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स्त्री और पुरुष समान हो ही नहीं सकते, क्योंकि...

    • आईचौक
    • Updated: 25 मार्च, 2017 03:51 PM
  • 25 मार्च, 2017 03:51 PM
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ऐसा नहीं कि हमारा जन्म मां बनने के लिए ही हुआ है. प्रकृति ने हमें ज्यादा मेहनत करने और बेहतर होने के लिए ही ऐसा बनाया है. आनुवंशिक रूप से जब हमें ऐसा ही बनाया गया है तो अब कम में समझौता नहीं.

स्त्री शक्ति को सैल्यूट करने का एक दिन दिया इंडिया टुडे ग्रुप ने. मौका था इंडिया टुडे ग्रुप के वुमेन समिट एंड अवॉर्ड्स 2017 का. जहां देश की उन महिलाओं ने शिरकत की जिन्होंने लिंग भेद को चुनौती देकर, रास्ते में आने वाली मुश्किलों का डटकर सामना किया और आज एक मुकाम हासिल किया. इस समिट का मुद्दा है 'अब समझौता नहीं' यानी महिला समझौता छोड़कर सशक्तिकरण की ओर बढ़ें.

इस मौके पर आने वाले सभी मेहमानों का स्वागत किया इंडिया टुडे ग्रुप की Broadcast and New Media की Editorial Director कली पुरी ने जिन्होंने अपनी प्रभावशाली बातों से इस समिट का आगाज़ किया.  

कली कहती हैं-

- सुबह से ही महिलाओं के छोटे-बड़े संघर्ष शुरू हो जाते हैं, जैसे क्या खाऊं क्या न खाऊं, टोस्ट पर बटर लगाऊं या फिर कुछ हेल्दी खाऊं.. बच्चों को समय दूं या फिर करियर को, थोड़ी देर ज्यादा सो लूं या उठ जाऊं, खुद के बारे में सोचूं या कंपनी के, और भी न जाने कितने सवाल करती हैं और उनके जवाब भी खुद ही ढूंढती हैं महिलाएं. पर क्या संघर्षों में रहना बुरा है? इन संघर्षों या सवालों को खुद की पसंद क्यों न माना जाए.

- आज महिलाएं ऐसा क्या नहीं कर सकतीं जो पुरुष करते हैं, अंतरिक्ष में जा रही हैं, रॉकेट बना रही हैं, मेडल जीत रही हैं, देश चला रही हैं, पुरुषों से ज्यादा पैसा भी कमा रही हैं. सब कुछ तो कर रही हैं. आज हमारे पास च्वाइस है, पहले भले ही नहीं थी, पर आज बदलाव हो रहा है जिसके लिए आज हम खुश हो सकते हैं.

- समय बदल हो रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं पुरुष जो अब महिलाओं जैसा बन रहे हैं, वो बहुत सरल हो रहे हैं, केयरिंग हो रहे हैं, वो अपने आंसू नहीं छिपा रहे, वो अच्छे पिता बनना चाहते हैं, और तो और वो ब्यूटी प्रेडक्ट्स भी इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन पता है वो कभी भी महिलाओं जैसे...

स्त्री शक्ति को सैल्यूट करने का एक दिन दिया इंडिया टुडे ग्रुप ने. मौका था इंडिया टुडे ग्रुप के वुमेन समिट एंड अवॉर्ड्स 2017 का. जहां देश की उन महिलाओं ने शिरकत की जिन्होंने लिंग भेद को चुनौती देकर, रास्ते में आने वाली मुश्किलों का डटकर सामना किया और आज एक मुकाम हासिल किया. इस समिट का मुद्दा है 'अब समझौता नहीं' यानी महिला समझौता छोड़कर सशक्तिकरण की ओर बढ़ें.

इस मौके पर आने वाले सभी मेहमानों का स्वागत किया इंडिया टुडे ग्रुप की Broadcast and New Media की Editorial Director कली पुरी ने जिन्होंने अपनी प्रभावशाली बातों से इस समिट का आगाज़ किया.  

कली कहती हैं-

- सुबह से ही महिलाओं के छोटे-बड़े संघर्ष शुरू हो जाते हैं, जैसे क्या खाऊं क्या न खाऊं, टोस्ट पर बटर लगाऊं या फिर कुछ हेल्दी खाऊं.. बच्चों को समय दूं या फिर करियर को, थोड़ी देर ज्यादा सो लूं या उठ जाऊं, खुद के बारे में सोचूं या कंपनी के, और भी न जाने कितने सवाल करती हैं और उनके जवाब भी खुद ही ढूंढती हैं महिलाएं. पर क्या संघर्षों में रहना बुरा है? इन संघर्षों या सवालों को खुद की पसंद क्यों न माना जाए.

- आज महिलाएं ऐसा क्या नहीं कर सकतीं जो पुरुष करते हैं, अंतरिक्ष में जा रही हैं, रॉकेट बना रही हैं, मेडल जीत रही हैं, देश चला रही हैं, पुरुषों से ज्यादा पैसा भी कमा रही हैं. सब कुछ तो कर रही हैं. आज हमारे पास च्वाइस है, पहले भले ही नहीं थी, पर आज बदलाव हो रहा है जिसके लिए आज हम खुश हो सकते हैं.

- समय बदल हो रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं पुरुष जो अब महिलाओं जैसा बन रहे हैं, वो बहुत सरल हो रहे हैं, केयरिंग हो रहे हैं, वो अपने आंसू नहीं छिपा रहे, वो अच्छे पिता बनना चाहते हैं, और तो और वो ब्यूटी प्रेडक्ट्स भी इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन पता है वो कभी भी महिलाओं जैसे नहीं हो सकते, क्योंकि वास्तव में स्त्री और पुरुष समान हो ही नहीं सकते, हम उनसे बेहतर हैं.

- ऐसा नहीं कि हमारा जन्म मां बनने के लिए ही हुआ है. प्रकृति ने हमें ज्यादा मेहनत करने और बेहतर होने के लिए ही ऐसा बनाया है. और जब हमें आनुवंशिक रूप से ऐसा बनाया गया है तो अब कम में समझौता नहीं.  

- हम अक्सर रेप, यौन शोषण की कहानियां सुनते हैं, उन्हें सुनकर गुस्सा आता है, लेकिन अब गुस्सा करने का समय गया, अब समय है खुद की, अपनी बेटियों की, बहुओं की, पोतियों की सुरक्षा करने का.

- इंतजार में मत बैठो कि कोई आएगा और ये सब रोकेगा, हमें खुद को ये रोककर सब ठीक करना होगा. और अब कोई समझौता नहीं. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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