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क्या येदियुरप्पा को भी मिल पाएगी केजरीवाल जैसी माफी

    • आईचौक
    • Updated: 20 अप्रिल, 2016 04:04 PM
  • 20 अप्रिल, 2016 04:04 PM
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विवादों के दरम्यान ही येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी - और अब बीजेपी अध्यक्ष बनते ही वो फिर से विवादों में आ गए.

मुंबई में बीजेपी की जिस कार्यकारिणी बैठक में मोदी तब तक नहीं पहुंचे जब तक कि संजय जोशी को हटा नहीं दिया गया - येदियुरप्पा भी इंतजार करते रहे - और मोदी से ऐन पहले पहुंच कर उनका जोरदार स्वागत किया.

ये वाकया साल 2012 का है - और चार साल बाद एक बार फिर इस मजबूत लिंगायत नेता को कर्नाटक की कमान सौंपी गई है.

हैट्रिक हालात

बीएस येदियुरप्पा को इस बार कर्नाटक की कमान सौंपी गई तो सबसे पहले पार्टी दफ्तर पहुंच कर उनका स्वागत करने वाले दो ऐसे नेता थे जो उन्हें फूटी आंख भी पसंद नहीं करते - अनंत कुमार और डीवी सदानंद गौड़ा. दोनों फिलहाल मोदी की केंद्र सरकार में मंत्री हैं. भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद येदियुरप्पा ने सदानंद गौड़ा को ही कुर्सी सौंपी थी - लेकिन जैसे उन्हें लगा कि वो बिहार के मांझी जैसी हरकत करने लगे येदियुरप्पा ने उन्हें हटवा दिया - और जगदीश शेट्टीगर को सीएम बनवाया.

इसे भी पढ़ें: सत्ता के लिए बीजेपी क्या-क्या करेगी...

2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले येदियुरप्पा ने बीजेपी को छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी - कर्नाटक जनता पक्ष. इस पार्टी को मिलीं तो सिर्फ छह सीटें लेकिन बीजेपी को इससे काफी नुकसान पहुंचा. खैर, 2014 के लोक सभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा फिर से बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी को इसका फायदा भी मिला.

बीजेपी दफ्तर में अनंत कुमार और सदानंद गौड़ा ने येदियुरप्पा को 'हैट्रिट चीफ मिनिस्टर' बताते हुए गर्मजोशी से स्वागत किया. इस पर कार्यकर्ताओं ने तो खूब जयकारे लगाए लेकिन येदियुरप्पा शांत रहे.

भाषण में उन्होंने बड़ी संजीदगी से अपनी बात कही, हां, विरोधियों को जरूर लपेटा, "मुझे 2018 में पार्टी को सत्ता तक पहु्ंचाने की जिम्मेदारी मिली है और ये तभी संभव है जब हम...

मुंबई में बीजेपी की जिस कार्यकारिणी बैठक में मोदी तब तक नहीं पहुंचे जब तक कि संजय जोशी को हटा नहीं दिया गया - येदियुरप्पा भी इंतजार करते रहे - और मोदी से ऐन पहले पहुंच कर उनका जोरदार स्वागत किया.

ये वाकया साल 2012 का है - और चार साल बाद एक बार फिर इस मजबूत लिंगायत नेता को कर्नाटक की कमान सौंपी गई है.

हैट्रिक हालात

बीएस येदियुरप्पा को इस बार कर्नाटक की कमान सौंपी गई तो सबसे पहले पार्टी दफ्तर पहुंच कर उनका स्वागत करने वाले दो ऐसे नेता थे जो उन्हें फूटी आंख भी पसंद नहीं करते - अनंत कुमार और डीवी सदानंद गौड़ा. दोनों फिलहाल मोदी की केंद्र सरकार में मंत्री हैं. भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद येदियुरप्पा ने सदानंद गौड़ा को ही कुर्सी सौंपी थी - लेकिन जैसे उन्हें लगा कि वो बिहार के मांझी जैसी हरकत करने लगे येदियुरप्पा ने उन्हें हटवा दिया - और जगदीश शेट्टीगर को सीएम बनवाया.

इसे भी पढ़ें: सत्ता के लिए बीजेपी क्या-क्या करेगी...

2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले येदियुरप्पा ने बीजेपी को छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी - कर्नाटक जनता पक्ष. इस पार्टी को मिलीं तो सिर्फ छह सीटें लेकिन बीजेपी को इससे काफी नुकसान पहुंचा. खैर, 2014 के लोक सभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा फिर से बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी को इसका फायदा भी मिला.

बीजेपी दफ्तर में अनंत कुमार और सदानंद गौड़ा ने येदियुरप्पा को 'हैट्रिट चीफ मिनिस्टर' बताते हुए गर्मजोशी से स्वागत किया. इस पर कार्यकर्ताओं ने तो खूब जयकारे लगाए लेकिन येदियुरप्पा शांत रहे.

भाषण में उन्होंने बड़ी संजीदगी से अपनी बात कही, हां, विरोधियों को जरूर लपेटा, "मुझे 2018 में पार्टी को सत्ता तक पहु्ंचाने की जिम्मेदारी मिली है और ये तभी संभव है जब हम अपने मतभेद भुला कर काम करें."

तो क्या कर्नाटक में येदियुरप्पा ही बीजेपी का चेहरा होंगे? या बीजेपी चुनाव जीतने के बाद इस बारे में कोई फैसला करेगी? बीबीसी से बातचीत में येदियुरप्पा कहते हैं, ''स्वाभाविक तौर जो प्रदेश अध्यक्ष बनता है और पार्टी को सत्ता दिलाता है वही मुख्यमंत्री बनेगा."

विवाद चालू आहे

विवादों के दरम्यान ही येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी - और अब बीजेपी अध्यक्ष बनते ही वो फिर से विवादों में आ गए.

इसे भी पढ़ें: कर्नाटक में धोखाधड़ी की नई घड़ी!

ताजा विवाद उन्हें मिली एक करोड़ रुपये से ऊपर की एक गाड़ी को लेकर हुआ. गाड़ी को लेकर उत्साहित कार्यकर्ताओं में सेल्फी लेने की होड़ मची रही जबकि येदियुरप्पा को उसे वापस करने की घोषणा करनी पड़ी. ये गाड़ी उन्हें सूबे के सूखाग्रस्त इलाकों के दौरे के लिए चीनी के एक कारोबारी ने जब तक जरूरत हो इस्तेमाल करने के लिए दी थी.

तेरा तोहफा तुझे ही मुबारक...

कर्नाटक में हाल ही में विवाद मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की 70 लाख की घड़ी को लेकर भी हुआ था - और आखिरकार उन्हें उसे सरकारी खजाने में जमा करना पड़ा. घड़ी को लेकर बीजेपी ने खूब शोर मचाया और सिद्धारमैया को घोषणा करनेी पड़ी कि वो सेकंड हैंड है और उसे उनके एक दोस्त ने तोहफे में दी है.

जहां तक पुराने मामलों की बात है - येदियुरप्पा के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग और जमीन के गैरकानूनी पट्टे देने से जुड़े मामले खारिज हो चुके हैं. अभी तीन केस हाई कोर्ट और एक सेशंस कोर्ट में चल रहे हैं.

येदियुरप्पा ने अपनी पुरानी गलतियों के लिए कर्नाटक की जनता से माफी भी मांगी है - लेकिन क्या कर्नाटक के लोग येदियुरप्पा को दिल्लीवालों जैसा माफी देंगे - जैसा उन्होंने अरविंद केजरीवाल को दिया - 67 सीटों की सौगात के साथ?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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