• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
संस्कृति

जब एक मुस्लिम ने बताया कि भारत में मुसलमान कैसे रहते हैं !

    • आईचौक
    • Updated: 16 सितम्बर, 2016 04:46 PM
  • 16 सितम्बर, 2016 04:46 PM
offline
सच है कि हमारी राजनीति में धर्म और जात-पात का गहरा घुसपैठ है. धर्म से जुड़े कई दंगों का कलंक हमारे देश के माथे पर लगा हुआ है. लेकिन एक सच ये भी है कि गंगा-जमुनी तहजीब इसी देश की पहचान है. पढ़िए, एक मुस्लिम युवक ने क्या कहा जब भारत के बारे में पूछा गया..

वेबसाइट क्वोरा डॉट कॉम ने कुछ दिन पहले एक सवाल रखा कि भारत में मुस्लिम क्या-क्या कर सकते हैं जो वो दूसरे देशों में नहीं कर सकते? फिर तो जवाबों की झड़ी लग गई. कई मुस्लिमों ने इसका जवाब दिया तो कई हिंदूओं ने भी. और ये सभी जवाब इतने दिलचस्प और दिल जीत लेने वाले हैं कि पढकर अपने आप चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है.

एक यूजर वकास अबदुल्ला ने लिखा कि उसकी स्कूल पढ़ाई लिखाई 'सरस्वती विद्या मंदिर' में हुई जिसे आरएसएस द्वारा चलाया जाता है. वो अपने क्लास में एक मात्र मुस्लिम थे. उन्होंने राम स्तुती, शिव स्तुती, हनुमान चालीसा, भोजन मंत्रा सहित कई हिंदू प्राथनाओं को सीखा. कई हिंदू त्योहार मनाए जिसमें जन्माष्टिमी उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है. मुस्लिम होने के बावजूद कभी किसी ने उनसे गलत बात नहीं कही. यहीं नहीं, वो गणित में कमजोर थे तो शिक्षक ने अपने घर बुलाकर उन्हें पढ़ाया और कभी इसके अलग से पैसे भी नहीं लिए.

ऐसे ही मोहम्मद खुर्शीद से लेकर शगुफा अजिज, फैजल खान ने अपने अनुभवों को साझा किया कि भारत में मुस्लिम या हिंदू होना आपकी जिंदगी, आपके करियर या आपके कामकाज के लिए पहली शर्त कतई नहीं है. लेकिन इन सब जवाबों के बीच हैदराबाद के एक युवक अहेफाज ए अजानी की पोस्ट खूब वायरल हो रही है.

 हैदराबाद के अहेफाज का जवाब..लाजवाब!

अहेफाज ने लिखा है कि भारत में मुस्लिम होना किसी आशिर्वाद से कम नहीं है. इसके बाद अहेफाज ने ये भी बताया कि इस बार उन्होंने बकरीद कैसे मनाई और देखते ही देखते उनका जवाब वायरल हो गया है. ..

क्या लिखा अहेफाज ने...

मैं सुबह 6 बजे जगा और हर रोज की तरह योग से अपने...

वेबसाइट क्वोरा डॉट कॉम ने कुछ दिन पहले एक सवाल रखा कि भारत में मुस्लिम क्या-क्या कर सकते हैं जो वो दूसरे देशों में नहीं कर सकते? फिर तो जवाबों की झड़ी लग गई. कई मुस्लिमों ने इसका जवाब दिया तो कई हिंदूओं ने भी. और ये सभी जवाब इतने दिलचस्प और दिल जीत लेने वाले हैं कि पढकर अपने आप चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है.

एक यूजर वकास अबदुल्ला ने लिखा कि उसकी स्कूल पढ़ाई लिखाई 'सरस्वती विद्या मंदिर' में हुई जिसे आरएसएस द्वारा चलाया जाता है. वो अपने क्लास में एक मात्र मुस्लिम थे. उन्होंने राम स्तुती, शिव स्तुती, हनुमान चालीसा, भोजन मंत्रा सहित कई हिंदू प्राथनाओं को सीखा. कई हिंदू त्योहार मनाए जिसमें जन्माष्टिमी उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है. मुस्लिम होने के बावजूद कभी किसी ने उनसे गलत बात नहीं कही. यहीं नहीं, वो गणित में कमजोर थे तो शिक्षक ने अपने घर बुलाकर उन्हें पढ़ाया और कभी इसके अलग से पैसे भी नहीं लिए.

ऐसे ही मोहम्मद खुर्शीद से लेकर शगुफा अजिज, फैजल खान ने अपने अनुभवों को साझा किया कि भारत में मुस्लिम या हिंदू होना आपकी जिंदगी, आपके करियर या आपके कामकाज के लिए पहली शर्त कतई नहीं है. लेकिन इन सब जवाबों के बीच हैदराबाद के एक युवक अहेफाज ए अजानी की पोस्ट खूब वायरल हो रही है.

 हैदराबाद के अहेफाज का जवाब..लाजवाब!

अहेफाज ने लिखा है कि भारत में मुस्लिम होना किसी आशिर्वाद से कम नहीं है. इसके बाद अहेफाज ने ये भी बताया कि इस बार उन्होंने बकरीद कैसे मनाई और देखते ही देखते उनका जवाब वायरल हो गया है. ..

क्या लिखा अहेफाज ने...

मैं सुबह 6 बजे जगा और हर रोज की तरह योग से अपने दिन की शुरुआत की. फिर आठ बजे तक कुर्ता-पयजामा पहन कर तैयार हुआ और मस्जिद के लिए निकल गया. फिर 10.30 बजे तक वापस आया और सभी रिश्तेदारों-दोस्तों से मिला.

दिन में करीब एक बजे लजीज मटन के लुत्फ लिए और दो बजे घर से बाहर निकल गया. इसके बाद करीब दो घंटे तक अपने हिंदू और ईसाई दोस्तों के साथ टेबल टेनिस खेला और घर वापस आ गया.

इसके बाद गणेश विसर्जन के लिए तैयार हुआ और पांच बजे गणेश पंडाल पहुंचा. वहां हम जोर-जोर से 'गणपति बप्पा मोरया' चिल्लाते रहे और इस गूंज के बीच जम कर हम सबने डांस किया. फिर करीब रात 10 बजे तक मैं घर लौट आया और कोई पहचान ही नहीं पाया कि मैं एक हिंदू नहीं हूं.

ऐसा केवल भारत में हो सकता है.

 

ये मेरी फोटो है...मेरे दोस्तों के साथ. इसमें लड़के और लड़कियां सभी एक साथ हैं. क्या आप पहचान सकते हैं कि इसमें कौन हिंदू है और कौन मुस्लिम?

नोट: इस कहानी को रोचक बनाने के लिए जरूर इसमें कुछ बातें बनावटी हैं लेकिन ये सच है कि मैं विसर्जन के लिए गया था.

ये भी है कि भारत में कोई पहचान ही नहीं सकता कि फलां आदमी शिया है या सुन्नी जब तक कि वो खुद नहीं बताता. यहां तक कि कोई मुस्लिम भी है तो वो फर्क भी केवल नाम से जाहिर हो पाता है.

अहेफाज ने अपने इस जवाब को फेसबुक पर भी साझा किया है और बताया कि उन्होंने इस जवाब को दिल से लिखा था. उम्मीद नहीं थी कि वायरल हो जाएगी.

वाकई, ये सच है कि हमारी राजनीति में धर्म और जात-पात का गहरा घुसपैठ है. ये भी सच है कि धर्म से जुड़े कई दंगों का कलंक हमारे देश के माथे पर लगा हुआ है. लेकिन इन सब से इतर एक सच ये भी है कि गंगा-जमुनी तहजीब भी इसी देश की पहचान है. इस देश के लिए विविधता में एकता की बात बस मुहावरा भर नहीं है. कितने भी सोशल एक्सपेरिमेंट कर लीजिए, निराश नहीं होंगे. गर्व महसूस होने लगेगा अपने आप पर.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    गीता मय हुआ अमेरिका... कृष्‍ण को अपने भीतर उतारने का महाभियान
  • offline
    वो पहाड़ी, जहां महाकश्यप को आज भी है भगवान बुद्ध के आने का इंतजार
  • offline
    अंबुबाची मेला : आस्था और भक्ति का मनोरम संगम!
  • offline
    नवाब मीर जाफर की मौत ने तोड़ा लखनऊ का आईना...
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲