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जानिए कैसे पल रहे हैं दुनिया के सबसे लहूलुहान बच्चे !

    • अल्‍पयू सिंह
    • Updated: 18 अक्टूबर, 2016 05:32 PM
  • 18 अक्टूबर, 2016 05:32 PM
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क्या सीरिया निओ कोल्ड वॉर डिप्लोमेसी के लिए खेल का मैदान बन गया है? जहां अमेरिका और रूस पावरप्ले के नए नए दांव चल रहे हैं. तैयार रहिए, इस क्रूर राजनीति के बीच हमें कई और एलन कुर्दी और उमरान दकनीश की कलेजा चीर देने वाली तस्वीरें देखनी होंगी..

सीरिया का भविष्य उस अनिश्चितिता की गली की ओर मुड़ रहा है, जिसके आखिरी छोर पर अंधकार ही दिख रहा है. पिछले पांच साल में वॉरजोन में तब्दील हो चुके सीरिया के मसले पर अमेरिका और रूस का बातचीत तोड़ना, एक दूसरे पर आरोप मढ़ना और ताकत दिखाना कोल्ड वॉर की उस कड़वाहट की याद दिला रहा है जिसका स्वाद उस वक्त दुनिया भर के देशों ने चखा था. हालिया घटनाक्रम में रूस की ओर से सीरिया के नौसैनिक अड्डे पर अपनी एस-300 हवाई रक्षा मिसाइल की तैनाती ने पश्चिमी देशों के बीच हलचल बढ़ा दी है.

अब सवाल है कि क्या सीरिया निओ कोल्ड वॉर डिप्लोमेसी के लिए खेल का मैदान बन गया है? जहां अमेरिका और रूस पावरप्ले के नए नए दांव चल रहे हैं. अमेरिका का कहना है कि रूस यु्द्ध विराम के समझौते से पलट रहा है, तो रूस अमेरिका पर असद विरोध के चलते जेहादियों की मदद करने का आरोप मढ़ रहा है.

कुल मिलाकर सीरिया में जिस तथाकथित शांति प्रक्रिया की बात को बहाना बना कर ये सारी कवायद हो रही है, दरअसल वही नहीं हो रहा. उसे छोड़कर शक्ति संतुलन के सत्ता समीकरणों में खुद को बेहतर साबित करने के लिए सारे टोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सीरिया में युद्ध विराम कब होगा? कब तलक ज़िंदगी अपनी रफ्तार में आएगी? इन सवालों पर फिलहाल अभी किसी का ध्यान नहीं. ऐसे में हर गुजरते दिन के साथ तबाही का स्याह रंग सीरिया की तस्वीर पर और गाढ़ा होता जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एलन कुर्दी के बाद अब उमरान की ये वायरल तस्वीर दुनिया को रुला रही है

दुनियाभर में सीरिया से इंटरनेट पर आने वाली तस्वीरें वहां के आज और कल दोनों की तबाही की ही कहानी कह रही हैं. हाल ही में अलेप्पो में एक इमारत पर हमला हुआ, इमारत ढह गई लेकिन एक बच्चा मलबे में फंस गया, उसके पैर मलबे में इस कदर फंस गए थे कि उसका निकलना नामुमकिन था....

सीरिया का भविष्य उस अनिश्चितिता की गली की ओर मुड़ रहा है, जिसके आखिरी छोर पर अंधकार ही दिख रहा है. पिछले पांच साल में वॉरजोन में तब्दील हो चुके सीरिया के मसले पर अमेरिका और रूस का बातचीत तोड़ना, एक दूसरे पर आरोप मढ़ना और ताकत दिखाना कोल्ड वॉर की उस कड़वाहट की याद दिला रहा है जिसका स्वाद उस वक्त दुनिया भर के देशों ने चखा था. हालिया घटनाक्रम में रूस की ओर से सीरिया के नौसैनिक अड्डे पर अपनी एस-300 हवाई रक्षा मिसाइल की तैनाती ने पश्चिमी देशों के बीच हलचल बढ़ा दी है.

अब सवाल है कि क्या सीरिया निओ कोल्ड वॉर डिप्लोमेसी के लिए खेल का मैदान बन गया है? जहां अमेरिका और रूस पावरप्ले के नए नए दांव चल रहे हैं. अमेरिका का कहना है कि रूस यु्द्ध विराम के समझौते से पलट रहा है, तो रूस अमेरिका पर असद विरोध के चलते जेहादियों की मदद करने का आरोप मढ़ रहा है.

कुल मिलाकर सीरिया में जिस तथाकथित शांति प्रक्रिया की बात को बहाना बना कर ये सारी कवायद हो रही है, दरअसल वही नहीं हो रहा. उसे छोड़कर शक्ति संतुलन के सत्ता समीकरणों में खुद को बेहतर साबित करने के लिए सारे टोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सीरिया में युद्ध विराम कब होगा? कब तलक ज़िंदगी अपनी रफ्तार में आएगी? इन सवालों पर फिलहाल अभी किसी का ध्यान नहीं. ऐसे में हर गुजरते दिन के साथ तबाही का स्याह रंग सीरिया की तस्वीर पर और गाढ़ा होता जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एलन कुर्दी के बाद अब उमरान की ये वायरल तस्वीर दुनिया को रुला रही है

दुनियाभर में सीरिया से इंटरनेट पर आने वाली तस्वीरें वहां के आज और कल दोनों की तबाही की ही कहानी कह रही हैं. हाल ही में अलेप्पो में एक इमारत पर हमला हुआ, इमारत ढह गई लेकिन एक बच्चा मलबे में फंस गया, उसके पैर मलबे में इस कदर फंस गए थे कि उसका निकलना नामुमकिन था. आखिरकार सिविल डिफेंस की टीम की सहायता से उसे निकाला गया. इस हमले में 30 लोगों के मारे जाने की खबर है.

देखिए दिल को झकझोर देगा ये वीडियो- 

डराते और सिहरन पैदा करते वीडियो सत्ता और शक्ति संतुलन के समीकरणों पर सवाल उठा रहे हैं. कहीं हमले में मारे गए बच्चे को गोद में उठाए मां आसमान की ओर ताक रही है, जैसे ऊपरवाले से पूछ रही हो कि इस मासूम की सजा क्या है.

 गृह युद्ध की मार झेल रहा है सीरिया

उमरान दकनीश का जख्मी लेकिन भावशून्य चेहरा ऐसे हज़ारों सवाल पूछ रहा है जिसके जवाब किसी के पास नहीं. खून से लथपथ उसके चेहरे की जड़ता को पढ़ने और उसकी खामोशी को समझने की ताकत वॉरज़ोन में शामिल देशों के पास है नहीं. 

 मलबे से निकाले जाने के बाद उमरान दकनीश

तो एक नन्हा मासूम ऐसा भी है जो हमले के बाद ब़च तो निकला है, लेकिन इतना खौफ़ज़दा है कि अपने डॉक्टर के गले लग हटना ही नहीं चाहता.

 डर के साये में बचपन...

ताकतवर देशों के लिए डिप्लोमेटिक प्लेग्राउंड बन चुके सीरिया में बच्चों के लिए खेल का मैदान आज के समय में दूर की कौड़ी हैं. कुछ स्कूल ज़रुर बेसमेंट में चल रहे हैं.

N Children’s Fund के आंकड़ों के मुताबिक हर तीसरा सीरियाई बच्चा युद्ध का भुक्तभोगी है. यहां के 37 लाख बच्चों के लिए ज़िंदगी का मतलब खुद को ज़िंदा रखना ही है, बच्चों को मज़दूरी में धकेला जा रहा है तो छोटी बच्चियों को शादी के लिए मजबूर किया जा रहा है. सीरिया का बचपन भूमिगत हो रहा है, खो रहा है, गरीबी और डर का बंधक बन रहा है. यहां के बच्चे बचपन की हथेली से रेत की मानिंद फिसल बड़ों की क्रूर दुनिया के चंगुल में फंस रहे हैं.

पिछले पांच साल से हिंसा, डर और विस्थापन की मार झेल रहे आम सीरियाई की हालत आगे कुआं तो पीछे खाई जैसी है. सीरिया मे रह गए तो बम का शिकार हो किसी मलबे में दबे मिलेंगे या फिर विस्थापन की कोशिशों के दौरान तुर्की के एक तट पर औँधे मुंह पड़े मिलेंगे, एलन कुर्दी की तरह.

 पिछले साल पूरी दुनिया इस तस्वीर को देख कर रो पड़ी थी...

लेकिन विडंबना ये है कि फिलहाल रूस और अमेरिका के बीच तनातनी ने सीरिया की त्रासदी के सवाल को कहीं पीछे छोड़ दिया है. अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में चर्चा इस बात को लेकर ज्यादा है कि क्या पश्चिमी देश रूस पर फिर से प्रतिबंध लगा देंगे. मूंछ की इस लड़ाई में दोनों पक्षों की अगली रणनीति क्या होगी? और सवाल ये भी है कि क्या ये निओ कोल्ड वॉर की आहट है.

माना ये भी जा रहा है कि असद रूस की मदद से युद्ध जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है. तो अमेरिका और रुस के संबंध तोड़ने पर जेहादियों ने राहत की सांस ली है. ऐसे में ये उम्मीद करना कि फिर किसी एलन कुर्दी और उमरान दकनीश की कलेजा चीर देने वाली तस्वीरें फिर रुलाने और डराने नहीं आएंगी, बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं.

अलेप्पो पर हुए ताजा हमले के बाद रूस की सेना ने एक अहम फैसला लिया है. सेना ने अलेप्पो के पूर्वी जिलों में 8 घंटे तक संघर्ष विराम रखने की घोषणा की है. दोनों सेनाएं 20 अक्टूबर को सुबह 8 से शाम 4 बजे तक 'मानवीय अल्पविराम' का पालन करेंगी ताकि असैन्य नागरिक एवं लड़ाके शहर के बाहर सुरक्षित निकल सकें.

यह भी पढ़ें- जरा संभल के चल ए तंगदिल यूरोप!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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