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ब्रेक्जिट की चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं हम

    • अरुण जेटली
    • Updated: 24 जून, 2016 02:10 PM
  • 24 जून, 2016 02:10 PM
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यूनाइटेड किंग्डम में यूरोपियन यूनियन से बाहर आने के लिए हुए रेफरेंडम के नतीजे के बाद अपने पांच दिवसीय चीन दौरे पर पहुंचे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया है कि देश की अर्थव्यवस्था इस नतीजे से मिलने वाली हर चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार है.

यूनाइटेड किंगडम के लोगों ने इस विषय पर अपना मत दे दिया है कि वे यूरोपियन यूनियन में रहेंगे या नहीं. हम इस जनमत संग्रह का सम्मान करते हैं. लेकिन, साथ ही हम इस बात से भी वाकिफ है कि इसका अगले कुछ दिनों में और भविष्य में क्या असर होगा. जैसा कि मैं पहले भी कहता रहा हूं, अस्थिरता और अनिश्चितता इस वैश्वीकरण की दुनिया की नई शर्ते हैं. निश्चित रूप से यह फैसला भी अस्थिरता को और बढ़ाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यूके, यूरोप और पूरी दुनिया में इस फैसले का असर क्या होगा, यह भी अभी अनिश्चित है. लेकिन पूरी दुनिया के देशों को इस जनमत संग्रह से आए नतीजों के असर के लिए तैयार और अलर्ट रहना होगा.

जहां तक भारत की अर्थव्यवस्था का सवाल है तो हम ब्रेक्सिट के तत्काल प्रभाव और आगे के लिए भी तैयार हैं. हम पूरी तरह से अपने मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचे और इसके स्थायित्व के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचे का आधार ऐसा है कि इस पर बाहरी परिस्थितियों का ज्यादा असर नहीं पड़ता. जमा राजस्व और मुद्रास्फीति की दर कम रखने के प्रति भी हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हम तात्कालिक और मध्यावधि प्रभावों के लिए भी तैयार हैं और हमारा राजस्व मजबूत स्थिति में है.

 

वैश्विक अशांति के इस दौर में जब निवेशक सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं तब विकास और स्थायित्व के आयाम में भारत सबसे अग्रणी है. जैसा कि आप सभी भलीभांति जानते हैं कि आज दुनिया की अहम अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेज विकास देने वाले देशों में शुमार है. हमारे यहां तेज विकास और महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिशों को अच्छे मानसून के अगाज से और सहारा मिल रहा है.

किसी लघु अवधि के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए हमारी सरकार,...

यूनाइटेड किंगडम के लोगों ने इस विषय पर अपना मत दे दिया है कि वे यूरोपियन यूनियन में रहेंगे या नहीं. हम इस जनमत संग्रह का सम्मान करते हैं. लेकिन, साथ ही हम इस बात से भी वाकिफ है कि इसका अगले कुछ दिनों में और भविष्य में क्या असर होगा. जैसा कि मैं पहले भी कहता रहा हूं, अस्थिरता और अनिश्चितता इस वैश्वीकरण की दुनिया की नई शर्ते हैं. निश्चित रूप से यह फैसला भी अस्थिरता को और बढ़ाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यूके, यूरोप और पूरी दुनिया में इस फैसले का असर क्या होगा, यह भी अभी अनिश्चित है. लेकिन पूरी दुनिया के देशों को इस जनमत संग्रह से आए नतीजों के असर के लिए तैयार और अलर्ट रहना होगा.

जहां तक भारत की अर्थव्यवस्था का सवाल है तो हम ब्रेक्सिट के तत्काल प्रभाव और आगे के लिए भी तैयार हैं. हम पूरी तरह से अपने मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचे और इसके स्थायित्व के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचे का आधार ऐसा है कि इस पर बाहरी परिस्थितियों का ज्यादा असर नहीं पड़ता. जमा राजस्व और मुद्रास्फीति की दर कम रखने के प्रति भी हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हम तात्कालिक और मध्यावधि प्रभावों के लिए भी तैयार हैं और हमारा राजस्व मजबूत स्थिति में है.

 

वैश्विक अशांति के इस दौर में जब निवेशक सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं तब विकास और स्थायित्व के आयाम में भारत सबसे अग्रणी है. जैसा कि आप सभी भलीभांति जानते हैं कि आज दुनिया की अहम अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेज विकास देने वाले देशों में शुमार है. हमारे यहां तेज विकास और महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिशों को अच्छे मानसून के अगाज से और सहारा मिल रहा है.

किसी लघु अवधि के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए हमारी सरकार, रिजर्व बैंक और अन्य नियामक एक साथ काम करते हुए पूरी तरह से तैयार हैं. हमारी लक्ष्य किसी भी लघु अवधि के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करते हुए अर्थव्यवस्था पर उसके कुप्रभाव को रोकना है. इसके साथ ही मध्यम अवधि में हम अपने महत्वाकांक्षी सुधारों के एजेंडे पर आगे बढ़ते रहेंगे. इसमें जीएसटी को जल्द से जल्द लागू कराना भी शामिल है क्योंकि इससे हमें अपने अपेक्षित विकास के लक्ष्य को पाने के लिए मध्यम अवधि में विकास दर को 8 से 9 फीसदी ले जाने में मदद मिलेगी.

(यह मैसेज सबसे पहले वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है.)

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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