• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

क्या हुआ जब एक पाकिस्तानी मुस्लिम होली खेल कर बस में निकला...

    • आईचौक
    • Updated: 19 मार्च, 2019 08:24 PM
  • 31 मार्च, 2016 08:03 PM
offline
हाल में होली का त्योहार देश और दुनिया में धूमधाम से मनाया गया. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं ने भी इसे मनाया. उन परिवारों के साथ वहां के कुछ मुस्लिम युवकों ने भी होली खेली. पढ़िए..क्या हुआ जब एक मुस्लिम युवक होली खेलकर घर जाने के लिए बस पर चढ़ा...

बात कराची में रहने वाले एक मुस्लिम युवक वाहिद खान की है, जो इन दिनों अपने एक फेसबुक पोस्ट के कारण चर्चा में हैं. और चर्चा हो भी क्यों न! वाहिद ने जो किया, पाकिस्तान जैसे देश में उसे करने के लिए हिम्मत तो चाहिए ही...साथ ही बड़ा दिल भी.

जब एक मुस्लिम युवक ने मनाई होली...

हाल में होली का त्योहार देश और दुनिया में धूमधाम से मनाया गया. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं ने भी इसे मनाया. उन परिवारों के साथ वहां के कुछ मुस्लिम युवकों ने भी होली खेली. वाहिद खान भी उनमें से एक थे. लेकिन होली के बाद उनकी लिखी एक पोस्ट अब वायरल हो गई है.

आप भी पढ़िए वाहिद ने फेसबुक पर क्या लिखा...

मैं होली का त्योहार मनाकर आ रहा था. मैंने फैसला किया सिटी बस से सफर करूंगा. हालांकि मेरे दोस्तों ने ऐसा करने से मना किया. उनका मानना था कि मुझे रिक्शा ले लेना चाहिए क्योंकि मैं पूरी तरह से रंग से सराबोर था. उन्हें डर था कि मुझे देखकर लोग कुछ गलत न कर दें. लेकिन मैं भी लोगों की प्रतिक्रिया ही देखना चाहता था. साथ ही मेरा एक मकसद ये भी था कि क्यों न विविधता को सार्वजनिक तौर पर सेलिब्रेट किया जाए और आम लोग भी इसे समझें. अपनी यात्रा के दौरान मेरी कई लोगों से बात हुई और सभी ने यही सोचा कि मैं एक हिंदू हूं. उन्होंने मुझे ये भी बताया कि वे 'मेरे धर्म (हिंदू)' के लोगों को कैसे पहचानते हैं. कई बातें हुईं लेकिन ये बातचीत मेरा पसंदीदा बन गया...

मैं एक अंकल के पास बैठा था

अंकल: (सहानुभूति के साथ) इतनी कम उम्र में तुम काम क्यों कर रहे हो?

मैं: माफ कीजिए, आप क्या कहना चाहते हैं...मैं समझा नहीं

अंकल: तुम रंग का काम करते हो ना?

मैं: (हंसते हुए) नहीं अंकल, मैं अभी-अभी होली खेल कर आ रहा हूं.

अंकल: अच्छा..हिंदू हो?

मैं: नहीं, मैं एक मुस्लिम परिवार से आता...

बात कराची में रहने वाले एक मुस्लिम युवक वाहिद खान की है, जो इन दिनों अपने एक फेसबुक पोस्ट के कारण चर्चा में हैं. और चर्चा हो भी क्यों न! वाहिद ने जो किया, पाकिस्तान जैसे देश में उसे करने के लिए हिम्मत तो चाहिए ही...साथ ही बड़ा दिल भी.

जब एक मुस्लिम युवक ने मनाई होली...

हाल में होली का त्योहार देश और दुनिया में धूमधाम से मनाया गया. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं ने भी इसे मनाया. उन परिवारों के साथ वहां के कुछ मुस्लिम युवकों ने भी होली खेली. वाहिद खान भी उनमें से एक थे. लेकिन होली के बाद उनकी लिखी एक पोस्ट अब वायरल हो गई है.

आप भी पढ़िए वाहिद ने फेसबुक पर क्या लिखा...

मैं होली का त्योहार मनाकर आ रहा था. मैंने फैसला किया सिटी बस से सफर करूंगा. हालांकि मेरे दोस्तों ने ऐसा करने से मना किया. उनका मानना था कि मुझे रिक्शा ले लेना चाहिए क्योंकि मैं पूरी तरह से रंग से सराबोर था. उन्हें डर था कि मुझे देखकर लोग कुछ गलत न कर दें. लेकिन मैं भी लोगों की प्रतिक्रिया ही देखना चाहता था. साथ ही मेरा एक मकसद ये भी था कि क्यों न विविधता को सार्वजनिक तौर पर सेलिब्रेट किया जाए और आम लोग भी इसे समझें. अपनी यात्रा के दौरान मेरी कई लोगों से बात हुई और सभी ने यही सोचा कि मैं एक हिंदू हूं. उन्होंने मुझे ये भी बताया कि वे 'मेरे धर्म (हिंदू)' के लोगों को कैसे पहचानते हैं. कई बातें हुईं लेकिन ये बातचीत मेरा पसंदीदा बन गया...

मैं एक अंकल के पास बैठा था

अंकल: (सहानुभूति के साथ) इतनी कम उम्र में तुम काम क्यों कर रहे हो?

मैं: माफ कीजिए, आप क्या कहना चाहते हैं...मैं समझा नहीं

अंकल: तुम रंग का काम करते हो ना?

मैं: (हंसते हुए) नहीं अंकल, मैं अभी-अभी होली खेल कर आ रहा हूं.

अंकल: अच्छा..हिंदू हो?

मैं: नहीं, मैं एक मुस्लिम परिवार से आता हूं.

अंकल: क्या? और फिर भी तुमने होली का त्योहार मनाया? तुम्हारे साथ कुछ और मुस्लिम युवकों ने भी ऐसा किया?

मैं: हां...हमारे कुछ हिंदू दोस्त भी हैं. और हमने होली एक चर्च में मनाई.

अंकल: बेटा, तुम एक मुस्लिम हो और...

(तभी मेरे पीछे बैठे एक दूसरे अंकल ने बातचीत के बीच हमें टोका): ओ भाई...अगर रंग इन बच्चों को एक साथ लाता है और ये इसे अल्पसंख्यक भाइयों के साथ मिल कर होली मना रहे हैं तो तुम धर्म को बीच में क्यों ला रहे हो. ये तो बहुत अच्छी बात है.

अंकल: हम तो यही सुनते हुए बड़े हुए हैं कि हिंदू और मुस्लिम कभी साथ-साथ नहीं रह सकते. (दूसरे अंकल इसे सुनते हुए अपना सिर हिलाते हैं)

मैं: यहीं तो हम सब गलती कर जाते हैं. (ये सुनकर हंकल हंसने लगते हैं.)

सचमुच ये एक शानदार दिन रहा. मैं खुश हूं कि पाकिस्तान दूसरी संस्कृतियों और धर्मों को भी स्वीकार कर रहा है.

यदि आपने यह पूढ़ा है तो आपको ईस्‍टर की मुबारकबाद.

 

 

...और कुछ ही दिन में पाकिस्तान का दूसरा रूप दिखाई दिया

वाहिद ने जो पोस्ट लिखी है, वो दो तरह के पाकिस्तान की तस्वीर पेश करती है. एक पाकिस्तान वो जो उदार है और पुरानी सोच से आगे निकलने के लिए तत्पर है जिसका नेतृत्व वाहिद करते नजर आते हैं. तो एक पाकिस्तान वो भी है जहां कट्टरता अब भी बाकी है. वाहिद ने अपने इसी पोस्ट में ईस्टर के लिए शुभकामना व्यक्त की थी. लेकिन ईस्टर के दिन लाहौर में जो हुआ, उससे अब भी पूरी दुनिया सकते में है.

ये भी पढ़ें- 

होली से पहले विवाद सर्फ एक्सेल के साथ!

झगड़ा SRF Excel से हुआ मार बेचारे Microsoft Excel ने खाई...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲