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अमेजन-फ्लिपकार्ट की लड़ाई से साफ है कि दोनों में से कोई तो हमें बेवकूफ बना रहा है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 27 जनवरी, 2018 12:42 PM
  • 27 जनवरी, 2018 12:42 PM
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इन दिनों अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों ही ये दावा करने में लगे हुए हैं कि उन्होंने ज्यादा कमाई की है. सोचने की बात ये है कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है? या तो अमेजन ने ही अधिक कमाया होगा या फिर फ्लिपकार्ट ने.

कभी किसी दुकानदार से पूछ कर देखिए कि धंधा कैसा चल रहा है, जवाब मिलेगा बस दाल-रोटी का जुगाड़ हो जाता है या कोई ये भी कह देगा कि ठीक-ठाक चल रहा है. कभी किसी दुकान वाले को ये कहते आप नहीं सुनेंगे कि मैं तो खूब कमाई कर रहा हूं. ऐसा तो कोई मिलेगा ही नहीं जो कह दे कि वह तो पड़ोस की दुकान से दोगुना कमा रहा है. लेकिन ऑनलाइन बिजनेस में ऐसा नहीं है. ऑनलाइन बिजनेस में ऐसी लड़ाई खूब होती है. इन दिनों अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों ही ये दावा करने में लगे हुए हैं कि हाल ही में आयोजित सेल में उन्होंने ज्यादा कमाई की है. सोचने की बात ये है कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है? या तो अमेजन ने ही अधिक कमाया होगा या फिर फ्लिपकार्ट ने, लेकिन दोनों ही खुद को एक दूसरे से अच्छा बताने के लिए भिड़े पड़े हैं.

ग्राहकों को बेवकूफ बनाने की कोशिश

अमेजन ने 21-24 जनवरी तक ग्रेट इंडियन सेल का आयोजन किया था और फ्लिपकार्ट ने 21-23 जनवरी के बीच रिपब्लिक डे सेल का आयोजन किया था. अमेजन ने वाइस प्रेसिडेंट मनीष तिवारी ने कैंटर आईएमआरबी के आंकड़ों (Kantar IMRB's survey) का हवाला देते हुए कहा है कि अमेजन ने प्रतिद्वंद्वी कंपनी से दोगुना बिजनेस किया. वहीं दूसरी ओर फ्लिपकार्ट की सीनियर डायरेक्टर स्मृति रविचंद्रन ने अमेजन के दावे को गलत बता दिया है. फ्लिपकार्ट ने कहा है कि वह अभी भी ई-रिटेलर्स में सबसे आगे है और सेल के दौरान 60-65 फीसदी ऑर्डर मिलने का दावा किया है. कौन सही है और कौन गलत ये तो अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना जरूर साफ होता है कि कोई न कोई कंपनी ग्राहकों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है.

पुरानी है ये लड़ाई

अमेजन और फ्लिपकार्ट के बीच की लड़ाई काफी पहले से चली आ रही है. दोनों ही एक दूसरे से आगे होने का दावा करती हैं. सितंबर 2017 में फ्लिपकार्ट की 'बिग बिलियन डेज...

कभी किसी दुकानदार से पूछ कर देखिए कि धंधा कैसा चल रहा है, जवाब मिलेगा बस दाल-रोटी का जुगाड़ हो जाता है या कोई ये भी कह देगा कि ठीक-ठाक चल रहा है. कभी किसी दुकान वाले को ये कहते आप नहीं सुनेंगे कि मैं तो खूब कमाई कर रहा हूं. ऐसा तो कोई मिलेगा ही नहीं जो कह दे कि वह तो पड़ोस की दुकान से दोगुना कमा रहा है. लेकिन ऑनलाइन बिजनेस में ऐसा नहीं है. ऑनलाइन बिजनेस में ऐसी लड़ाई खूब होती है. इन दिनों अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों ही ये दावा करने में लगे हुए हैं कि हाल ही में आयोजित सेल में उन्होंने ज्यादा कमाई की है. सोचने की बात ये है कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है? या तो अमेजन ने ही अधिक कमाया होगा या फिर फ्लिपकार्ट ने, लेकिन दोनों ही खुद को एक दूसरे से अच्छा बताने के लिए भिड़े पड़े हैं.

ग्राहकों को बेवकूफ बनाने की कोशिश

अमेजन ने 21-24 जनवरी तक ग्रेट इंडियन सेल का आयोजन किया था और फ्लिपकार्ट ने 21-23 जनवरी के बीच रिपब्लिक डे सेल का आयोजन किया था. अमेजन ने वाइस प्रेसिडेंट मनीष तिवारी ने कैंटर आईएमआरबी के आंकड़ों (Kantar IMRB's survey) का हवाला देते हुए कहा है कि अमेजन ने प्रतिद्वंद्वी कंपनी से दोगुना बिजनेस किया. वहीं दूसरी ओर फ्लिपकार्ट की सीनियर डायरेक्टर स्मृति रविचंद्रन ने अमेजन के दावे को गलत बता दिया है. फ्लिपकार्ट ने कहा है कि वह अभी भी ई-रिटेलर्स में सबसे आगे है और सेल के दौरान 60-65 फीसदी ऑर्डर मिलने का दावा किया है. कौन सही है और कौन गलत ये तो अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना जरूर साफ होता है कि कोई न कोई कंपनी ग्राहकों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है.

पुरानी है ये लड़ाई

अमेजन और फ्लिपकार्ट के बीच की लड़ाई काफी पहले से चली आ रही है. दोनों ही एक दूसरे से आगे होने का दावा करती हैं. सितंबर 2017 में फ्लिपकार्ट की 'बिग बिलियन डेज सेल' के दौरान बेंगलुरु की रिसर्च फर्म रेडशीर कंसल्टिंग ने दावा किया था कि फ्लिपकार्ट ने करीब 58 बाजार पर कब्जा किया. जबकि इस रिपोर्ट में अमेजन का शेयर पिछले साल के 32 फीसदी से भी कम होकर 26 फीसदी तक पहुंच गया बताया गया. इसके बाद अमेजन ने बेंगलुरु की रिसर्च फर्म पर निशाना साधा था और उसकी रिसर्च को गलत बता दिया था. आपको बता दें कि 20-24 सितंबर तक बिग बिलियन डेज सेल चली थी और 21-24 सितंबर तक ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल चली थी. वहीं अगर बात स्नैपडील की करें तो वित्त वर्ष 2017 में कंपनी की कमाई में 40 फीसदी की गिरावट आई है और कंपनी की कमाई सिर्फ 903 करोड़ रुपए रह गई है. 2016 में कंपनी की ये कमाई 3,315 करोड़ रुपए थी.

सेल में डिस्काउंट? या फर्जीवाड़ा?

ये कोई छुपी बात नहीं है कि अलग-अलग ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल पर एक ही प्रोडक्ट की कीमतें अलग-अलग हो सकती हैं. जो प्रोडक्ट आपको फ्लिपकार्ट पर 10,000 रुपए का दिखेगा, हो सकता है वो अमेजन पर 12,000 का हो या फिर इसका उल्टा भी हो सकता है. जब आपको सेल में डिस्काउंट दिया जाता है तो वो डिस्काउंट उसी कीमत पर होता है. ऐसे में जिस शॉपिंग पोर्टल पर आपके प्रोडक्ट की कीमत अधिक होगा वहां आपको अधिक डिस्काउंट देखने को मिलेगा, जो किसी फर्जीवाड़े से कम नहीं है. आखिर किसी प्रोडक्ट की एमआरपी अलग-अलग कैसे हो सकती है. एमआरपी अधिक दिखाने से कंपनी को अधिक डिस्काउंट देने का फायदा मिलता है, जिससे ग्राहक आकर्षित होते हैं.

कंपनियां करती हैं एक दूसरे की जासूसी

फिल्मों में तो आपने खूब देखा होगा कि एक कंपनी दूसरी कंपनी के किसी कर्मचारी को पैसे देकर अपनी ओर कर लेती है. अगर आप वो सब काल्पनिक समझते हैं तो ये आपकी भूल है. दरअसल, वास्तविका में भी ऐसा होता है. यूपी पुलिस के सामने एक ऐसी ही शिकायत आई थी, जिसमें एक कंपनी पर दूसरी कंपनी ने उसके विक्रेताओं का डेटा चोरी करने का आरोप लगाया था. जांच में सामने आया कि कंपनी के डेटा के साथ छेड़छाड़ की गई थी और विक्रेताओं का नाम और ईमेल के अलावा कॉन्ट्रैक्ट की काफी गोपनीय जानकारियां भी चोरी हुई थीं, जो कि किसी अंदर के आदमी के बिना नहीं हो सकती है. यूं तो कॉरपोरेट सेक्टर में जासूसी और डेटा लीक जैसे गलत काम खूब होते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से अवैध है.

ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट की सेल वास्तव में कितनी हुई है, इसका आधिकारिक डेटा कंपनियां जारी नहीं करती हैं. दरअसल, ये कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं हैं, इसलिए उनके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह हर तिमाही में अपनी कमाई का डेटा सार्वजनिक करें. खुद को सही साबित करने का सबसे सही तरीका यही है कि कंपनियां हर तिमाही की कमाई का डेटा सार्वजनिक करें. लेकिन ये कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं और अगर कोई रिसर्च फर्म सैंपलिंग के आधार पर अनुमानित डेटा जारी करती है जो वो डेटा जिसके खिलाफ होता है, वो कंपनी रिसर्च फर्म के डेटा का विरोध ही करती है. ये काम कभी फ्लिपकार्ट करती है तो कभी अमेजन, क्योंकि यही दो ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां हैं जो एक-दूसरे को टक्कर देती हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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