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ये कौन लोग हैं जो बापू को गाली देते हैं ?

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2016 01:53 PM
  • 02 अक्टूबर, 2016 01:53 PM
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आज देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 147 वी जयंती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह ही राजघाट जाकर उन्हें नमन किया. लेकिन इस बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उनके खिलाफ कुछ भी बोलते हैं...बिना उन्हें पढ़ें और बिना कुछ सोचे..

कोई माने या न माने लेकिन मेरे विचार में आज भले ही गांधी हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन कई 'गोडसे' आज भी इस देश में हैं. देश बापू को याद कर रहा है. उनका पूरा जीवन हमारे लिये एक प्रेरणा है. सत्य, अहिंसा ये हथियार बापू ने ही तो हमें दिये हैं. मगर कई लोग आज बापू के बारे में भला बुरा कहते हैं.

शुरुआत रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू से. आज सुबह काटजू जैसे ही उठे उन्होंने गांधी जी को चालाक पाखंडी बोला. इतने बड़े जज रह चुके काटजू ऐसा कैसे कह सकते हैं! अगर इतने पढ़े लिखे लोग भी ऐसा बातें करेंगे तो क्या होगा?

काटजू के ट्वीट पर नज़र डालिये. काटजू गांधी को पाखंडी कह रहे हैं. ऐसे ही आज सोशल मीडिया पर आपको कई लोग मिल जाएंगे जो गांधी को गाली दे रहे होंगे. भले ही गांधी के बारे में कुछ नहीं जानते हो मगर उन्हें गद्दार बोलने में ये एक पल के लिये भी नहीं सोचते.

अरे गांधी ने जो देश के लिये किया है क्या आप उसका 0.01% फिसदी भी कर पाएंगे? नहीं ना. गांधी ने तो असहयोग आंदोलन चलाया वो भी अहिंसा और सत्य के साथ. गांधी कभी भी पद के लोभी नहीं रहे. तभी तो आज़ादी के बाद कोई राजनैतिक पद नहीं लिया. देश उन्हें ऐसे ही राष्ट्रपिता नहीं कहता है. और क्या ये सच नहीं है कि आज गांधी को देश ही नहीं विश्व पूजता है.

यह भी पढ़ें- सब सुना जाता है, इसका मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोलेंगे

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी महात्मा गांधी की बहुत इज्ज़त करते हैं. वे खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उनकी जिंदगी पर गांधी की सोच का प्रभाव हमेशा रहा है. अपने कई भाषणों में महात्मा गांधी का जिक्र उन्होंने किया है.

कोई माने या न माने लेकिन मेरे विचार में आज भले ही गांधी हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन कई 'गोडसे' आज भी इस देश में हैं. देश बापू को याद कर रहा है. उनका पूरा जीवन हमारे लिये एक प्रेरणा है. सत्य, अहिंसा ये हथियार बापू ने ही तो हमें दिये हैं. मगर कई लोग आज बापू के बारे में भला बुरा कहते हैं.

शुरुआत रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू से. आज सुबह काटजू जैसे ही उठे उन्होंने गांधी जी को चालाक पाखंडी बोला. इतने बड़े जज रह चुके काटजू ऐसा कैसे कह सकते हैं! अगर इतने पढ़े लिखे लोग भी ऐसा बातें करेंगे तो क्या होगा?

काटजू के ट्वीट पर नज़र डालिये. काटजू गांधी को पाखंडी कह रहे हैं. ऐसे ही आज सोशल मीडिया पर आपको कई लोग मिल जाएंगे जो गांधी को गाली दे रहे होंगे. भले ही गांधी के बारे में कुछ नहीं जानते हो मगर उन्हें गद्दार बोलने में ये एक पल के लिये भी नहीं सोचते.

अरे गांधी ने जो देश के लिये किया है क्या आप उसका 0.01% फिसदी भी कर पाएंगे? नहीं ना. गांधी ने तो असहयोग आंदोलन चलाया वो भी अहिंसा और सत्य के साथ. गांधी कभी भी पद के लोभी नहीं रहे. तभी तो आज़ादी के बाद कोई राजनैतिक पद नहीं लिया. देश उन्हें ऐसे ही राष्ट्रपिता नहीं कहता है. और क्या ये सच नहीं है कि आज गांधी को देश ही नहीं विश्व पूजता है.

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अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी महात्मा गांधी की बहुत इज्ज़त करते हैं. वे खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उनकी जिंदगी पर गांधी की सोच का प्रभाव हमेशा रहा है. अपने कई भाषणों में महात्मा गांधी का जिक्र उन्होंने किया है.

  गाली देने से पहले गांधी को पढ़ तो लो... 

जो लोग महात्मा गांधी को गाली देते है उनके लिये हीरो के रुप में नाथुराम गोडसे आते हैं. ये लोग उन्हें मसीहा मानते हैं. कहते हैं कि गोडसे ने जो किया, सही किया. आखिर किसी को क्या अधिकार है कि वो किसी को गोली मार दे. ये लोग कैसे ऐसे आदमी को अपना आदर्श मान सकते हैं जिसने भारत के राष्ट्रपिता की सरेआम हत्या कर दी.

बापू ने तो लाखों लोगो को साथ जोड़ा. क्या इन लोगों में इतनी हिम्मत है कि 10 लोगों को भी किसी आंदोलन के लिये इकट्ठा कर के दिखा दें. नहीं, बिल्कुल नहीं, जब से सोशल मीडिया को दौर शुरू हुआ है, लोगों को चार शब्द टाईप करने में कुछ नहीं लगता. बस उठाया मोबाइल और 160 अक्षरों का एक ट्वीट कर दिया.

यह भी पढ़ें- गांधी जी की मौत के बाद पाक में छपा एक संपादकीय...

कितनी आसानी से कह दिया कि गांधी पाखंडी थे, देशद्रोही थे, गद्दार थे. बड़ा दुख होता है. ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जाए. अगर आप इन लोगों से बहस करते हैं तो ये आपको भी गद्दार कहना शुरू कर देंगे. आप 10 मीनट के भीतर ही देशद्रोही करार कर दिए जाएंगे. यही इन लोगों का तरिका है. मेरा ऐसे लोगो से अनुरोध है कि कम से कम एक बार आप गांधी को ठीक से पढ़िए. आपके विचार उनके प्रति ज़रुर बदलेंगे. भले ही मुन्नाभाई फिल्म के संजय दत्त की तरह ना सही मगर थोड़ा तो पढ़ ही लीजिए. यकीन मानिए बापू आपके सामने होंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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