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सर्विस चार्ज पर लगाम कसने वाला CCPA जान ले क्या होगा होटल-रेस्त्रां का Plan-B?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 जुलाई, 2022 10:37 PM
  • 05 जुलाई, 2022 10:37 PM
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लगातार ग्राहकों से शिकायतें मिलने के बाद CCPA ने बड़ा फैसला किया है अब होटल या रेस्त्रां में ग्राहकों को सर्विस चार्ज नहीं देना होगा. शिकायत के लिए एक हेल्पलाइन बनाई गयी है जहां ग्राहक अपनी शिकायत कर सकते हैं. चूंकि चाहे वो होटल हों या रेस्त्रां ये बेहद शातिर हैं तो कहीं न कहीं इनका भी प्लान बी बनकर तैयार है.

कभी तनावपूर्ण जीवन से राहत के नाम पर. तो कभी क्वालिटी टाइम बिताने के लिए, आदमी होटल या रेस्त्रां में जाता. लेकिन चुनौतियां यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती. भले ही भारी भरकम रेट देखने के बाद मन मारकर इक्का दुक्का चीजें आर्डर की हों लेकिन जब बिल आता है तो आदमी डर जाता. सहम जाता कारण था बिल पर लगने वाला सर्विस चार्ज. पता चला आदमी ने 10 रुपए के हिसाब से 3 रुमाली रोटी और 150 का हाफ प्लेट मिलने वाला पनीर बटर मसाला ही क्यों न आर्डर किया हो. लेकिन जब बिल आता तो वो 180 रुपए न होकर अलाने फलाने टैक्स के साथ 220 - 250 के बीच होता. वो तमाम लोग जो सर्विस चार्ज के सताए हुए थे उन्हें CCPA यानी सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी की तरफ से बड़ी राहत मिली है. अब ग्राहकों को होटल या रेस्त्रां में सर्विस चार्ज, जिसे हम सेवा शुल्क के नाम से भी जानते हैं नहीं देना होगा.

होटल या रेस्त्रां में लगाए जाने वाले सर्विस चार्ज के मद्देनजर CCPA को लम्बे समय से ग्राहकों से शिकायत मिल रही थी जिसे न केवल उसने गंभीरता से लिया बल्कि अपने दिशा निर्देश भी जारी किये हैं. जो आदेश इस संबंध में आया है यदि उसपर नजर डालें तो मिलता है कि कोई भी रेस्त्रां अपने यहां आने वाले को ग्राहक को सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर किसी तरह का सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता.

होटल्स और रेस्त्रां में सर्विस चार्ज देने वाले ग्राहकों को सबसे अच्छी खबर सीसीपीए ने दी है

सीसीपीए ने सर्विस चार्ज को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार देते हुए ऐसे स्थानों पर स्वचालित रूप से या बिल में डिफॉल्ट रूप से सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगा दी है.आदेश के पीछे जो तर्क CCPA की तरफ से पेश किया गया है वो भी कम रोचक नहीं है. CCPA ने कहा है कि होटल और रेस्त्रां में दिए जाने वाले खाने की कीमत में फूड और सर्विस पहले से ही...

कभी तनावपूर्ण जीवन से राहत के नाम पर. तो कभी क्वालिटी टाइम बिताने के लिए, आदमी होटल या रेस्त्रां में जाता. लेकिन चुनौतियां यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती. भले ही भारी भरकम रेट देखने के बाद मन मारकर इक्का दुक्का चीजें आर्डर की हों लेकिन जब बिल आता है तो आदमी डर जाता. सहम जाता कारण था बिल पर लगने वाला सर्विस चार्ज. पता चला आदमी ने 10 रुपए के हिसाब से 3 रुमाली रोटी और 150 का हाफ प्लेट मिलने वाला पनीर बटर मसाला ही क्यों न आर्डर किया हो. लेकिन जब बिल आता तो वो 180 रुपए न होकर अलाने फलाने टैक्स के साथ 220 - 250 के बीच होता. वो तमाम लोग जो सर्विस चार्ज के सताए हुए थे उन्हें CCPA यानी सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी की तरफ से बड़ी राहत मिली है. अब ग्राहकों को होटल या रेस्त्रां में सर्विस चार्ज, जिसे हम सेवा शुल्क के नाम से भी जानते हैं नहीं देना होगा.

होटल या रेस्त्रां में लगाए जाने वाले सर्विस चार्ज के मद्देनजर CCPA को लम्बे समय से ग्राहकों से शिकायत मिल रही थी जिसे न केवल उसने गंभीरता से लिया बल्कि अपने दिशा निर्देश भी जारी किये हैं. जो आदेश इस संबंध में आया है यदि उसपर नजर डालें तो मिलता है कि कोई भी रेस्त्रां अपने यहां आने वाले को ग्राहक को सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर किसी तरह का सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता.

होटल्स और रेस्त्रां में सर्विस चार्ज देने वाले ग्राहकों को सबसे अच्छी खबर सीसीपीए ने दी है

सीसीपीए ने सर्विस चार्ज को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार देते हुए ऐसे स्थानों पर स्वचालित रूप से या बिल में डिफॉल्ट रूप से सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगा दी है.आदेश के पीछे जो तर्क CCPA की तरफ से पेश किया गया है वो भी कम रोचक नहीं है. CCPA ने कहा है कि होटल और रेस्त्रां में दिए जाने वाले खाने की कीमत में फूड और सर्विस पहले से ही शामिल होते हैं.

CCPA का तर्क ये भी है कि अथॉरिटी ने चाहे कोई भी होटल हो या फिर रेस्त्रां वो किसी भी उपभोक्ता को सर्विस चार्ज कापेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. भले ही सर्विस चार्ज स्वैच्छिक, वैकल्पिक हो. लेकिन अब जबकि इसपर नकेल कास ही दी गयी है. तो उस हेल्पलाइन नंबर को इस समस्या की निजात के लिए एक बड़ा क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है. जिसे लाने का उद्देश्य ही ये है कि होटल या रेस्त्रां ग्राहकों पर न तो मनमानी न कर सकें न हो अतिरिक्त व्यय उनपर थोप सकें.

गौरतलब है कि सीसीपीए के निर्देशों में इस बात का भी जिक्र है कि यदि ग्राहक पाता है कि कोई होटल या रेस्त्रां दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर उनसे जबरदस्ती सर्विस चार्ज ले रहा है तो वो राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर 1915 के जरिये कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

कस्टमर अपनी शिकायत www.e-daakhil.nic पर भी दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा ग्राहकों के पास अपनी शिकायत जिला कलेक्टर के पास दर्ज कराने का भी विकल्प है. यदि ग्राहक सीधे कलेक्टर के पास आता है तो मामले की जांच होगी और उसी के बाद दर्ज शिकायत को सीसीपीए के पास भेजा जाएगा.

विषय बहुत सीधा है. हो सकता है उपरोक्त बातों को पढ़ने या उन्हें समझने के बाद ग्राहकों को ये महसूस हो कि उन्हें राहत मिल गयी है तो ऐसा बिलकुल नहीं है. ध्यान रहे फ़ूड इंडस्ट्री का शुमार देश की उन इंडस्ट्रीज में है जिनके अपने नियम कानून हैं. जिनके अपने सिद्धांत हैं. धंधे में मोनोपॉली का आलम कुछ यूं है कि कई बार होटल या रेस्त्रां ऐसे फैसले ले लेते हैं जिनके बाद चाह कर भी एक ग्राहक कुछ नहीं कर पाता.

बहरहाल अब जबकि CCPA ने सर्विस चार्ज के तहत अपना फैसला ले ही लिया है. तो बतौर ग्राहक हमें तब हैरत में बिलकुल नहीं आना चाहिए. जब हम अपने मन पसंद रेस्त्रां या होटल जाएं और वहां पर जो चिकन बिरयानी हम बड़े चाव से 200 रुपए की दर से खाते थे. उसकी कीमत हमें मेनू कार्ड में 300 रुपए दिखे. या फिर वो अफगानी कबाब जिसकी सींक हमें पहले 150 रुपए में मिलती थी अब आगे हमें उसके लिए 200 रूपये खर्च करने पड़ें.

हमें इस बात को समझना होगा कि चाहे वो होटल हों या रेस्त्रां सारा खेल मुनाफे का है. और जब जब बात मुनाफे की आएगी तो उसके लिए ये किसी भी सीमा पर जा सकते हैं. हमें याद रखना होगा कि CCPA द्वारा सर्विस चार्ज पर लगाम कैसे जाने के बाद अगर होटल या रेस्त्रां ने अपने मेनू में फेर बदल की तो हम या कोई और चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएंगे. होटल और रेस्त्रां ने एक ग्राहक के रूप में हमें पहले भी ठगा था और ये क्रम आगे भी बदस्तूर जारी रहेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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