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आखिर क्यों नवरात्रि में लहसुन प्याज खाने की होती है मनाही, जानिए...

    • आईचौक
    • Updated: 23 मार्च, 2018 02:53 PM
  • 23 मार्च, 2018 02:52 PM
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नवरात्रि के कई नियमों में से एक ये है कि इन दिनों लहसुन और प्याज के बिना खाना बनाया जाता है और घर का कोई भी सदस्य इन्हें नहीं खाता, पर क्या कोई जानता है कि इसका कारण क्या है?

नवरात्रि चल रही है और इस दौरान व्रत उपास रखने के साथ-साथ लोग अपने घरों में लहसुन प्याज का इस्तेमाल बंद कर देते हैं. ये बात तो ठीक है कि इस दौरान शराब या किसी भी तरह के नशे को हाथ नहीं लगाते, साथ ही किसी जीव की हत्या भी नहीं करते और इसीलिए चिकन-मटन आदि खाना बंद कर दिया जाता है. पर आखिर लहसुन प्याज में क्या दिक्कत है? ये तो शाकाहारी है, खेतों में उगाए जाते हैं. फिर क्यों ऐसा कहा जाता है कि लहसुन प्याज नवरात्रि में बंद कर दिया जाए?

इसे समझने के लिए पहले शास्त्रों में अलग-अलग वर्गों में विभाजित भोजन के बारे में जानना जरूरी है. शास्त्रों के हिसाब से जो खाना हम खाते हैं वो तीन भागों में विभाजित है. पहला तामसिक, दूसरा राजसिक और तीसरा सात्विक.

नवरात्रि में सात्विक भोजन..

सात्विक भोजन को सबसे शुद्ध माना जाता है और इस भोजन को ही शरीर के लिए सेहतमंद भी कहा गया है. सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है. पकाया हुआ भोजन यदि 3-4 घंटे के भीतर सेवन किया जाता है तो इसे सात्विक माना जाता है. इसमें ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम आदि, अनाज और ताजा दूध. फलों का रस, आम सब्जियां, बिना ज्यादा तेल मसाले का खाना आता है. नवरात्रि में सात्विक भोजन करने का विधान है और इसमें लहसुन प्याज शामिल नहीं है. इसलिए शास्त्रों के हिसाब से लहसुन प्याज का सेवन करना गलत है.

राजसिक भोजन..

राजसिक भोजन वो होता है जो खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट लगता है और साथ ही साथ इनमें अलग तरह की गंध होती है. ऐसी गंध जो मुंह में काफी लंबे समय तक रहती है. लहसुन, प्याज, मशरूम जैसे पौधे राजसिक भोजन में आते हैं. इस तरह का भोजन काफी मसाले के साथ पकाया जाता है. ये ब्राह्मण, जैन धर्म शास्‍त्रों में इन्‍हें...

नवरात्रि चल रही है और इस दौरान व्रत उपास रखने के साथ-साथ लोग अपने घरों में लहसुन प्याज का इस्तेमाल बंद कर देते हैं. ये बात तो ठीक है कि इस दौरान शराब या किसी भी तरह के नशे को हाथ नहीं लगाते, साथ ही किसी जीव की हत्या भी नहीं करते और इसीलिए चिकन-मटन आदि खाना बंद कर दिया जाता है. पर आखिर लहसुन प्याज में क्या दिक्कत है? ये तो शाकाहारी है, खेतों में उगाए जाते हैं. फिर क्यों ऐसा कहा जाता है कि लहसुन प्याज नवरात्रि में बंद कर दिया जाए?

इसे समझने के लिए पहले शास्त्रों में अलग-अलग वर्गों में विभाजित भोजन के बारे में जानना जरूरी है. शास्त्रों के हिसाब से जो खाना हम खाते हैं वो तीन भागों में विभाजित है. पहला तामसिक, दूसरा राजसिक और तीसरा सात्विक.

नवरात्रि में सात्विक भोजन..

सात्विक भोजन को सबसे शुद्ध माना जाता है और इस भोजन को ही शरीर के लिए सेहतमंद भी कहा गया है. सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है. पकाया हुआ भोजन यदि 3-4 घंटे के भीतर सेवन किया जाता है तो इसे सात्विक माना जाता है. इसमें ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम आदि, अनाज और ताजा दूध. फलों का रस, आम सब्जियां, बिना ज्यादा तेल मसाले का खाना आता है. नवरात्रि में सात्विक भोजन करने का विधान है और इसमें लहसुन प्याज शामिल नहीं है. इसलिए शास्त्रों के हिसाब से लहसुन प्याज का सेवन करना गलत है.

राजसिक भोजन..

राजसिक भोजन वो होता है जो खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट लगता है और साथ ही साथ इनमें अलग तरह की गंध होती है. ऐसी गंध जो मुंह में काफी लंबे समय तक रहती है. लहसुन, प्याज, मशरूम जैसे पौधे राजसिक भोजन में आते हैं. इस तरह का भोजन काफी मसाले के साथ पकाया जाता है. ये ब्राह्मण, जैन धर्म शास्‍त्रों में इन्‍हें अच्‍छा नहीं माना गया है. तर्क ये है कि राजसिक भोजन खाने से उत्‍तेजना या उन्‍माद बढ़ता है. ये भोजन ध्‍यान में विघ्‍न पैदा करता है.

तामसिक भोजन..

मन और शरीर दोनों को ये खाना सुस्त बनाता है. पचने में काफी समय लगता है और इसमें अंडा, मांस, मछली और सभी तरह का ऐसा खाना या पीना जिससे नशा हो सब आता है. इसके अलावा, बासी खाना भी तामसिक भोजन होता है.

कुल मिलाकर जिस खाने को पचाने में मुश्किल हो उस खाने को राजसिक और तामसिक भोजन में शामिल किया गया है. नवरात्रि में लहसुन प्याज न खाने का ये कारण भी है कि ऐसा माना जाता है कि ये खाना दिमाग को सुस्त बनाता है. व्रत उपास के दौरान पूजा की जाती है और कई अनुष्ठान होते हैं इसलिए दिमाग सा सुस्त होना सही नहीं माना जाएगा.

यही अहम कारण है कि नवरात्रि में लहसुन और प्याज खाने की मनाही होती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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