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बहनों सुनो ! अपनी चोट छुपाने के लिए मेकअप आया है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 30 नवम्बर, 2016 05:02 PM
  • 30 नवम्बर, 2016 05:02 PM
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घरेलू हिंसा की शिकार 1.13 लाख महिलाएं पिछले साल थाने पहुंचीं, जबकि हर पांचवें मिनट में किसी न किसी महिला पर ये अत्‍याचार हुए. तो हिंसा के दाग छुपाने वाले वे महिलाएं यह वीडियो देखकर दुखी जरूर होंगी, लेकिन यकीनन ये वीडियो उनकी सोच बदल सकता है.

प्यारी बहनों,

अगर आप घर में पति की मार खाती हैं, और फिर बाथरूम में जाकर ये देखती हैं कि शरीर पर कहां कहां निशान बने, नील पड़ने पर उन्हें दुपट्टे से ढंक लेती हैं और पूछने पर कहती हैं कि बस ऐसे ही लग गई, तो ये वीडियो सिर्फ आपके लिए ही बना है.

जब कानून, समाज और आप खुद घरेलू हिंसा को हल्के में लेने लगते हैं तो टीवी कार्यक्रमों में भी जख्मों को छिपाने के टिप्स दिए जाते हैं. अभी अफ्रीका के मोरक्को में यही हुआ है. यहां एक चैनल पर आने वाले प्रोग्राम में बताया गया कि महिलाएं अब अपनी चोट के निशानों को छिपाने के लिए इस तरह मेकअप करें. सही भी तो है, वैसे भी तो आपको छिपाना ही है, तो मेकअप से ही छिपा लो.

हालांकि सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बाद इस चैनल ने माफी भी मांगी, लेकिन देखा जाए तो इन चैनल वालों ने उस देश के कानून और सामाजिक तानेबाने को आईना दिखाने का ही काम किया है. उस देश को चलाने वालों की आंखे कुछ तो खुली होंगी क्योंकि इससे ज्यादा शर्मनाक तो कुछ भी नहीं होगा कि वहां की औरतें अपने पतियों से पिटने के बाद, बजाय अपनी जिंदगी सुधारने के, अपने निशान छिपाने के लिए ज्यादा फिक्रमंद रहती हैं, क्योंकि शायद वो जानती हैं कि उनका कुछ हो ही नहीं सकता.  

ये भी पढ़ें- अगले जनम मोहे सुंदर न कीजो..

देखो, तुम्हें बुरा तो लगेगा ये सब देखकर कि किस तरह तुम्हारे जख्मों को लाइटली लिया जा रहा है और उसपर मरहम रखने के बजाए मेकअप लगाया जा रहा है. ये बता रहा है कि तुम्हारे लिए क्या सही है. क्योंकि आप न मुंह खोलेंगी और न पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज कराएंगी. आप बस पति के बदल जाने का, कभी न पूरा होने वाला ख्वाब सजाएंगी, तो बस समझ लीजिए कि मेकअप ही आपकी सारी परेशानी का एकमात्र रास्ता हो सकता...

प्यारी बहनों,

अगर आप घर में पति की मार खाती हैं, और फिर बाथरूम में जाकर ये देखती हैं कि शरीर पर कहां कहां निशान बने, नील पड़ने पर उन्हें दुपट्टे से ढंक लेती हैं और पूछने पर कहती हैं कि बस ऐसे ही लग गई, तो ये वीडियो सिर्फ आपके लिए ही बना है.

जब कानून, समाज और आप खुद घरेलू हिंसा को हल्के में लेने लगते हैं तो टीवी कार्यक्रमों में भी जख्मों को छिपाने के टिप्स दिए जाते हैं. अभी अफ्रीका के मोरक्को में यही हुआ है. यहां एक चैनल पर आने वाले प्रोग्राम में बताया गया कि महिलाएं अब अपनी चोट के निशानों को छिपाने के लिए इस तरह मेकअप करें. सही भी तो है, वैसे भी तो आपको छिपाना ही है, तो मेकअप से ही छिपा लो.

हालांकि सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बाद इस चैनल ने माफी भी मांगी, लेकिन देखा जाए तो इन चैनल वालों ने उस देश के कानून और सामाजिक तानेबाने को आईना दिखाने का ही काम किया है. उस देश को चलाने वालों की आंखे कुछ तो खुली होंगी क्योंकि इससे ज्यादा शर्मनाक तो कुछ भी नहीं होगा कि वहां की औरतें अपने पतियों से पिटने के बाद, बजाय अपनी जिंदगी सुधारने के, अपने निशान छिपाने के लिए ज्यादा फिक्रमंद रहती हैं, क्योंकि शायद वो जानती हैं कि उनका कुछ हो ही नहीं सकता.  

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देखो, तुम्हें बुरा तो लगेगा ये सब देखकर कि किस तरह तुम्हारे जख्मों को लाइटली लिया जा रहा है और उसपर मरहम रखने के बजाए मेकअप लगाया जा रहा है. ये बता रहा है कि तुम्हारे लिए क्या सही है. क्योंकि आप न मुंह खोलेंगी और न पुलिस में जाकर शिकायत दर्ज कराएंगी. आप बस पति के बदल जाने का, कभी न पूरा होने वाला ख्वाब सजाएंगी, तो बस समझ लीजिए कि मेकअप ही आपकी सारी परेशानी का एकमात्र रास्ता हो सकता है.

 

नेशनल क्राइम ब्यूरो के मुताबिक 2015 में भारत में बलात्कार के कुल 34,651 मामले दर्ज हुए, लेकिन तुम्हें पता है तुम तो संख्या में इन बलात्कार पीड़ितों से कहीं ज्यादा हो. 2015 में ही घरेलू हिंसा के कुल 1,13,403 मामले दर्ज हुए. फिर भी तुम्हें कोई सीरियसली नहीं लेता. न तुम और न हमारा कानून. घरेलू हिंसा कानून तो वैसे भी अब सिर्फ नाम रह गया है, और 'प्रोटेक्शन ऑफ वुमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस' नाम के नए कानून में भी किसी को सजा नहीं होती बल्कि जुर्माना देकर मामले से जान छुड़ा ली जााती है. क्या करें तुम तो शादी के पवित्र बंधन में बंधी हो, फिर पति चाहे तुम्हारा बलात्कार करे या फिर मारे-तोड़े क्या फर्क पड़ता है... पर सच कहना क्या सच में फर्क नहीं पड़ता? क्या तुम खुश हो सकती हो अपना चेहरा मेकअप से ढंक कर?

ये भी पढ़ें- मैरिटल रेप जैसी कोई चीज होती ही नहीं !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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