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एलपीजी में अमीर और गरीब, पेट्रोल-डीजल में सिर्फ अमीर

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 10 मई, 2016 01:51 PM
  • 10 मई, 2016 01:51 PM
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अब रसोईं गैस पर सब्सिडी कालाभ लेने के लिए अपना इंकम टैक्स रिटर्न दिखाइए. वहीं सरकार को जब उपभोक्ताओं से टैक्स वसूलना होता है तो वह पेट्रोल और डीजल जैसे जरूरी इंधन पर अमीर और गरीब से एक जैसा टैक्स वसूलती है.

एलपीजी सब्सिडी का फायदा सीमित लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गिव इट अप ड्राइव का असर दिखना बंद हो चुका है. लिहाजा अब केन्द्र सरकार इस तैयारी में है कि वह सभी एलपीजी धारकों का इन्कम टैक्स रिटर्न देखकर ही उसे सस्ते दर वाले एलपीजी सिलेंडर की सुविधा दे. इसके लिए सभी उपभोक्ताओं को एलपीजी डीलर के पास अपने इन्कम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा करानी होगी. इसकी मदद से डीलर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक की आय वाले उपभोक्ताओं को सस्ते गैस सिलेंडर देना बंद कर देगा.

लिहाजा, केन्द्र सरकार इन्कम टैक्स रिटर्न को आधार बनाकर यह सुनिश्चित करेगी कि देश के अमीर आदनी को एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा न मिले. अब सवाल यह उठता है कि क्या जब सरकार को सब्सिडी का लाभ पहुंचाना है तो वह अमीर और गरीब में अंतर करने के लिए उपभोक्ताओं का इन्कम टैक्स देखे? लेकिन जब उसे उसी उपभोक्ता को पेट्रोल और डीजल जैसा इंधन बेचना होता है तो वह बिना किसी भेदभाव के सभी से एक समान टैक्स वसूल लेती है. क्या यह जरूरी नहीं कि सरकार को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स वसूलने के लिए भी अमीर और गरीब का फर्क करने की जरूरत है?

 एलपीजी सिलेंडर और सब्सिडी

क्या 5 लाख रुपये की मारुती कार और 1 करोड़ रुपये की मर्सिडीज कार रखने वाले को पेट्रोल और डीजल बेचने में सरकार एक जैसा टैक्स वसूल करेगी? क्या 40 हजार रुपये की मोटर साइकिल और 5 लाख रुपये की मारुती कार वाले को पेट्रोल और डीजल पर एक समान टैक्स उचित है? क्या सरकार को यह नहीं चाहिए कि वह जिस नियम से सब्सिडी का लाभ जनता तक पहुंचाने की कोशिश में है (टैक्स रिटर्न को अमीरी और गरीबी का आधार बनाकर), उसी नियम के तहत वह...

एलपीजी सब्सिडी का फायदा सीमित लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गिव इट अप ड्राइव का असर दिखना बंद हो चुका है. लिहाजा अब केन्द्र सरकार इस तैयारी में है कि वह सभी एलपीजी धारकों का इन्कम टैक्स रिटर्न देखकर ही उसे सस्ते दर वाले एलपीजी सिलेंडर की सुविधा दे. इसके लिए सभी उपभोक्ताओं को एलपीजी डीलर के पास अपने इन्कम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा करानी होगी. इसकी मदद से डीलर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक की आय वाले उपभोक्ताओं को सस्ते गैस सिलेंडर देना बंद कर देगा.

लिहाजा, केन्द्र सरकार इन्कम टैक्स रिटर्न को आधार बनाकर यह सुनिश्चित करेगी कि देश के अमीर आदनी को एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा न मिले. अब सवाल यह उठता है कि क्या जब सरकार को सब्सिडी का लाभ पहुंचाना है तो वह अमीर और गरीब में अंतर करने के लिए उपभोक्ताओं का इन्कम टैक्स देखे? लेकिन जब उसे उसी उपभोक्ता को पेट्रोल और डीजल जैसा इंधन बेचना होता है तो वह बिना किसी भेदभाव के सभी से एक समान टैक्स वसूल लेती है. क्या यह जरूरी नहीं कि सरकार को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स वसूलने के लिए भी अमीर और गरीब का फर्क करने की जरूरत है?

 एलपीजी सिलेंडर और सब्सिडी

क्या 5 लाख रुपये की मारुती कार और 1 करोड़ रुपये की मर्सिडीज कार रखने वाले को पेट्रोल और डीजल बेचने में सरकार एक जैसा टैक्स वसूल करेगी? क्या 40 हजार रुपये की मोटर साइकिल और 5 लाख रुपये की मारुती कार वाले को पेट्रोल और डीजल पर एक समान टैक्स उचित है? क्या सरकार को यह नहीं चाहिए कि वह जिस नियम से सब्सिडी का लाभ जनता तक पहुंचाने की कोशिश में है (टैक्स रिटर्न को अमीरी और गरीबी का आधार बनाकर), उसी नियम के तहत वह पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर टैक्स लगाए? यानी अमीर आदमी से ज्यादा टैक्स और गरीब आदमी से कम टैक्स.

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में केन्द्र सरकार ने घोषणा की थी कि 10 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले उपभोक्ताओं को एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि घोषषा करते वक्त तय हुआ था कि इस स्कीम को लागू करने के लिए जनवरी 2016 से स्वेच्क्षा से घोषित करने के आधार पर लागू किया जाएगा.

केन्द्र सरकार के आंकड़ो के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के गिव इट अप ड्राइव के तहत जिन 70 लाख लोगों नें सब्सिडी का लाभ नहीं लेने का फैसला किया है उनमें अधिकांश लोग ऐसे हैं जिन्होंने नैचुरल गैस पाइपलाइन की सुविधा मिलने पर सब्सिडी नहीं लेने का फैसला किया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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