रेंज रोवर वोग-         1.97 करोड़        1.56 करोड़

3. फरारी 488-             3.9 करोड़        3.6 करोड़

4. रॉल्स रॉयस...

क्या आप हाल ही में कोई गाड़ी खरीदने वाले हैं? अगर आपका जवाब हां है और आपको कोई नई लग्जरी गाड़ी खरीदनी है तो फिर ये एक अच्छा समय साबित हो सकता है. ब्रिक्जिट का शुक्रिया कीजिए क्योंकि इसके चक्कर में रॉल्स रॉयस, बेंटले, एस्टन मार्टिन, रेंज रोवर और फरारी जैसी गाड़ियों की कीमत कम हो गई है.

क्या है वजह?

वजह ये है कि यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटिश पाउंड में 20% की गिरावट आई है. यानि पिछले साल के मुकाबले इस साल पाउंड भारतीय रुपए के मुकाबले कमजोर हुआ है. पहले जो 108 रुपए का एक पाउंड था अब वो 81 रुपए का एक पाउंड तक जा पहुंचा है. ऐसे में ब्रिटेन से आने वाले इम्पोर्ट सस्ते हुए हैं. उनमें से एक है कारें.

कारों की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर आया हैसुपर लग्जरी कारों का भारत भी एक अच्छा मार्केट है. अगर आंकड़ों को देखें तो 2 करोड़ और उससे ऊपर की कारों के खरीददार साल 2016 में 200 यूनिट से ज्यादा रहे. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है और इन कारों में से आधी ब्रिटेन में बनी हुई थीं.

कितने कम हुए दाम?

 कार                   पुरानी कीमत         नई कीमत

1. रेंज रोवर स्पोर्ट-        1.35 करोड़        1.04 करोड़

 

2.. रेंज रोवर वोग-         1.97 करोड़        1.56 करोड़

3. फरारी 488-             3.9 करोड़        3.6 करोड़

4. रॉल्स रॉयस फैंटम-        9 करोड़        7.8-8 करोड़

5. रॉल्स रॉयस घोस्ट-      5.25 करोड़        4.75 करोड़

6. एस्टन मार्टिन DB11-   4.27 करोड़        4.06 करोड़

इससे दो फायदे हुए हैं एक तो ब्रिटेन में बनी हुई कारें सस्ती हुई हैं और दूसरे बाकी सुपर कार बनाने वाली कंपनियां जैसे इटली और जर्मनी की कंपनियों ने भी कॉम्पटीशन के चलते अपनी कारों के दाम गिराने शुरू कर दिए हैं. जुलाई में जीएसटी लगने के बाद इस मार्केट में और सुधार की गुंजाइश हो सकती है. हालांकि, इस बारे में कोई भी टिप्पणी करना अभी सही नहीं होगा.

तो क्या ब्रिक्जिट से होगा फायदा?

अगर पाउंड की कीमत गिरती रही या इसी तरह से स्थिर रही तो भारत में इम्पोर्ट भी सस्ता होगा और एक्सपोर्ट भी ज्यादा होने की गुंजाइश है. हालांकि, पाउंड का गिरना एक्सपोर्टरों के प्रॉफिट मार्जिन के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है. ऐसे में भारत को कुछ हद तक फायदा होगा, लेकिन ब्रिटेन की हालत में सुधार के बाद अगर पाउंड की कीमत बढ़ती है तो यकीनन भारत का एक्सपोर्ट सस्ता हो जाएगा और इम्पोर्ट महंगा ऐसे में भारत को नुकसान होगा.

ब्रिक्जिट का आने वाले 6 महीने में भारत पर असर?

यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर निकलना भारत के लिए नुकसानदेह भी है. कारण ये है कि ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन में भारत का सबसे अच्छा दोस्त रहा है. ऐसे में यूरोप के दरवाजे भारतीय कंपनियों के लिए ब्रिटेन के जरिए काफी हद तक खुल जाते थे. अब ब्रिक्जिट के बाद यूरोपियन यूनियन से भारत का एक दोस्त अलग हो गया है जो भारतीय एक्सपोर्टरों के लिए अच्छा नहीं है. लगातार ऊपर नीचे होते करंसी रेट एक बार के लिए इम्पोर्ट तो सस्ता कर सकता है, लेकिन इससे एक्सपोर्ट पर भी खासा असर पड़ रहा है. इसी रेट का जीएसटी लागू होते ही एक अलग इम्पैक्ट देखने को मिलेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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