• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

'मेरा कोई धर्म नहीं' इसे हमारा समाज स्वीकार करेगा?

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 24 मार्च, 2017 06:27 PM
  • 24 मार्च, 2017 06:27 PM
offline
धर्म के खिलाफ बोलना तो दूर की बात अगर आप सिर्फ इतना कहते हैं कि मैं धर्म को नहीं मानता/मानती तो फिर देखिए बवाल. लोग आपके घर को जला देंगे और हो सकता है आपको भी जला दें. आज धर्म पहचान नहीं बल्कि जान बन गया है.

कुछ सालों पहले एक फिल्म आई थी ओएमजी. इस फिल्म का हीरो भगवान में विश्वास नहीं करता था. उसने धर्म के बारे में एक बात कही- धर्म इंसान को बेबस बनाता है या फिर आतंकवादी. धर्म के नाम पर दुनिया भर में जिस तरीके से लोग एक-दूसरे से लड़ मर रहे हैं उसे देखकर ये बात बिल्कुल सटीक साबित होती है.

धर्म के खिलाफ बोलना तो दूर की बात अगर आप सिर्फ इतना कहते हैं कि मैं धर्म को नहीं मानता/मानती तो फिर देखिए बवाल. लोग आपके घर को जला देंगे और हो सकता है आपको भी जला दें. आज धर्म पहचान नहीं बल्कि जान बन गया है. कोयंबटूर में यही हुआ. 16 मार्च को 31 साल के एच फारुख की विभत्स हत्या कर दी गई. उसका कसूर क्या था? फारुख जन्म से तो मुसलमान था लेकिन उसने अपने धर्म को अस्वीकार कर दिया था. अब वो व्हाट्सएप पर अल्लाह-हू मुरधथ नाम का ग्रुप चला रहा था. इस ग्रुप से 400 मुस्लिम लोग जुड़े थे.

इंसानियत की बात करना ही इनका गुनाह था

अपने ग्रुप में फारुख धर्म की नहीं इंसानियत की बातें करता था. लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ाते थे. यही बात धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं आई. फारूख की नृशंस हत्या के पीछे कारण दिया गया कि वो खुद तो धर्म के खिलाफ जा ही रहा था अपने बच्चों को भी धर्म के खिलाफ कर रहा था. दरअसल फारुख ने ग्रुप में अपने बच्चे की एक फोटो शेयर की थी. इसमें फारूख के बेटे ने एक तख्ती हाथ में पकड़ रखी थी जिसपर- 'कडुवुल इल्लाइ, कडुवुल इल्लाइ, कडुवुल इल्लाइ (भगवान नहीं होता, भगवान नहीं होता, भगवान नहीं होता)' लिखा था. बस फिर क्या था. धर्म के ठेकेदारों को ये बात अखर गई और उन्होंने फारुख को काट दिया.

ऐसा ही एक दूसरा केस हैदराबाद के एक दंपत्ति का है. गनीमत बस ये है कि ये दंपत्ति अदालत के रास्ते धर्म को छोड़ने की मांग कर रहे हैं. हैदराबाद के रामाकृष्ण राव और उनकी...

कुछ सालों पहले एक फिल्म आई थी ओएमजी. इस फिल्म का हीरो भगवान में विश्वास नहीं करता था. उसने धर्म के बारे में एक बात कही- धर्म इंसान को बेबस बनाता है या फिर आतंकवादी. धर्म के नाम पर दुनिया भर में जिस तरीके से लोग एक-दूसरे से लड़ मर रहे हैं उसे देखकर ये बात बिल्कुल सटीक साबित होती है.

धर्म के खिलाफ बोलना तो दूर की बात अगर आप सिर्फ इतना कहते हैं कि मैं धर्म को नहीं मानता/मानती तो फिर देखिए बवाल. लोग आपके घर को जला देंगे और हो सकता है आपको भी जला दें. आज धर्म पहचान नहीं बल्कि जान बन गया है. कोयंबटूर में यही हुआ. 16 मार्च को 31 साल के एच फारुख की विभत्स हत्या कर दी गई. उसका कसूर क्या था? फारुख जन्म से तो मुसलमान था लेकिन उसने अपने धर्म को अस्वीकार कर दिया था. अब वो व्हाट्सएप पर अल्लाह-हू मुरधथ नाम का ग्रुप चला रहा था. इस ग्रुप से 400 मुस्लिम लोग जुड़े थे.

इंसानियत की बात करना ही इनका गुनाह था

अपने ग्रुप में फारुख धर्म की नहीं इंसानियत की बातें करता था. लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ाते थे. यही बात धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं आई. फारूख की नृशंस हत्या के पीछे कारण दिया गया कि वो खुद तो धर्म के खिलाफ जा ही रहा था अपने बच्चों को भी धर्म के खिलाफ कर रहा था. दरअसल फारुख ने ग्रुप में अपने बच्चे की एक फोटो शेयर की थी. इसमें फारूख के बेटे ने एक तख्ती हाथ में पकड़ रखी थी जिसपर- 'कडुवुल इल्लाइ, कडुवुल इल्लाइ, कडुवुल इल्लाइ (भगवान नहीं होता, भगवान नहीं होता, भगवान नहीं होता)' लिखा था. बस फिर क्या था. धर्म के ठेकेदारों को ये बात अखर गई और उन्होंने फारुख को काट दिया.

ऐसा ही एक दूसरा केस हैदराबाद के एक दंपत्ति का है. गनीमत बस ये है कि ये दंपत्ति अदालत के रास्ते धर्म को छोड़ने की मांग कर रहे हैं. हैदराबाद के रामाकृष्ण राव और उनकी पत्नी ने अदालत में एक पीआईएल दाखिल किया है जिसमें ये खुद को धर्म से अलग करना चाहते हैं. साथ ही ये चाहते हैं कि इनकी बेटियों को स्कूल के रिकॉर्ड में वो अपनी धार्मिक पहचान बताना नहीं चाहते. आखिर इस दंपत्ति ने ऐसा फैसला क्यों लिया?

बेटी को धर्म से दूर रखना चाहते हैं

दरअसल ये दंपत्ति अपनी बेटियों को किसी भी धर्म या जाति के विश्वासों के दायरे से बाहर रखना चाहते थे. 2010 में जब राव दंपत्ति अपनी छोटी बेटी का स्कूल में दाखिला कराने गए तो स्कूल प्रबंधन ने उन्हें धर्म का सेक्शन भरने पर जोर दिया. जिसे वो भरने से मना कर रहे थे. रामाकृष्ण राव का कहना है कि- 'हमारे यहां कोई धर्म नहीं का कोई ऑप्शन ही नहीं है. देश में अभी 6 धर्मों की पहचान की गई है. इसके साथ ही एक अन्य का ऑप्शन भी है जिसका अर्थ है कि 6 लिस्टेड धर्मों के अलावे मैं किसी और धर्म में विश्वास करता हूं. लेकिन मैंने कोर्ट से 'धार्मिक नहीं' का ऑप्शन जोड़ने की मांग की है.' मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तिलंगाना सरकार, आंध्र-प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब देने का आदेश दिया है.

2011 की जनगणना में पहली बार 'नन-फेथ यानि किसी धर्म में विश्वास नहीं' श्रेणी को शामिल किया गया था. चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में 2.87 लाख लोग हैं जो किसी भी धर्म में विश्वास नहीं करते हैं. अब सवाल ये कि चाहें ये संख्या 287 या फिर 27 की ही क्यों ना होती तो भी हमारा संविधान उन्हें जीवन जीने का अधिकार देता है. 2.87 लाख फिर भी एक बहुत बड़ी संख्या है. हमारे देश में ईश्वर को ना मानने की परंपरा सदियों पहले भी रही है. लेकिन शायद अब धर्म इतना कमजोर हो गया है कि फारूख और दाभोलकर जैसे लोगों की हत्या कर देता है.

अब समय आ गया है कि हमारे देश के हर फॉर्म और एप्लीकेशन में से धर्म का सेक्शन ही खत्म कर देना चाहिए. इससे और कुछ हो ना हो राव और फारूख जैसे लोग चैन से जी तो पाएंगे. कम से कम उन जैसे लोगों को ना तो अपनी जान का खतरा होगा ना ही उनके बच्चों के भविष्य की चिंता में घुलना होगा.

ये भी पढ़ें-

भारत तालिबानी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है

करीना से हिंदू और हसीनजहां से इस्‍लाम खतरे में!

'कब्रिस्तान और श्मशान' के बीच 2 जिंदा कहानियां !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲