• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

मां, ये मत सोचना कि मैंने कुछ नहीं देखा...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 08 मार्च, 2017 04:23 PM
  • 08 मार्च, 2017 04:23 PM
offline
मां तुम भले ही खुद को कम आंको पर मेरे लिए तुम सुपरहीरो हो. फिल्म का वो नायक जो ना होता तो कोई कहानी ही नहीं होती. वो हीरो जो मेहनत ना करता तो किसी का काम ही नहीं चलता.

मां,

मां मैं जानती हूं तुम इसे पढ़ोगी. आखिर मैंने जो लिखा है. आखिर हर मां यही तो करती है. एक औरत जब मां बनती है तो अपने बच्चों के लिए ही जीवन समर्पित कर देती है. फिर चाहें बच्चे का पहली बार लिखा गया अक्षर हो, पहली बार बोला गया शब्द, हर साल आने वाला रिपोर्टकार्ड हो या फिर कोई नया कदम. पहली बार दिया गया तोहफा या पहली बार की गई लड़ाई, मां तो सब याद रखती है. भूलते तो बच्चे हैं. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस रिपोर्ट कार्ड के बल पर वो अपने दोस्तों को पार्टी देते हैं वैसी ही एक मार्कशीट उनकी मां के पास भी है जो शायद किसी बक्से में बंद है. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस मां को वो जवाब दे रहे हैं उसी मां ने उन्हें बोलना सिखाया है. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस मां को वो सुना रहे हैं उसपर गुस्सा दिखा रहे हैं वो जिंदगी भर सबकी सुनती ही तो आ रही है.

नाना-नानी, दादा-दादी, पापा, ताऊजी-ताईजी सबकी खरी खोटी सुनने के बाद भी तो उसने अपने बच्चों को प्यार ही किया था. बच्चे ये भूल जाते हैं कि किस तरह से उनकी मां ने ही तो उनके स्कूल फंक्शन की ड्रेस से लेकर ठंड के खूबसूरत डिजाइन वाले स्वेटर तक सब बनाया था. कैसे उनकी मां ही तो जन्मदिन पर केक बनाती थी. कैसे दीवाली के पकवानों को बनाने के लिए मां अपना त्योहार ही भूल जाती थी. बच्चे ये भूल जाते हैं कि वो मां ही तो थी जिसने दुखी होने पर उन्हें घंटों गले से लगाए रखा था. वो मां ही तो थी जिसने बीमार होने पर भी बच्चों के लिए खाना बनाना नहीं छोड़ा था.

बच्चों दिखता है तो ये कि उनकी मां ने उनपर गुस्सा किया, उनपर बंदिश लगाई, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि जब भी कोई मां अपने बच्चे पर गुस्सा करती है तो उसका मन भी दुखी होता है, लेकिन मां का गुस्सा करना ही तो सबक होता है. जानती हूं तुम मुझसे कहीं ज्यादा टैलेंटेड हो, आखिर...

मां,

मां मैं जानती हूं तुम इसे पढ़ोगी. आखिर मैंने जो लिखा है. आखिर हर मां यही तो करती है. एक औरत जब मां बनती है तो अपने बच्चों के लिए ही जीवन समर्पित कर देती है. फिर चाहें बच्चे का पहली बार लिखा गया अक्षर हो, पहली बार बोला गया शब्द, हर साल आने वाला रिपोर्टकार्ड हो या फिर कोई नया कदम. पहली बार दिया गया तोहफा या पहली बार की गई लड़ाई, मां तो सब याद रखती है. भूलते तो बच्चे हैं. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस रिपोर्ट कार्ड के बल पर वो अपने दोस्तों को पार्टी देते हैं वैसी ही एक मार्कशीट उनकी मां के पास भी है जो शायद किसी बक्से में बंद है. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस मां को वो जवाब दे रहे हैं उसी मां ने उन्हें बोलना सिखाया है. बच्चे ये भूल जाते हैं कि जिस मां को वो सुना रहे हैं उसपर गुस्सा दिखा रहे हैं वो जिंदगी भर सबकी सुनती ही तो आ रही है.

नाना-नानी, दादा-दादी, पापा, ताऊजी-ताईजी सबकी खरी खोटी सुनने के बाद भी तो उसने अपने बच्चों को प्यार ही किया था. बच्चे ये भूल जाते हैं कि किस तरह से उनकी मां ने ही तो उनके स्कूल फंक्शन की ड्रेस से लेकर ठंड के खूबसूरत डिजाइन वाले स्वेटर तक सब बनाया था. कैसे उनकी मां ही तो जन्मदिन पर केक बनाती थी. कैसे दीवाली के पकवानों को बनाने के लिए मां अपना त्योहार ही भूल जाती थी. बच्चे ये भूल जाते हैं कि वो मां ही तो थी जिसने दुखी होने पर उन्हें घंटों गले से लगाए रखा था. वो मां ही तो थी जिसने बीमार होने पर भी बच्चों के लिए खाना बनाना नहीं छोड़ा था.

बच्चों दिखता है तो ये कि उनकी मां ने उनपर गुस्सा किया, उनपर बंदिश लगाई, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि जब भी कोई मां अपने बच्चे पर गुस्सा करती है तो उसका मन भी दुखी होता है, लेकिन मां का गुस्सा करना ही तो सबक होता है. जानती हूं तुम मुझसे कहीं ज्यादा टैलेंटेड हो, आखिर मेरे स्कूल फंक्शन की ड्रेस से लेकर सर्दियों के उस खूबसूरत डिजाइन वाले स्वेटर तक सब तुमने ही तो बुना था. मेरे बर्थडे केक से लेकर दीवाली के पकवानों तक सब तुमने ही तो बनाए थे. मैं भले ही मेरिट में आई थी, लेकिन तुमने भी तो कॉलेज में टॉप किया था. मुझे तो मेरिट में आने पर महंगी घड़ी दिलाई गई थी, लेकिन तुम्हें तो शायद उस दिन भी किसी ने ठीक से नहीं सराहा होगा.

मां एक बात तो मुझे पता है तुम मेरी तरह जिद्दी कभी नहीं थीं. कोई मां जब पहली बार अपने बच्चो को गोद में लेती है तभी शायद उसकी जिद प्यार में बदल जाती है. इसके बाद तो शायद सिर्फ बच्चे की जिद ही मायने रखती है. उसके बाद सिर्फ बच्चा ही तो आस रह जाता है मां की.मां उस दिन तुम मन ही मन बहुत तड़पी होगी जिस दिन मैंने पहली बार जवाब दिया था. तुम्हारी बात नहीं मानी थी. तुम्हारा मन जरूर रोया होगा जब मैंने तुम्हारे सम्मान को ठेस पहुंचाई होगी. मां तुमने मेरे सामने भले मेरे सामने गुस्सा दिखाया हो, लेकिन मैं जानती हूं कि उस दिन तुम्हें गुस्सा नहीं आया था. उस दिन तुम्हें दुख पहुंचा था मेरे शब्दों से.

मां तुम भले ही खुद को कम आंको पर मेरे लिए तुम सुपरहीरो हो. फिल्म का वो नायक जो ना होता तो कोई कहानी ही नहीं होती. वो हीरो जो मेहनत ना करता तो किसी का काम ही नहीं चलता. वो हीरो जिसके साथ नियती ने हमेशा गलत किया, लेकिन उसने फिर भी हिम्मत नहीं हारी, सभी को बांधे रखा. मां तुम ना होती तो मैं आज वो ना होती जो हूं.

बस इतना कहना चाहूंगी मां कि तुम्हें भले ही लगता हो कि बच्चे कुछ नहीं देखते, लेकिन ऐसा नहीं है. भले ही हम कुछ नहीं कहते लेकिन बच्चों ने मां का दर्द बचपन से देखा होता है. बच्चों ने ये देखा है कि उनकी मां कैसे बिना अपनी चिंता किए पूरे घर को संभाले रखती है.

मैंने भी देखा है मां, मैंने देखा है कि तुम्हें भी बाहर घूमने का मन करता था, लेकिन सिर्फ खिड़की से बाहर सड़क को देखकर अपना मन भर लेती थीं तुम. तुम्हें भी अच्छी लगी थी वो सिल्क की हरी साड़ी जिसे इसलिए नहीं खरीदा था तुमने क्योंकि वो महंगी थी. जानती हूं कि तुम भी गाना चाहती थीं, लेकिन दादी के एक बार मना करने पर अपनी ही आवाज का गला घोंठ दिया था तुमने. ये भी जानती हूं कि सिर्फ तुम्हारे बच्चे ही तुम्हारी आस हैं. ये भी जानती हूं कि नौकरी के कारण महीनों जब मैं घर नहीं आती तो तुम्हारी हालत क्या होती है. मां भले ही तुम कहो कि तबियत बिलकुल ठीक है पर तुम्हारे अंदर के दर्द को समझती हूं मैं.

चिंता मत करो मां, मैंने सब देखा है. तुम्हारे दर्द को महसूस किया है, कई बार कुछ बोला नहीं क्योंकि शायद ये सोचकर तुम और दुखी हो जाओ कि तुम्हारी बेटी तुम्हें देखकर दुखी है. कुछ किया नहीं क्योंकि उस समय तुम्हारी परिस्थितियों को नहीं बदल सकती थी. मां तुम्हें भले ही लगता हो कि मैं समझती नहीं, लेकिन मैं समझती हूं. मां मुझे पता है कि तुम परफेक्ट महिला हो, एक रोल मॉडल हो, लेकिन जानती हूं कि कोशिश करने पर भी शायद तुम जैसी परफेक्ट नहीं बन पाऊंगी.एक परफेक्ट मां की नॉट सो परफेक्ट बेटी....

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲