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कितने संवेदनहीन हैं हम, बता रही है ये पोस्ट

    • आईचौक
    • Updated: 26 दिसम्बर, 2015 05:52 PM
  • 26 दिसम्बर, 2015 05:52 PM
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हम कितने संवेदनहीन हो चुके हैं, ये आए दिन देखने मिलता है. पर इस फेसबुक पोस्ट से पता चलता है कि हम संवेदनहीन ही नहीं निर्दयी भी होते जा रहे हैं.

इरा सिंघल एक जाना माना नाम है, इरा यूपीएससी की परीक्षा में सामान्य कैटेगरी में पहली विकलांग महिला टॉपर थीं. वो एक ट्रेनी आईएएस हैं. उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर समाज का वो चेहरा सामने रखा जो हमें शर्मसार कर देगा.

इरा ने एक हाइवे पर हादसा देखा, और मदद के लिए रुक गईं. दो लोग बुरी तरह जख्मी थे. उन्होंने लोगों से मदद करने की उम्मीद की. लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं रुका. वो एक को तो बचा पाईं लेकिन एक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. इस बात से इरा इतनी आहत हुईं कि उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर एक पोस्ट शेयर की.

इरा ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा- 'आज, हम चार लोग मसूरी से दिल्ली आ रहे थे. मुरादनगर में हमने एक हादसा देखा. एक मारुति और एक ट्रक की टक्कर हो गई थी जिसमें मारुति का ड्राइवर और सहयात्री बुरी तरह घायल हो गए थे. हम मदद करने रुक गए और दिल्ली-मेरठ के बेहद व्यस्त रहने वाले इस हाइवे पर स्थानीय लोगों की मदद लेकर उन दोनों घायलों को कार से बाहर निकाला. गंभीर रूप से घायल हुए इन दोनों लोगों को ले जाने के लिए हमने एंबुलेंस मंगाई, पर कोई फायदा नहीं हुआ.

इसी बीच मैंने वहां से गुजरते हुए वाहनों को रोकने का फैसला किया इस उम्मीद पर कि मुझे एक घयल को ले जाने के लिए कम से कम एक कार तो मिल जाए. पास से गुजरते वक्त सारी कारों की रफ्तार धीमा हो रही थी, लोग इस भीषण हादसे को देखते हुए जा रहे थे. मैंने कम से कम 20 कारों के दरवाजे खटखटाए और आने जाने वाली कारों को पागलों की तरह हाथ दिए, लेकिन एक भी नहीं रुकी. ये हमारी मानवता है.

आखिरकार हमने पुलिस वैन बुलाई और उनमें से एक को उसमें बैठाया. दूसरे की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस घटना से मैं बहुत दुखी हुई कि उनमें से एक भी इंसान ने ये नहीं सोचा कि वो ये आसानी से कर सकते थे. किसी एक में भी इंसानियत का अंश भर नहीं था कि वो रुककर मदद करता.

क्या यही वो देश है जो हमने अपने लिए बनाया है? वो सभी कार चलाने वाले जानते थे कि मैं एक छोटी...

इरा सिंघल एक जाना माना नाम है, इरा यूपीएससी की परीक्षा में सामान्य कैटेगरी में पहली विकलांग महिला टॉपर थीं. वो एक ट्रेनी आईएएस हैं. उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर समाज का वो चेहरा सामने रखा जो हमें शर्मसार कर देगा.

इरा ने एक हाइवे पर हादसा देखा, और मदद के लिए रुक गईं. दो लोग बुरी तरह जख्मी थे. उन्होंने लोगों से मदद करने की उम्मीद की. लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं रुका. वो एक को तो बचा पाईं लेकिन एक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. इस बात से इरा इतनी आहत हुईं कि उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर एक पोस्ट शेयर की.

इरा ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा- 'आज, हम चार लोग मसूरी से दिल्ली आ रहे थे. मुरादनगर में हमने एक हादसा देखा. एक मारुति और एक ट्रक की टक्कर हो गई थी जिसमें मारुति का ड्राइवर और सहयात्री बुरी तरह घायल हो गए थे. हम मदद करने रुक गए और दिल्ली-मेरठ के बेहद व्यस्त रहने वाले इस हाइवे पर स्थानीय लोगों की मदद लेकर उन दोनों घायलों को कार से बाहर निकाला. गंभीर रूप से घायल हुए इन दोनों लोगों को ले जाने के लिए हमने एंबुलेंस मंगाई, पर कोई फायदा नहीं हुआ.

इसी बीच मैंने वहां से गुजरते हुए वाहनों को रोकने का फैसला किया इस उम्मीद पर कि मुझे एक घयल को ले जाने के लिए कम से कम एक कार तो मिल जाए. पास से गुजरते वक्त सारी कारों की रफ्तार धीमा हो रही थी, लोग इस भीषण हादसे को देखते हुए जा रहे थे. मैंने कम से कम 20 कारों के दरवाजे खटखटाए और आने जाने वाली कारों को पागलों की तरह हाथ दिए, लेकिन एक भी नहीं रुकी. ये हमारी मानवता है.

आखिरकार हमने पुलिस वैन बुलाई और उनमें से एक को उसमें बैठाया. दूसरे की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस घटना से मैं बहुत दुखी हुई कि उनमें से एक भी इंसान ने ये नहीं सोचा कि वो ये आसानी से कर सकते थे. किसी एक में भी इंसानियत का अंश भर नहीं था कि वो रुककर मदद करता.

क्या यही वो देश है जो हमने अपने लिए बनाया है? वो सभी कार चलाने वाले जानते थे कि मैं एक छोटी सी लड़की जो अंधेरी रात में एक व्यस्त सड़क पर हुए भयानक हादसे के बाद मदद मांग रही थी और उन सभी ने मदद करने से मना कर दिया. ये हमारी दुनिया है. ये हम हैं'

ये रही इरा की पोस्ट-

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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