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संस्कृति

महिषासुर पर महाभारत से पहले रामायण से जुड़े ये सच भी जान लीजिए...

    • विनीत कुमार
    • Updated: 26 फरवरी, 2016 05:09 PM
  • 26 फरवरी, 2016 05:09 PM
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भारत जैसे देश में जहां हर कुछ किलोमीटर के बाद भाषा, रहन-सहन यहां तक कि पूजा-पद्धतियां और रीति-रिवाज तक बदल जाते हैं, वहां ऐसे विवादों को जगह देना क्या वाकई जरूरी है? क्योंकि यह जानकर आप हैरान होंगे कि रामायण के ही करीब 300 संस्करण हैं.

देश के एक बड़े विश्वविद्यालय जेएनयू में महिषासुर दिवस मनाने पर भले ही विवाद मचा हो. लेकिन ये सच है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के कई संस्करण हैं. इसी देश में ऐसी जनजातियां और लोग हैं जो महिषासुर और रावण को पूजते हैं. तो इसी देश के कुछ ऐसे हिस्से भी हैं जहां राम को मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं माना जाता. प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन में दूसरा स्थान हासिल करने वाला शहर मैसूर महिषासुर के नाम पर ही है.

इसलिए गौर करना जरूरी है कि भारत जैसे विशाल देश में जहां हर कुछ किलोमीटर के बाद भाषा, रहन-सहन यहां तक कि पूजा-पद्धतियां और रीति-रिवाज तक बदल जाते हैं, वहां ऐसे विवादों को जगह देना क्या वाकई जरूरी है? क्योंकि यह जानकर आप हैरान होंगे कि रामायण के ही करीब 300 संस्करण हैं. जिसमें अलग-अलग बातें और कहानियां लिखी हुई हैं. कई बातें ऐसी भी होंगी जिससे आप परिचित नहीं हों. भारत से बाहर वर्मा, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, जापान, मंगोलिया, चीन तक में रामायण से जुड़े अनेक संस्करण मिलेंगे जिनमें लिखी बातें आपको अचरज में डाल देंगी. यही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में ही रामयाण से जुड़ी अनेक सुनी-अनसुनी कहानियां मौजूद हैं.

आईए आपको बताते हैं कि रामायण से जुड़ी कुछ अनोखी बातों के बारे में...

1. माना जाता है कि रामायण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत में वाल्मीकि द्वारा लिखा गया. इसके बाद भी कई लोगों ने रामायण को अपने-अपने तरीके से लिखा लेकिन जो संस्करण सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ वह था रामचरितमानस. इसे तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा. लेकिन इन दोनों ही मुख्य पुस्तकों में विरोधाभास हैं.

2. वाल्मीकि के रामायण में कहीं ये उल्लेख नहीं मिलता कि राम भगवान विष्णु के अवतार थे. राम के किरदार को मानवीय चरित्र के रूप में पेश किया गया और कुछ जगहों पर वाल्मीकि ने उनकी आलोचना से संकोच भी नहीं किया. जबकि तुलसीदास अपने रामचरितमानस में राम को भगवान की संज्ञा देते हैं. ऐसे ही वाल्मीकि रामायण में ये...

देश के एक बड़े विश्वविद्यालय जेएनयू में महिषासुर दिवस मनाने पर भले ही विवाद मचा हो. लेकिन ये सच है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के कई संस्करण हैं. इसी देश में ऐसी जनजातियां और लोग हैं जो महिषासुर और रावण को पूजते हैं. तो इसी देश के कुछ ऐसे हिस्से भी हैं जहां राम को मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं माना जाता. प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन में दूसरा स्थान हासिल करने वाला शहर मैसूर महिषासुर के नाम पर ही है.

इसलिए गौर करना जरूरी है कि भारत जैसे विशाल देश में जहां हर कुछ किलोमीटर के बाद भाषा, रहन-सहन यहां तक कि पूजा-पद्धतियां और रीति-रिवाज तक बदल जाते हैं, वहां ऐसे विवादों को जगह देना क्या वाकई जरूरी है? क्योंकि यह जानकर आप हैरान होंगे कि रामायण के ही करीब 300 संस्करण हैं. जिसमें अलग-अलग बातें और कहानियां लिखी हुई हैं. कई बातें ऐसी भी होंगी जिससे आप परिचित नहीं हों. भारत से बाहर वर्मा, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, जापान, मंगोलिया, चीन तक में रामायण से जुड़े अनेक संस्करण मिलेंगे जिनमें लिखी बातें आपको अचरज में डाल देंगी. यही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में ही रामयाण से जुड़ी अनेक सुनी-अनसुनी कहानियां मौजूद हैं.

आईए आपको बताते हैं कि रामायण से जुड़ी कुछ अनोखी बातों के बारे में...

1. माना जाता है कि रामायण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत में वाल्मीकि द्वारा लिखा गया. इसके बाद भी कई लोगों ने रामायण को अपने-अपने तरीके से लिखा लेकिन जो संस्करण सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ वह था रामचरितमानस. इसे तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा. लेकिन इन दोनों ही मुख्य पुस्तकों में विरोधाभास हैं.

2. वाल्मीकि के रामायण में कहीं ये उल्लेख नहीं मिलता कि राम भगवान विष्णु के अवतार थे. राम के किरदार को मानवीय चरित्र के रूप में पेश किया गया और कुछ जगहों पर वाल्मीकि ने उनकी आलोचना से संकोच भी नहीं किया. जबकि तुलसीदास अपने रामचरितमानस में राम को भगवान की संज्ञा देते हैं. ऐसे ही वाल्मीकि रामायण में ये उल्लेख भी है कि सीता के अलावा भी राम की कई पत्नियां थीं. राजा दशरथ की 300 से ज्यादा पत्नियां थी. रामचरितमानस में ऐसा नहीं है.

3. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के अलावा भी अलग-अलग देशों में रामायण के अलग-अलग संस्करण हैं. बुद्ध और जैन रामायण में तो एक अलग ही कहानी देखने को मिलती है. बौद्ध रामायण में दशरथ को वाराणसी का राजा और सीता को राम की पत्नी के साथ-साथ बहन के तौर पर भी बताया गया है. इस पर हमेशा विवाद रहा है. ऐसे ही जैन रामायण में रावण को किसी सुपरह्यूमन के तौर पर दिखाया गया है जो बादलों के बीच उड़ सकता है. यहां ये भी कहा गया कि रावण का वध राम ने नहीं लक्ष्मण ने किया था.

4. दशहरा के दिन पूरे देश में रावण का पुतला फूंका जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा, मंदसौर, रतलाम, इंदौर जैसे जिलों में कुछ जगहों पर 10 सिर वाले रावण की पूजा की जाती है. मंदसौर का नाम ही रावण की पत्नी मंदोदरी के नाम पर है और माना जाता है कि ये रावण का ससुराल है. मध्य प्रदेश के ही कन्याकुब्जा ब्राह्मण समुदाय के लोग ये भी मानते हैं कि रावण उनका पूर्वज था. विदिशा जिले में तो रावणग्राम नाम का एक गांव है और यहां रहने वाले 90 फीसदी लोग ब्राह्मण हैं.

 रावणग्राम में रावण का मंदिर

5. तमिलनाडु सहित दक्षिण के कुछ राज्यों में भी रावण की पूजा की जाती है. दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव का ही रुख कीजिए. माना जाता है कि इस गांव का नाम रावण के पिता विशरवा के नाम पर पड़ा है और इसी जगह रावण का जन्म हुआ था. इसके अलावा कानपुर, जोधपुर और आंध्र प्रदेश के काकिनाडा में रावण के मंदिर मौजूद हैं.

6. जहां देश के कई हिस्सों में रावण को पूजने की बात सामने आती है वहीं बिहार के मिथिला में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जो भगवान राम के प्रति अपनी नाराजगी जताते हैं. मिथिला सीता का मायका माना जाता है. याद कीजिए तो अभी कुछ दिनों पहले ही एक याचिकाकर्ता ने सीता को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शिकायत राम और लक्ष्मण के खिलाफ थी.

7. और रामायण ही क्यों. महाभारत को देख लीजिए. हजारों साल पहले लिखी संस्कृत नाटिका 'उरुभंग' पूरी तरह से दुर्योधन के दृष्टीकोण पर आधारित है और इसमें उसका पक्ष रखा गया है.

जाहिर है, आप हिंदू या सनातन जो कह लीजिए लेकिन यह माना हुआ सच है कि हिंदू धर्म दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है. किसी ने इसकी स्थापना नहीं की. समय के साथ यह खुद एक स्वरूप लेता गया. जितने इसे मानने वाले. उतनी तरह की मान्‍यताएं. उतनी तरह की कथाएं.

किसे मानें, किसे न मानें?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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