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घर लेना हुआ सस्ता लेकिन एक पेंच के साथ...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 26 जनवरी, 2018 02:59 PM
  • 26 जनवरी, 2018 02:59 PM
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इस बार के बजट में भी ये उम्मीद की जा रही है कि शायद घरों पर टैक्स कम होगा, लेकिन बजट के पहले ही जीएसटी रेट 4% कम हो गया है. पर घरों के सस्ते होने में भी एक पेंच है.

अपना घर खरीदना सबका सपना होता है और जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से ही लोगों को इस सपने को पूरा करने में थोड़ी दिक्कत हो रही है. खुद ही सोचिए जो टैक्स रेट 4.5 प्रतिशत था और बाकी ड्यूटी लगने पर भी 5.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं जाता था वो अब 12% हो गया और ये सीधी 7% की बढ़त रियल एस्टेट पर भारी पड़ी. कारण? बिल्डर्स को तो इनपुट क्रेडिट मिल रहा है, लेकिन इसमें से कितना ग्राहकों तक पहुंच पा रहा है और कितना नहीं इसके बारे में कोई ठोस संकेत नहीं मिल रहे हैं.

इस बार के बजट में भी ये उम्मीद की जा रही है कि शायद घरों पर टैक्स कम होगा. जीएसटी का असर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे सस्ते घरों में भी हो रहा था, लेकिन अब शायद कुछ बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं.

4% कम हुआ जीएसटी..

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नए घरों पर जीएसटी रेट 12% से कम कर 8% कर दिया गया है. खबर गणतंत्र दिवस के मौके पर कुछ खुशी लेकर आई है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जो पहली बार घर खरीद रहे हैं.

सभी के लिए नहीं ये स्कीम..

8% जो रेट है वो हर ग्राहक के लिए नहीं है. ये जीएसटी रेट सिर्फ उन लोगों के लिए लागू होता है जो क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खरीद रहे हैं. इसके साथ ही इन घरों को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस प्राप्त होना जरूरी है.

CLSS स्कीम के तहत ऐसा कोई इंसान जिसकी तनख्वाह 18 लाख प्रति साल से कम होगी और वो पहली बार घर खरीद रहा होगा उसे 2.7 लाख तक का फायदा मिल सकता है. ये स्कीम 120 स्क्वेयर मीटर (1,287 sq ft) कार्पेट एरिया वाले...

अपना घर खरीदना सबका सपना होता है और जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से ही लोगों को इस सपने को पूरा करने में थोड़ी दिक्कत हो रही है. खुद ही सोचिए जो टैक्स रेट 4.5 प्रतिशत था और बाकी ड्यूटी लगने पर भी 5.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं जाता था वो अब 12% हो गया और ये सीधी 7% की बढ़त रियल एस्टेट पर भारी पड़ी. कारण? बिल्डर्स को तो इनपुट क्रेडिट मिल रहा है, लेकिन इसमें से कितना ग्राहकों तक पहुंच पा रहा है और कितना नहीं इसके बारे में कोई ठोस संकेत नहीं मिल रहे हैं.

इस बार के बजट में भी ये उम्मीद की जा रही है कि शायद घरों पर टैक्स कम होगा. जीएसटी का असर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे सस्ते घरों में भी हो रहा था, लेकिन अब शायद कुछ बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं.

4% कम हुआ जीएसटी..

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नए घरों पर जीएसटी रेट 12% से कम कर 8% कर दिया गया है. खबर गणतंत्र दिवस के मौके पर कुछ खुशी लेकर आई है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जो पहली बार घर खरीद रहे हैं.

सभी के लिए नहीं ये स्कीम..

8% जो रेट है वो हर ग्राहक के लिए नहीं है. ये जीएसटी रेट सिर्फ उन लोगों के लिए लागू होता है जो क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खरीद रहे हैं. इसके साथ ही इन घरों को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस प्राप्त होना जरूरी है.

CLSS स्कीम के तहत ऐसा कोई इंसान जिसकी तनख्वाह 18 लाख प्रति साल से कम होगी और वो पहली बार घर खरीद रहा होगा उसे 2.7 लाख तक का फायदा मिल सकता है. ये स्कीम 120 स्क्वेयर मीटर (1,287 sq ft) कार्पेट एरिया वाले घरों तक सीमित थी, जो बढ़कर 1,615 स्क्वेयर फिट यानि 150 स्क्वेयर मीटर के बराबर हो गई है. ये करीब 2,200 स्क्वेयर फिट बिल्ड अप एरिया के बराबर है. यानि इससे ज्यादा बड़ा घर नहीं होना चाहिए.

क्या है CLSS..

ये स्कीम अफोर्डेबल घरों की समस्या को कुछ हद तक दूर करती है. प्रधानमंत्री आवास योजना में ये एकमात्र ऐसी स्कीम है जो सेंटर स्पोर्सर्ड नहीं है. इस स्कीम के तहत सब्सिडी मिलती है जिसके कारण लोन को चुकाना बहुत आसान हो सकता है. मुख्य राशि का कुछ हिस्सा कम हो जाता है जो एक मुनाफे के तौर पर ग्राहक को मिलता है.

उदाहरण के तौर पर इस स्कीम के तहत अगर किसी ने घर लिया है और 100 रुपए का प्रिंसिपल अमाउंट (मुख्य राशी) है. तो उसे 10 रुपए सब्सिडी के तौर पर मिल जाएंगे. तो असल में जिसने लोन लिया है उसे 90 रुपए ही देने होंगे वापस और 10 रुपए का मुनाफा होगा.

कौन लोग ले सकते हैं फायदा?

1. इस स्कीम का फायदा सिर्फ वो लोग उठा सकते हैं जो पहला घर ले रहे हैं. 2. 6 लाख से कम आय वाले लोगों के लिए 60 स्क्वेयर मीटर या 643 स्क्वेयर फिट का घर होना चाहिए. 3. 6-12 लाख रुपए की आय वालों के लिए 90 स्क्वेयर मीटर (965 sq ft) से ज्यादा का घर नहीं लेना चाहिए.4. इस स्कीम के तहत जो सालाना आय पति, पत्नी, कुंवारे बेटे और कुंवारी बेटियों की पूरी तनख्वाह है.

वैसे तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को बसाने की स्कीम, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम, अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप, और सब्सिडी फॉर सर्वे-लिड इंडिवीजुअल हाउस कंस्ट्रक्शन स्कीम भी है. CLSS को छोड़कर बाकी सभी सेंट्रल सेक्टर स्पोन्सर्ड स्कीम है. CLSS स्कीम में (EWS) इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन और (LIG) लोअर इनकम ग्रुप ही अप्लाई कर सकते हैं.

हालांकि, जीएसटी की सस्ती दर अभी तो सिर्फ CLSS के तहत आने वाले घरों के लिए हुई है, लेकिन अगर बजट में जीएसटी दर वाकई कुछ कम हो जाती है तो ये नए घर खरीदने वालों को बहुत फायदा दे सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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