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संस्कृति

गुरु पूर्णिमा पर सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण क्‍यों खास है

    • प्रवीण मिश्रा
    • Updated: 27 जुलाई, 2018 04:02 PM
  • 27 जुलाई, 2018 04:02 PM
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इस बार का चंद्र ग्रहण ज्यादा खास है क्योंकि हमारी पृथ्वी सूर्य और मंगल के बीच से होकर गुजर रही है. 2003 के बाद ऐसी स्थिति बनी है. इस बार मंगल पृथ्वी से सबसे नजदीक और साफ दिखाई देगा जो कि 15 साल बाद होने जा रहा है.

गुरू पूर्णिमा पर इस सदी का सबसे लंबे समय तक रहने वाला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. 104 साल के बाद 27 जुलाई की रात लगने वाला ये ग्रहण 3 घंटे 54 मिनट का रहेगा. इससे पहले 1914 में इतना लंबा ग्रहण लगा था.

इस बार का चंद्र ग्रहण ज्यादा खास है क्योंकि हमारी पृथ्वी सूर्य और मंगल के बीच से होकर गुजर रही है 27 जुलाई को मंगल अपनी बेस्ट पोजिशन पर होगा. 2003 के बाद ऐसी स्थिति बनी है. इस बार मंगल पृथ्वी से सबसे नजदीक और साफ दिखाई देगा जो कि 15 साल बाद होने जा रहा है.

चंद्रग्रहण का किस राशि पर होगा ज्यादा प्रभाव-

ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण मकर राशि पर लग रहा है. मकर राशि का स्वामी शनि को माना जाता है. लिहाजा इस बार ग्रहण के दौरान ग्रहों पर शनि और चंद्रमा का प्रभाव रहेगा. मकर के ठीक पहले धनु और बाद में कुंभ राशि आती है. धनु और कुंभ पर ज्यादा प्रभाव रहेगा.

क्या होता है ग्रहण?

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. 

गुरू पूर्णिमा पर इस सदी का सबसे लंबे समय तक रहने वाला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. 104 साल के बाद 27 जुलाई की रात लगने वाला ये ग्रहण 3 घंटे 54 मिनट का रहेगा. इससे पहले 1914 में इतना लंबा ग्रहण लगा था.

इस बार का चंद्र ग्रहण ज्यादा खास है क्योंकि हमारी पृथ्वी सूर्य और मंगल के बीच से होकर गुजर रही है 27 जुलाई को मंगल अपनी बेस्ट पोजिशन पर होगा. 2003 के बाद ऐसी स्थिति बनी है. इस बार मंगल पृथ्वी से सबसे नजदीक और साफ दिखाई देगा जो कि 15 साल बाद होने जा रहा है.

चंद्रग्रहण का किस राशि पर होगा ज्यादा प्रभाव-

ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण मकर राशि पर लग रहा है. मकर राशि का स्वामी शनि को माना जाता है. लिहाजा इस बार ग्रहण के दौरान ग्रहों पर शनि और चंद्रमा का प्रभाव रहेगा. मकर के ठीक पहले धनु और बाद में कुंभ राशि आती है. धनु और कुंभ पर ज्यादा प्रभाव रहेगा.

क्या होता है ग्रहण?

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. 

चंद्रग ग्रहण के समय क्या करें और क्या नहीं-

क्या ना करें :

* सूतक में भोजन ना करें. दूध, फल, जूस या सात्विक भोजन ले सकते हैं. गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग, बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता. वे लोग इस दौरान फल, जूस, पानी का सेवन कर सकते हैं.

* गर्भवती महिलाएं चाकू-छुरी से कुछ भी ना काटें.

* सूतक में सिलाई कढ़ाई का कार्य ना करें. विशेषकर से गर्भवती महिलाएं.

* भगवान की मूर्ति को स्पर्श ना करें.

* व्यसन से दूर रहें. अपराध बुरे काम, बुरे विचार और झूठ से दूर रहें. क्योंकि इस समय किये गए बुरे कार्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.

क्या करें :

* ग्रहण के बाद घी और खीर से हवन करें इससे आपको लाभ और लंबे रोग से छुटकारा मिलेगा.

* यदि चंदमा निर्बल है तो “ॐ चन्द्राय: नमः” मन्त्र का जप करें.

* यदि आप किसी तीर्थ स्थल पर हैं तो वह स्नान कर जप और दान करें.

* ग्रहण के उपरांत स्नान कर यथासंभव किसी जरूरतमंद को दान करें आपको इसका लाभ मिलेगा.

* विशेष: ग्रहण के दौरान तुलसी पत्ता तोड़ना निषेध है इसलिए सूतक से पहले तोड़ लें.

* दूध और दही में भी तुलसी पत्ता डाल दें.

* यदि कुछ विशेष भोजन है जो आप फेंकना नहीं चाहते तो उसमे सूतक से पहले तुलसी पत्ता डाल दें.

* सूतक के दौरान भोजन ना बनायें. सूतक से पहले भोजन तैयार कर लें और सूतक के दौरान ही समाप्त कर लें.

* धार्मिक पुस्तक पढ़ें.

* सोच को सकारात्मक रखें. अच्छे विचार और भाव मन में लायें.

* स्नान कर जो भी आपके आराध्य देव है उनका धयान करें.

क्या होता है सूतक-

सूतक का तात्पर्य खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति अधिक संवेदनशील होती है. अतः घटना दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है. इसलिए ऐसे समय में सचेत रहें और ईश्वर का धयान लगाएं. वैसे तो हम जीवन में भी नियमों का पालन करते हैं परंतु सूतक के दौरान हमें विशेष नियमों का पालन करना चाहिए. धर्म और शास्त्रों में बताया गया है कि सूतक में कौन-कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं.

काल : सूतक में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का काल अलग अलग होता है. यदि सूर्य ग्रहण आपके क्षेत्र में पड़ने वाला है और दिखाई दे रहा है चाहे कम समय के लिए ही क्यों ना हो उसकी धार्मिक मान्यता होती है. सूर्य ग्रहण में सूतक का प्रभाव 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण में सूतक का प्रभाव 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है.

ग्रहण का प्रभाव-

* जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होगा, अस्त होगा उन पर चंद्रग्रहण का प्रभाव ज्यादा हो सकता है. ऐसे लोग अचानक गलत फैसले कर सकते हैं.

* चंद्र ग्रहण के कारण विशेष रूप से कर्क रेखा क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप, सुनामी, चक्रवात, ज्वालामुखी विस्फोट और आगजनी की घटनाएं हो सकती हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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