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भारतीय अस्पतालों के 5 खौफनाक सच

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 24 मार्च, 2017 05:20 PM
  • 24 मार्च, 2017 05:20 PM
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प्रेग्नेंट महिलाओं का इलाज घरों की जगह अस्पताल में इसलिए कराया जाता है ताकि वो सुरक्षित रह रखें, लेकिन कर्नाटक के सरकारी अस्पताल में जो हुआ वो काफी खौफनाक है.

हर महिला का खूबसूरत एहसास होता है बच्चे को जन्म देना. अगर उसमें ही लापरवाही हो जाए तो जाहिर सी बात है उस महिला के लिए वो एहसास बुरा सपना सा हो जाएगा. कर्नाटक के सरकारी अस्पताल में ऐसा ही देखा गया. प्रेग्नेंट महिला सोचती है कि अस्पताल में उसका इलाज सबसे अच्छा होगा. लेकिन यहां जो हुआ वो काफी खतरनाक है.

यहां 4 प्रेग्नेंट महिलाओं को एक ही स्टेचर पर बिठाया और एक जगह से दूसरी जगह ले गए. अगर खुद ना खासता कुछ हो जाता तो स्थिति बहुत खराब हो सकती थी.

कर्नाटक में 4 गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़

दरअसल एक वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है. जिसमें कर्नाटक के सरकारी अस्पताल की लापरवाही देखने को मिल रही है. अस्पताल का नाम कर्नाटक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (Kims)है. इस अस्पताल में एक ही स्ट्रेचर पर चार महिलाओं को लेकर जाया जा रहा है. चारों महिलाए प्रेग्नेंट हैं. जिनको वार्ड से निकालकर लेबर रूम में ले जाया जा रहा है. लगभग वहां 30 से 35 प्रेग्नेंट महिलाए थीं. जिन्हे ऐसे ही ले जाया जा रहा था.

जब हॉस्पिटल स्टाफ से इसके बारे में जवाब मांगा गया तो, खुद पर दाग न लगे इसलिए बेतुका सा जवाब दे डाला- 'समय बचाने के लिए ऐसा किया गया था.' जिसके बाद 3 नर्स को सस्पेंड कर दिया गया है. लेकिन सवाल एक ही है, क्या 4 जिंदगियों से बढ़कर समय हो गया? ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला मामला है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार कर दिया हो. 

अस्पताल के बाहर दिया बेटी को जन्म

हरियाणा के जींद के सिविल अस्पताल में 7 मार्च को एक...

हर महिला का खूबसूरत एहसास होता है बच्चे को जन्म देना. अगर उसमें ही लापरवाही हो जाए तो जाहिर सी बात है उस महिला के लिए वो एहसास बुरा सपना सा हो जाएगा. कर्नाटक के सरकारी अस्पताल में ऐसा ही देखा गया. प्रेग्नेंट महिला सोचती है कि अस्पताल में उसका इलाज सबसे अच्छा होगा. लेकिन यहां जो हुआ वो काफी खतरनाक है.

यहां 4 प्रेग्नेंट महिलाओं को एक ही स्टेचर पर बिठाया और एक जगह से दूसरी जगह ले गए. अगर खुद ना खासता कुछ हो जाता तो स्थिति बहुत खराब हो सकती थी.

कर्नाटक में 4 गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़

दरअसल एक वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है. जिसमें कर्नाटक के सरकारी अस्पताल की लापरवाही देखने को मिल रही है. अस्पताल का नाम कर्नाटक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (Kims)है. इस अस्पताल में एक ही स्ट्रेचर पर चार महिलाओं को लेकर जाया जा रहा है. चारों महिलाए प्रेग्नेंट हैं. जिनको वार्ड से निकालकर लेबर रूम में ले जाया जा रहा है. लगभग वहां 30 से 35 प्रेग्नेंट महिलाए थीं. जिन्हे ऐसे ही ले जाया जा रहा था.

जब हॉस्पिटल स्टाफ से इसके बारे में जवाब मांगा गया तो, खुद पर दाग न लगे इसलिए बेतुका सा जवाब दे डाला- 'समय बचाने के लिए ऐसा किया गया था.' जिसके बाद 3 नर्स को सस्पेंड कर दिया गया है. लेकिन सवाल एक ही है, क्या 4 जिंदगियों से बढ़कर समय हो गया? ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला मामला है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार कर दिया हो. 

अस्पताल के बाहर दिया बेटी को जन्म

हरियाणा के जींद के सिविल अस्पताल में 7 मार्च को एक महिला ने अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म दिया था. महिला सुबह 8 बजे डिलीवरी कराने अस्पताल पहुंची थी लेकिन डॉक्टरों ने खाली बेड न होने की बात कहकर प्रसुति विभाग से बाहर भेज दिया. महिला अस्पताल के गेट के बाहर बैठ गई, वहीं पर उसने बच्चे को जन्म दे दिया. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन जागा और महिला को बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया.

हिमाचल प्रदेश में अस्पताल के गेट पर दिया बच्चे को जन्म

हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में स्वास्थ्य सेवाएं उस समय धरी की धरी रह गईं जब 2 घंटे बिलखने के बाद प्रेग्नेंट महिला ने अस्पताल के गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया. बावजूद इसके अस्पताल के कर्मियों को दया नहीं आई. उन्होंने गर्भवती के नाम की पर्ची तक नहीं बनाई और बाहर से ही उन्हें घर भेज दिया गया. स्टाफ ने काफी देर बाद गेट खोलकर कहा कि जो होना था हो गया अब घर ही जाओ.

झारखंड में मरीज को जमीन पर दिया खाना

झारखंड के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स) में मरीजों के साथ पिछले साल जानवरों जैसा सलूक किए जाने का मामला सामने आया था. सितंबर 2016 को आर्थो वार्ड के कॉरिडोर में एक लावारिस महिला मरीज पलमति देवी को किचन स्टाफ ने फर्श पर ही खाना परोस दिया. दरअसल, उसके पास बर्तन नहीं थे. जब वो अस्पताल के किचन पहुंची तो उसे वहां से भगा दिया गया. जिसके बाद उससे जमीन साफ कराकर वहीं दाल-चावल और सब्जी परोस दी. ये फोटो काफी वायरल हुई थी.

पत्नी का शव कंधे पर लेकर 10 KM चला शख्स

पिछले साल अगस्त में ओडिशा के सरकारी हॉस्पिटल से एम्बुलेंस और मॉर्चरी वैन नहीं मिलने पर एक शख्स को पत्नी की डेड बॉडी मजबूरन कंधे पर लेकर जाना पड़ा. आदिवासी कम्युनिटी के दाना माझी ने किसी तरह 6 घंटे में 10 किलोमीटर का रास्ता तय किया. इस दौरान उसकी 12 साल की बेटी भी रोती-बिलखती साथ चल रही थी.

इस घटना का वीडियो बहुत वायरल हुआ था. बता दें, कि नवीन पटनायक सरकार ने गरीबों की मदद के लिए 'महापर्याण' स्कीम लॉन्च की थी. इसके तहत सरकारी हॉस्पिटल से डेड बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए फ्री ट्रांसपोर्टेशन का इंतजाम था, लेकिन उसके बाद भी यहां पत्नी को मरने के बाद पति का कंधा ही नसीब हुआ.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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