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सोशल मीडिया पर कैसे रंग बदलते हैं हिंदुस्तानी...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 02 मई, 2017 07:53 PM
  • 02 मई, 2017 07:53 PM
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यकीन मानिए अगर किसी सांवली लड़की के चेहरे पर आकर्षण भी हो तो भी उसे कई मामलों में रंगभेद का सामना करना पड़ता है. आगे तो जी गोरी लड़कियां बढ़ती हैं (वाक्य में छिपे व्यंग्य को समझिए).

हिंदुस्तान में कुछ बातें बड़े दिल से लगाई जाती हैं. जैसे कि क्रिकेट, धर्म, त्योहार, परिवार, मां-बहन आदि और कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनपर हमेशा ही बात होगी. उनमें से तीन तो ऐसे हैं जिनके नाम सामने आते ही हर हिंदुस्तानी के मन में एक छवि बन जाती है. वो मुद्दे हैं हिंदू-मुस्लिम, हिंदी-इंग्लिश और काला-गोरा.

हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा तो इतना जटिल है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा इससे बड़ा सवाल ट्विटर पर ये बन गया कि बाहुबलि हिंदू है या मुस्लिम. हिंदी-इंग्लिश के मुद्दे पर लोग बोलते कम हैं क्योंकि जिसको अंग्रेजी ठीक से नहीं आती वो यहां कम ही बोलना पसंद करता है! आखिर अंग्रेजी भाषी हिंदुस्तानियों के समाने कौन जाए और तीसरा मुद्दा है काला-गोरा.

रंगभेद को भारत में अब आम बात समझने लगे हैं लोग

मेट्रिमोनियल विज्ञापन से लेकर सोशल मीडिया में ब्यूटी फिल्टर डालकर शेयर की गई फोटो तक सब कुछ रंगभेद की ही तो निशानी है. हां, हम इतना घुलमिल गए हैं इस रंगभेद से कि अब लगता ही नहीं कि ये कुछ गलत है. हाल ही में एक फेसबुक पेज 'द अनकैनी इंडियन 2' ने एक ऐसी तस्वीर शेयर की जिसमें कुछ महिलाएं सज-सवंर कर सेल्फी लेती नजर आ रही हैं. ये फोटो अभी तक 38 हजार बार शेयर की जा चुकी है.

फोटो में खास क्या है ये तो आपने देख ही लिया होगा. ये फोटो है उन महिलाओं की जिनकी त्वचा चमक रही है, जिन्होंने गहने पहने हुए हैं, जिनके चेहरे पर मुस्कान है और ये रंग गहरा है. खासियत तो साफ दिख ही रही है, लोगों ने कमेंट भी एक से बढ़कर एक किए हैं. कुछ कहते हैं कि ये एक अच्छी पहल है और कुछ कहते हैं कि इसे आगे बढ़ाना चाहिए, कुछ को लगता है कि हमारा देश अब बदल रहा है, लेकिन आखिर सच क्या है?

हम आज भी बॉलीवुड की खूबसूरत हिरोइनों को देखते हैं....

हिंदुस्तान में कुछ बातें बड़े दिल से लगाई जाती हैं. जैसे कि क्रिकेट, धर्म, त्योहार, परिवार, मां-बहन आदि और कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनपर हमेशा ही बात होगी. उनमें से तीन तो ऐसे हैं जिनके नाम सामने आते ही हर हिंदुस्तानी के मन में एक छवि बन जाती है. वो मुद्दे हैं हिंदू-मुस्लिम, हिंदी-इंग्लिश और काला-गोरा.

हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा तो इतना जटिल है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा इससे बड़ा सवाल ट्विटर पर ये बन गया कि बाहुबलि हिंदू है या मुस्लिम. हिंदी-इंग्लिश के मुद्दे पर लोग बोलते कम हैं क्योंकि जिसको अंग्रेजी ठीक से नहीं आती वो यहां कम ही बोलना पसंद करता है! आखिर अंग्रेजी भाषी हिंदुस्तानियों के समाने कौन जाए और तीसरा मुद्दा है काला-गोरा.

रंगभेद को भारत में अब आम बात समझने लगे हैं लोग

मेट्रिमोनियल विज्ञापन से लेकर सोशल मीडिया में ब्यूटी फिल्टर डालकर शेयर की गई फोटो तक सब कुछ रंगभेद की ही तो निशानी है. हां, हम इतना घुलमिल गए हैं इस रंगभेद से कि अब लगता ही नहीं कि ये कुछ गलत है. हाल ही में एक फेसबुक पेज 'द अनकैनी इंडियन 2' ने एक ऐसी तस्वीर शेयर की जिसमें कुछ महिलाएं सज-सवंर कर सेल्फी लेती नजर आ रही हैं. ये फोटो अभी तक 38 हजार बार शेयर की जा चुकी है.

फोटो में खास क्या है ये तो आपने देख ही लिया होगा. ये फोटो है उन महिलाओं की जिनकी त्वचा चमक रही है, जिन्होंने गहने पहने हुए हैं, जिनके चेहरे पर मुस्कान है और ये रंग गहरा है. खासियत तो साफ दिख ही रही है, लोगों ने कमेंट भी एक से बढ़कर एक किए हैं. कुछ कहते हैं कि ये एक अच्छी पहल है और कुछ कहते हैं कि इसे आगे बढ़ाना चाहिए, कुछ को लगता है कि हमारा देश अब बदल रहा है, लेकिन आखिर सच क्या है?

हम आज भी बॉलीवुड की खूबसूरत हिरोइनों को देखते हैं. खूबसूरती का पैमाना ये कि वो गोरी हैं. लोग इस फोटो पर कमेंट कर कह रहे हैं कि ये इंडियन नहीं हैं. भारत में नाइजीरियन स्टूडेंट्स पर हमले होते हैं. काजोल जैसी सांवले रंग की हिरोइन को भी रंग भेद का शिकार होना पड़ता है. भले ही सोशल मीडिया पर कुछ भी कहें, लेकिन क्या अभी भी मानसिकता बदल पाए हैं हम? ये अभी की बात तो है नहीं. दादी-नानी के जमाने से गोरे रंग पर कितना ध्यान दिया जाता था ये आप पुराने जमाने के खूबसूरती के नुस्खों से ही पता लगा सकते हैं. दादी-नानी हल्दी-चंदन के लेप से लेकर केसर तक सबकुछ कुदरती इस्तेमाल कर चेहरे पर निखार लाने की बात की जाती थी.

आजकल कुछ भी हो सोशल मीडिया पर सबसे पहले प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो जाती हैं. अब इसी फोटो पर पॉजिटिव कमेंट्स के साथ-साथ निगेटिव फीडबैक भी दिया गया है. लोग कह रहे हैं कि ये भारतीय ही नहीं हैं, क्यों क्योंकि भारतीय इतने भी काले नहीं होते.. क्या ये रंगभेद की निशानी नहीं है?

यकीन मानिए अगर किसी सांवली लड़की के चेहरे पर आकर्षण भी हो तो भी उसे कई मामलों में रंगभेद का सामना करना पड़ता है. आगे तो जी गोरी लड़कियां बढ़ती हैं (वाक्य में छिपे व्यंग्य को समझिए). चाहें पत्नि हो, चाहें बेटी, या सड़क पर चलने वाली कोई अंजान महिला ये तो सर्वभौमिक सत्य है कि अगर वो गोरी है तो उसे भारत में सुंदर माना जाएगा.

चाहें ब्यूटी क्रीम की बात हो या फिर कुछ और गोरा-गुलाबी निखार ही भारत में सुंदरता की पहचान है. फिर भले ही सोशल मीडिया पर हम कितना भी बॉडी शेमिंग को गरियाएं लेकिन सच तो यही है कि हम अंदर से अभी भी खूबसूरती का मतलब गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श ही समझते हैं. तो हुआ ना ये सोशल मीडिया पर रंग बदलना.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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