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निर्भया का नाबालिग रेपिस्‍ट 'मौज' कर रहा है या मौत को जी रहा है

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 08 मई, 2017 08:03 PM
  • 08 मई, 2017 08:03 PM
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निर्भया मामले में नाबालिग दोषी जिसको जुवेनाइल एक्ट के तहत तीन साल की सजा के बाद छोड़ दिया गया था. क्या आप जानते हैं कि वो आखिर कहा है और क्या कर रहा है?

निर्भया गैंगरेप मामले में शुक्रवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया. बता दें, इस मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे. जिनमें से राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक नाबालिग होने के कारण बरी हो गया था. निर्भया मामले में नाबालिग दोषी जिसको जुवेनाइल एक्ट के तहत तीन साल की सजा के बाद छोड़ दिया गया था. क्या आप जानते हैं कि वो आखिर कहा हैं और क्या कर रहा है?

साउथ के फेमस होटल में बना कुक

निर्भया का नाबालिग दोषी अब 23 साल का हो गया है और एक जाने-माने रेस्टोरेंट में काम करके गुजर-बसर करता है. खबर के मुताबिक, उसपर नजर रख रहे एनजीओ ने बताया कि नाबालिग को हमेशा मारे जाने का डर लगा रहता था इसलिए उसको दक्षिण भारत में कहीं शिफ्ट किया गया है.

जिस शख्स ने उसको काम पर रखा है उसको भी लड़के के अतीत के बारे में नहीं बताया गया. नाबालिग को 20 दिसंबर 2015 को छोड़ा गया था. उसके बाद एक एनजीओ ने उसको अपने पास रखा. उसके बाद लड़के को दक्षिण भारत में कहीं कुक की नौकरी पर लगा दिया गया.

परिवार चाहता थे घर लौटे

देश को झकझोर देने वाले काण्ड के नाबालिग आरोपी का पैतृक गांव बदायूं में है. जेल से छूटने के बाद नाबालिग का परिवार और रिश्तेदार चाहते थे कि वो वापस घर लौटे. उसकी मां का कहना था कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश खी कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे. लेकिन वहीं उसके गांव के लोगों का कहना था कि उसकी इस हरकत से गांव का नाम देश-विदेश में बदनाम हुआ है. गांव के सरपंच तो उसे भी फांसी पर चढ़ा देने की बात कह रहे थे.

निर्भया गैंगरेप मामले में शुक्रवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया. बता दें, इस मामले में कुल 6 लोग आरोपी थे. जिनमें से राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक नाबालिग होने के कारण बरी हो गया था. निर्भया मामले में नाबालिग दोषी जिसको जुवेनाइल एक्ट के तहत तीन साल की सजा के बाद छोड़ दिया गया था. क्या आप जानते हैं कि वो आखिर कहा हैं और क्या कर रहा है?

साउथ के फेमस होटल में बना कुक

निर्भया का नाबालिग दोषी अब 23 साल का हो गया है और एक जाने-माने रेस्टोरेंट में काम करके गुजर-बसर करता है. खबर के मुताबिक, उसपर नजर रख रहे एनजीओ ने बताया कि नाबालिग को हमेशा मारे जाने का डर लगा रहता था इसलिए उसको दक्षिण भारत में कहीं शिफ्ट किया गया है.

जिस शख्स ने उसको काम पर रखा है उसको भी लड़के के अतीत के बारे में नहीं बताया गया. नाबालिग को 20 दिसंबर 2015 को छोड़ा गया था. उसके बाद एक एनजीओ ने उसको अपने पास रखा. उसके बाद लड़के को दक्षिण भारत में कहीं कुक की नौकरी पर लगा दिया गया.

परिवार चाहता थे घर लौटे

देश को झकझोर देने वाले काण्ड के नाबालिग आरोपी का पैतृक गांव बदायूं में है. जेल से छूटने के बाद नाबालिग का परिवार और रिश्तेदार चाहते थे कि वो वापस घर लौटे. उसकी मां का कहना था कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश खी कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे. लेकिन वहीं उसके गांव के लोगों का कहना था कि उसकी इस हरकत से गांव का नाम देश-विदेश में बदनाम हुआ है. गांव के सरपंच तो उसे भी फांसी पर चढ़ा देने की बात कह रहे थे.

समझ लीजिए, रेप से नाम जुड़ जाना भी किसी यातना से कम नहीं है

नाबालिगों को लेकर जो भी प्रावधान हैं, उसका लाभ देते हुए उस लड़के को 3 साल बाद छोड़ दिया गया. लेकिन, उसके बाद से उसका इस दुनिया में होना, न होना बराबर है. उसके वकील और बाद में उसे बसाने की कोशिश में लगा NGO भले कहता रहा है कि 'ये कहीं से भी साबित नहीं होता कि जुवेनाइल ने निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी दिखाई थी.' लेकिन वह उन हैवानों के साथ था, इस बात से तो कोई इनकार नहीं कर सकता.

तो गुमनामी में रह रहा वह लड़का सबक उन सभी मनचलों के लिए जिनकी किसी दरिंदगी की वजह से एक लड़की का जीवन खराब तो होता है. लेकिन उसके अपने और परिजनों के जीवन पर जो श्राप लगता है, उसका कोई मानवीय पक्ष नहीं हो सकता.

किसी आरोप के तले ऐसी जिंदगी से तो...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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