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यहां 'हिट एंड रन' नहीं 'हिट टू किल' होता है, जानिए कैसे..

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 18 जून, 2016 10:29 PM
  • 18 जून, 2016 10:29 PM
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भारत में अगर कोई एक्सीडेंट हो जाए, तो ज्यादातर लोग घायलों को छोड़कर भाग निकलते हैं. लेकिन चीन में एक्सीडेंट होने पर ज्यादातर ड्राइवर घायल व्यक्ति को जान से मारने की कोशिश करते हैं.

भारत में 'हिट एंड रन' मामले बहुत चर्चित हैं, गाड़ी से अगर कोई एक्सीडेंट हो जाए, तो ज्यादातर लोग घायलों की चिंता किए बगैर भाग निकलते हैं. लेकिन चीन में अगर किसी व्यक्ति की गाड़ी से कोई एक्सीडेंट हो जाता है, तो ज्यादातर ड्राइवर घायल हुए व्यक्ति को जान से मारने की कोशिश करते हैं.

ये बात शायद किसी को भी परेशान कर सकती है, लेकिन अफसोस, कि ये न सिर्फ सच है, बल्कि चीन में बहुत सामान्य बात है. सीसीटीवी कैमरे इस बात के गवाह हैं, जिनमें नियमित रूप से ये देखा गया है एक्सीडेंट के बाद ड्राइवर्स वापस आकर घायलों के ऊपर दोबारा गाड़ी चढ़ा देते हैं और ऐसा तब तक करते हैं, जबतक कि उन्हें यकीन नहीं हो जाता कि वो घायल व्यक्ति मर गया है.

चीन में बहुत सस्ती है लोगों की जान

वहां कहा भी जाता है कि 'किसी को टक्कर मारकर घायल करने से अच्छा है कि टक्कर मारकर खत्म कर दिया जाए.' इस तरह के 'डबल हिट केस' या 'हिट टू किल' कई सालों से देखे जा रहे हैं. यही नहीं अगर सड़क पर कोई हादसा हो भी जाए, तो घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाए, लोग उसे नजरंदाज करके आगे बढ़ जाते हैं. घायलों और मृतकों के प्रति लोगों का ये उदासीन रवैया वहां की सोच में बस चुका है.

ये भी पढ़ें- तीस मिनट और 100 रुपये में होता है इस देश में तलाक

लेकिन इन सबके उलट जब कोई ऐसी घटना सामने आती है जिसमें इंसानियत देखने मिले तो उसका वायरल होना तय है....

भारत में 'हिट एंड रन' मामले बहुत चर्चित हैं, गाड़ी से अगर कोई एक्सीडेंट हो जाए, तो ज्यादातर लोग घायलों की चिंता किए बगैर भाग निकलते हैं. लेकिन चीन में अगर किसी व्यक्ति की गाड़ी से कोई एक्सीडेंट हो जाता है, तो ज्यादातर ड्राइवर घायल हुए व्यक्ति को जान से मारने की कोशिश करते हैं.

ये बात शायद किसी को भी परेशान कर सकती है, लेकिन अफसोस, कि ये न सिर्फ सच है, बल्कि चीन में बहुत सामान्य बात है. सीसीटीवी कैमरे इस बात के गवाह हैं, जिनमें नियमित रूप से ये देखा गया है एक्सीडेंट के बाद ड्राइवर्स वापस आकर घायलों के ऊपर दोबारा गाड़ी चढ़ा देते हैं और ऐसा तब तक करते हैं, जबतक कि उन्हें यकीन नहीं हो जाता कि वो घायल व्यक्ति मर गया है.

चीन में बहुत सस्ती है लोगों की जान

वहां कहा भी जाता है कि 'किसी को टक्कर मारकर घायल करने से अच्छा है कि टक्कर मारकर खत्म कर दिया जाए.' इस तरह के 'डबल हिट केस' या 'हिट टू किल' कई सालों से देखे जा रहे हैं. यही नहीं अगर सड़क पर कोई हादसा हो भी जाए, तो घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाए, लोग उसे नजरंदाज करके आगे बढ़ जाते हैं. घायलों और मृतकों के प्रति लोगों का ये उदासीन रवैया वहां की सोच में बस चुका है.

ये भी पढ़ें- तीस मिनट और 100 रुपये में होता है इस देश में तलाक

लेकिन इन सबके उलट जब कोई ऐसी घटना सामने आती है जिसमें इंसानियत देखने मिले तो उसका वायरल होना तय है. चीन में हाल ही में हुए एक हादसे का वीडियो न सिर्फ चीन की कड़वी हकीकत बयान कर रहा है बल्कि लोगों को सोचने पर मजबूर भी कर रहा है कि इंसानियत से बड़ी कोई चीज नहीं.

देखिए ये रिपोर्ट-

चीन के लु-आन शहर में एक भयानक हादसा हुआ, जिसमें एक वैन ने सड़क चलती एक लड़की को लगभग कुचल ही दिया था. लेकिन वहां मौजूद लोगों ने लड़की की जान को ज्यादा महत्व दिया और वैन के नीच से खींचकर और उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया. इस मामले में लोगों द्वारा दिखाई गई इंसानियत का नतीजा सुखद था, लड़की को न तो कोई गंभीर चोट नहीं आई और न ही उसकी कोई हड्डी टूटी.

चीन के लोग इतने असंवेदनशील क्यों?

लोगों के इस असंवेदनशील रवैये का कारण वहां का कानून है. चीन में अगर कोई व्यक्ति किसी की गाड़ी से घायल हो जाता है, तो ड्राइवर को जीवनभर उस व्यक्ति की देखभाल का खर्च उठाना पड़ता है, जबकि अगर एक्सीडेंट में व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ड्राइवर को सजा के तौर पर सिर्फ एक ही बार पैसे देने होते हैं.

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चीन में, एक्सीडेंट में मौत होने पर हर्जाने के तौर पर करीब 30,000-50,000 डॉलर देने होते हैं, और एक बार पैसा देने के बाद मामला वहीं खत्म हो जाता है. जबकि घायल हुए विकलांग व्यक्ति का अगर जीवन भर खर्च देना पड़ा तो वो करोड़ों डॉलर पहुंचता है. ऐसे में एक व्यक्ति की जान लेना ज्यादा किफायती है. कई बार तो ये भी हुआ है कि जो लोग घायलों को अस्पताल पहुंचाते हैं उन्हें ही दुर्घटना के लिए जिम्मेदार बताकर उनसे हर्जाना वसूल लिया जाता है. ऐसे में अगर ये लोग इतने भावनाशून्य हैं तो वो उसे गलत नहीं मानते. WHO की मानें तो हर साल चीन में करीब 2 लाख लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं, या यूं कहें कि मार दिए जाते हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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