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महेंद्र सिंह धोनी का वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ने का राज़

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 05 जनवरी, 2017 03:07 PM
  • 05 जनवरी, 2017 03:07 PM
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टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि नए खिलाड़ी आ गए हैं और हमें उन्हें मौका देना चाहिए. लेकिन वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ते समय शायद उनके मन में यह विचार नहीं रहा होगा.

महेंद्र सिंह धोनी ने जिस प्रकार क्रिकेट के दो फॉर्मेट से अचानक कप्तानी छोड़ने का एलान किया उसने हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया में फैले अपने प्रशंसकों को अचानक स्तब्ध कर दिया. टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि नए खिलाड़ी आ गए हैं और हमें उन्हें मौका देना चाहिए. लेकिन इसके विपरीत वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ते समय शायद उनके मन में यह विचार नहीं रहा होगा.

 

भारतीय क्रिकेट में अब परस्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई हैं. हर रोज नए खिलाडी सामने उभर कर आ रहे हैं. धोनी ने ठीक उस समय कप्तानी छोड़ी है जब टेस्ट टीम विराट की कप्तानी में टेस्ट सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. विराट का तीनों फॉर्मेट में लगातार सुधरता परफॉर्मेंस भी शायद कहीं न कहीं धोनी के मन में रहा होगा. दरसअल धोनी और विराट में टीम नेतृत्व की अलग-अलग शैलियां हैं, एक ओर विराट बेहद आक्रामक तो दूसरी तरफ धोनी की कप्तानी शांत, सुरक्षात्मक व आक्रामकता का मिश्रण होता है.

ये भी पढ़ें- आप सब में एक धोनी छिपा है

गुम होता जलवा

टीम में उनका लगातार छठे व सातवें नंबर पर बैटिंग करना उनकी छवि को खराब कर रहा था. दूसरा टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाडी कोहली के पदचिन्हों पर चलने लगे हैं. इसमें कई खिलाड़ियों ने हाल ही में विराट की कप्तानी के लिए उनकी तारीफों के पुल बांध दिए थे, जो शायद अंदर ही अंदर उन्हें खटक रहा होगा.

महेंद्र सिंह धोनी ने जिस प्रकार क्रिकेट के दो फॉर्मेट से अचानक कप्तानी छोड़ने का एलान किया उसने हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया में फैले अपने प्रशंसकों को अचानक स्तब्ध कर दिया. टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि नए खिलाड़ी आ गए हैं और हमें उन्हें मौका देना चाहिए. लेकिन इसके विपरीत वन-डे और टी-20 की कप्तानी छोड़ते समय शायद उनके मन में यह विचार नहीं रहा होगा.

 

भारतीय क्रिकेट में अब परस्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गई हैं. हर रोज नए खिलाडी सामने उभर कर आ रहे हैं. धोनी ने ठीक उस समय कप्तानी छोड़ी है जब टेस्ट टीम विराट की कप्तानी में टेस्ट सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. विराट का तीनों फॉर्मेट में लगातार सुधरता परफॉर्मेंस भी शायद कहीं न कहीं धोनी के मन में रहा होगा. दरसअल धोनी और विराट में टीम नेतृत्व की अलग-अलग शैलियां हैं, एक ओर विराट बेहद आक्रामक तो दूसरी तरफ धोनी की कप्तानी शांत, सुरक्षात्मक व आक्रामकता का मिश्रण होता है.

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गुम होता जलवा

टीम में उनका लगातार छठे व सातवें नंबर पर बैटिंग करना उनकी छवि को खराब कर रहा था. दूसरा टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाडी कोहली के पदचिन्हों पर चलने लगे हैं. इसमें कई खिलाड़ियों ने हाल ही में विराट की कप्तानी के लिए उनकी तारीफों के पुल बांध दिए थे, जो शायद अंदर ही अंदर उन्हें खटक रहा होगा.

छवि खराब होने का डर

ऐसे में धोनी को लगा कि बतौर विकेटकीपर बैट्समैन ही अब उनके लिए विकल्प हैं जिसपर वे अपनी बल्लेबाजी को निखार सकें. अब धोनी के लिए मौका है कि जुबां से कम और बल्ले से 2019 तक अपना जलवा जारी रखें. दरसअल धोनी ने वर्ष 2016 में 13 एक दिवसीय मैच खेले जिसमें उन्होंने 27.80 की एवरेज से 278 रन बनाए, हालांकि इस दौरान उन्होंने तीन बार बैटिंग नहीं की.

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दूसरा कारण शायद,

सबसे बड़ा खतरा ब्रांड धोनी

दरसअल महेंद्र सिंह धोनी को विज्ञापन जगत पर भी रुतबा कम होता दिखाई पड़ रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में मशहूर कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स निर्माता कंपनी पेप्सिको ने एम.एस धोनी के साथ अपना 11 साल पुराना करार खत्म कर लिया था. अब अगर धोनी अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान नहीं देते तो उनकी कमाई का एक बड़ा भाग उनसे छिन सकता है. धोनी के पास जहां 2014 में 18 ब्रांड थे , आज वे घटकर 10 ही रह गए हैं. जहां धोनी एक विज्ञापन में एक दिन के 1.5 करोड़ चार्ज करते हैं वहीं कोहली और सचिन लगभग दो करोड़ रूपये लेते हैं. 2019 के विश्व कप तक अपने को ब्रांड धोनी बनाये रखने के लिए ब्रांड धोनी को लगातार अच्छा प्रदर्शन जारी रखना होगा जिसके लिए उन्हें जाना जाता है .

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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