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आयुष्मान भारत: सवालों के घेरे में 'मोदी केयर'

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 02 फरवरी, 2018 09:01 PM
  • 02 फरवरी, 2018 08:59 PM
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देखना ये होगा कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम के तहत सरकार जो सुविधाएं गरीबों को देने की योजना बना रही है वह गरीबों तक पहुंचती भी है या फिर सिर्फ बिचौलियों की कमाई का जरिया बनकर रह जाती है.

मोदी सरकार ने बजट में आयुष्मान भारत प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की है. जिस तरह अमेरिका में बराक ओबामा ने Obama care शुरू किया था, उसी तरह मोदी सरकार की इस योजना को भी भाजपा नेता Modi care के नाम से प्रचारित कर रहे हैं. यूं तो हर बार ही बजट में कुछ न कुछ घोषणाएं ऐसी होती हैं, जिनसे ऐसा लगता है मानो साल भर में ही देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ देखने को मिलता नहीं है. देखना ये होगा कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम के तहत सरकार जो सुविधाएं गरीबों को देने का वादा कर रही है, वह गरीबों तक पहुंचती भी हैं या फिर सिर्फ बिचौलियों की कमाई का जरिया बनकर रह जाती हैं. हेल्थ कवर देने की घोषणा मोदी सरकार ने 2014 के अपने घोषणा पत्र में ही की थी, लेकिन उसे लागू करने में करीब चार साल लग गए. कहीं ये योजना भी चुनाव से पहले जनता को दिया जाने वाला 'जुमला' न साबित हो जाए.

आगे बढ़ने से पहले आइए समझ लेते हैं क्या है आयुष्मान भारत प्रोग्राम :

भारत आयुष्मान प्रोग्राम के तहत दो स्कीम शुरू की जा रही हैं. पहली है 'नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम'. इसके तहत देश के करीब 10 करोड़ परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा का फायदा मिलेगा. यानी देश की करीब 40 फीसदी (करीब 50 करोड़ आबादी) गरीब जनता को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी. अभी तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब परिवारों के बीमा के लिए सरकार ने महज 30 हजार करोड़ रुपए आवंटित कर रखे थे, जिसके तहत साल में 30,000 रुपए का बीमा कवर ही मिलता था. पीएम मोदी ने दावा किया है कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम स्वास्थ्य के लिए चलाई जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना...

मोदी सरकार ने बजट में आयुष्मान भारत प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की है. जिस तरह अमेरिका में बराक ओबामा ने Obama care शुरू किया था, उसी तरह मोदी सरकार की इस योजना को भी भाजपा नेता Modi care के नाम से प्रचारित कर रहे हैं. यूं तो हर बार ही बजट में कुछ न कुछ घोषणाएं ऐसी होती हैं, जिनसे ऐसा लगता है मानो साल भर में ही देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ देखने को मिलता नहीं है. देखना ये होगा कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम के तहत सरकार जो सुविधाएं गरीबों को देने का वादा कर रही है, वह गरीबों तक पहुंचती भी हैं या फिर सिर्फ बिचौलियों की कमाई का जरिया बनकर रह जाती हैं. हेल्थ कवर देने की घोषणा मोदी सरकार ने 2014 के अपने घोषणा पत्र में ही की थी, लेकिन उसे लागू करने में करीब चार साल लग गए. कहीं ये योजना भी चुनाव से पहले जनता को दिया जाने वाला 'जुमला' न साबित हो जाए.

आगे बढ़ने से पहले आइए समझ लेते हैं क्या है आयुष्मान भारत प्रोग्राम :

भारत आयुष्मान प्रोग्राम के तहत दो स्कीम शुरू की जा रही हैं. पहली है 'नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम'. इसके तहत देश के करीब 10 करोड़ परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा का फायदा मिलेगा. यानी देश की करीब 40 फीसदी (करीब 50 करोड़ आबादी) गरीब जनता को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी. अभी तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब परिवारों के बीमा के लिए सरकार ने महज 30 हजार करोड़ रुपए आवंटित कर रखे थे, जिसके तहत साल में 30,000 रुपए का बीमा कवर ही मिलता था. पीएम मोदी ने दावा किया है कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम स्वास्थ्य के लिए चलाई जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना है.

दूसरी स्कीम है 'हेल्थ और वेलनेस सेंटर', जिसके लिए सरकार के 1200 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया है. आयुष्मान भारत के तहत ही 1.5 लाख सेंटर शुरू किए जाएंगे, जो गरीबों के घरों के पास स्वास्थ्य सुविधाएं देंगे. इन केंद्रों को चलाने के लिए सरकार ने कॉरपोरेट से भी सहयोग देने के लिए कहा है.

Ayushman Bharat Yojana is a path breaking initiative to provide quality and affordable healthcare. It will benefit approximately 50 crore Indians. The scale of this scheme is unparalleled and it will bring a paradigm shift in our health sector. #NewIndiaBudget pic.twitter.com/KA4kpDPVN5

— Narendra Modi (@narendramodi) February 1, 2018

सरकारी ही नहीं, निजी अस्पताल भी होंगे दायरे में

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट के दूसरे दिन शुक्रवार को एक ओपन हाउस मीटिंग में कहा कि 1 अप्रैल से लागू होने वाली इस योजना के तहत न केवल सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी, बल्कि चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में भी मुफ्त में इलाज होगा. जेटली ने यह भी साफ किया है कि वह कैशलेस इलाज पर फोकस कर रहे हैं. पहले अपने पैसों से इलाज करवा कर फिर बीमा की रकम पाने के लिए भटकने का झंझट नहीं रहेगा. आयुष्मान भारत के तहत शुरू किए जाने वाले सभी 1.5 लाख केंद्रों में जरूरी दवाइयां और जांच सेवाएं मुफ्त होंगी. जच्चा-बच्चा की भी देखभाल की जा सकेगी. इनमें बीपी, डाइबिटीज और टेंशन पर नियंत्रण पाने के लिए भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा.

कहीं इंश्‍योरेंस कंपनियों की ना हो जाए चांदी

आयुष्मान भारत प्रोग्राम से जुड़े एक सरकारी अधिकारी के अनुसार इस योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार को हर साल प्रति परिवार करीब 1100 रुपए खर्च करने होंगे. यानी अगर कुल खर्च निकाला जाए तो सरकार को साल भर में इस योजना पर करीब 11,000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. यहां सबसे बड़ी चुनौती होगी आयुष्मान भारत प्रोग्राम को सही से लागू करने की. ऐसा ना हो कि इस स्कीम का फायदा गरीबों तक पहुंचने से पहले ही इंश्योरेंस कंपनियों की चांदी हो जाए और गरीब फिर से इलाज के लिए धक्के खाता रहे. 

चलते-चलते जान लीजिए क्या है ओबामा केयर?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए एक हेल्थकेयर प्लान शुरू किया था, जिसे ओबामाकेयर के नाम से जाना जाता है. इसका आधिकारिक नाम 'द पेशंट प्रोटेक्शन ऐंड अफॉर्डेबल केयर ऐक्ट' (पीपीएसीए) है. इसे लेकर 23 मार्च 2010 को कानून बनाया गया था. इसका मकसद था कि हेल्थ इंश्योरेंस की क्वॉलिटी और अफोर्डिबिलिटी को बढ़ाया जाए, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं पर लोगों की ओर से खर्च की जाने वाली रकम में कटौती हो और आम जनता को फायदा पहुंचे. 

आइए जानते हैं दोनों में फर्क-

- ओबामा केयर के तहत करीब 2.5 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने की घोषणा की गई थी. वहीं दूसरी ओर मोदी केयर के तहत करीब 50 करोड़ लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने का वादा किया जा रहा है.

- ओबामा केयर को न केवल हेल्थ इंश्योरेंस और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित रखा गया था, बल्कि डॉक्टरों का वेतन, जिससे कि हेल्क केयर सुविधाएं महंगी हो जाती हैं, उसे लेकर भी पॉलिसी बनाई गई थी. रेस्टोरेंट और आइसक्रीम पार्लर को अपने मेन्यू में खाने के सामने कैलोरी के बारे में भी बताना जरूरी था. वहीं दूसरी ओर मोदी केयर में ऐसा कुछ भी नहीं बताया गया है. और यह बात तो किसी से भी छुपी नहीं है कि भारत के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हमेशा रहती है.

- ओबामा केयर में इंश्योरेंस कंपनियों को यह इजाजत नहीं थी कि वह किसी शख्स का हेल्थ कवरेज के लिए सिर्फ इसलिए मना कर दें कि उसे पहले से कोई बीमारी है. वहीं मोदी केयर में अभी तक इसे लेकर साफ तस्वीर सामने नहीं आ सकी है.

हेल्थ केयर सिस्टम को मजबूत बनाने की मोदी सरकार की तमाम कोशिशें कितनी सफल होती हैं, उसकी हकीकत तो भारत आयुष्मान प्रोग्राम की शुरुआत होने के बाद ही पता चलेगी. सरकार को इस योजना को लागू करते हुए यह जरूर ध्यान रखना होगा कि उसका फायदा गरीब जनता तक पहुंचे, क्योंकि अधिकतर गरीब जनता को फायदे सिर्फ इसलिए नहीं मिल पाते क्योंकि उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती है. ऐसे में आयुष्मान भारत प्रोग्राम को लागू करते समय गरीबों में इसकी जागरुकता फैलाने के लिए भी कोई मुहिम चलाना जरूरी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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