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क्या प्रियंका गाँधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार करवा पाएंगी?

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 21 नवम्बर, 2016 04:28 PM
  • 21 नवम्बर, 2016 04:28 PM
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मैया है बीमार, भैया पर पड़ गया भार, प्रियंका को बनाओ उम्मीदवार, पार्टी का करो बेड़ा पार. क्या वाकई प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस को नया तुरूप का पत्ता मिल जाएगा?

यूपी इलेक्शन से पहले फिर से यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को तुरूप के इक्के की तरह पेश करने की तैयारी में है.

हमारे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव ने सुर्खियां बटोरना चालू कर दिया है. कभी कांग्रेस की खाट लूट, तो कभी समाजवादी परिवार में बिखराव की चर्चा हर तरफ जोरों पर है. बीच-बीच में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं द्वारा छोड़े जाने वाले शगूफे भी यह बताने के लिए काफी हैं कि शायद उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत करीब और उसकी अहमियत क्या है. हालाँकि कुछ लोग तो डेमोनेटाइज़ेशन को भी उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़कर देख रहें हैं.

ये भी पढ़ें- अपने अंतिम तुरुप के पत्ते के बाद अब कांग्रेस आगे क्या करेगी?

इधर, इन तमाम बातों के बावजूद सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें उस शख्सियत पर टिकी है, जो गैर-राजनीतिक होते हुए भी सबसे ज्यादा ‘पॉलिटिकल-इलिजिबल’ माना जा रहा है. उस शख्सियत की चर्चा हर दो-चार साल बाद यह कहते हुए कर दी जाती है- ‘इस बार उनका राजनीति में आना तय है’ पर वह होता नहीं है. विभिन्न कारणों से हर बार समर्थकों के दावे फेल हो जाते हैं. अब तो आप भी समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहें हैं. बिलकुल सही हम बात कर रहें हैं प्रियंका गाँधी की.

 प्रियंका गांधी- फाइल फोटो

इस बार फिर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर प्रियंका गांधी के राजनीति में...

यूपी इलेक्शन से पहले फिर से यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को तुरूप के इक्के की तरह पेश करने की तैयारी में है.

हमारे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव ने सुर्खियां बटोरना चालू कर दिया है. कभी कांग्रेस की खाट लूट, तो कभी समाजवादी परिवार में बिखराव की चर्चा हर तरफ जोरों पर है. बीच-बीच में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं द्वारा छोड़े जाने वाले शगूफे भी यह बताने के लिए काफी हैं कि शायद उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत करीब और उसकी अहमियत क्या है. हालाँकि कुछ लोग तो डेमोनेटाइज़ेशन को भी उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़कर देख रहें हैं.

ये भी पढ़ें- अपने अंतिम तुरुप के पत्ते के बाद अब कांग्रेस आगे क्या करेगी?

इधर, इन तमाम बातों के बावजूद सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें उस शख्सियत पर टिकी है, जो गैर-राजनीतिक होते हुए भी सबसे ज्यादा ‘पॉलिटिकल-इलिजिबल’ माना जा रहा है. उस शख्सियत की चर्चा हर दो-चार साल बाद यह कहते हुए कर दी जाती है- ‘इस बार उनका राजनीति में आना तय है’ पर वह होता नहीं है. विभिन्न कारणों से हर बार समर्थकों के दावे फेल हो जाते हैं. अब तो आप भी समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहें हैं. बिलकुल सही हम बात कर रहें हैं प्रियंका गाँधी की.

 प्रियंका गांधी- फाइल फोटो

इस बार फिर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर प्रियंका गांधी के राजनीति में उतरने के संकेत दिए हैं.  नेताओं ने कहा कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी पूरी सक्रियता से पार्टी का प्रचार करेंगी और उसमें महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएंगी.

प्रियंका के समर्थन में पोस्टर-बैनर सामने आते रहे हैं-

गाहे-बगाहे यूपी से भी प्रियंका के समर्थन में पोस्टर-बैनर सामने आते रहे हैं. इससे पहले मई महीने में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर चाहते थे  कि प्रियंका गांधी को यूपी चुनाव का इंचार्ज बनाया जाए. इसके लिए उन्होंने  उत्तर प्रदेश में हर जगह  होर्डिंग्स भी लगवाए थे जिसमे लिखा था  "मैया है बीमार, भैया पर पड़ गया भार, प्रियंका को बनाओ उम्मीदवार, पार्टी का करो बेड़ा पार."

हर बार चुनावी सीज़न में प्रियंका गाँधी को लाने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन पता नही क्यों वो अपने समर्थकों को मायूस रखने में कोई कसर बाकी नही छोड़तीं. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी इस बार अपने समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए सूबे की सियासत में अपना डंका बजाएंगीं? यदि वो यूपी की राजनीति में कदम रखती हैं, तो बेशक बहुत बड़ा सियासी घटनाक्रम होगा, जिसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं. जानकार बताते हैं कि अगर प्रियंका गांधी राजनीति में आती हैं, तो यह कांग्रेस के लिए संजीवनी के साथ ही मास्टकर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है.

पहली बार अमेठी और रायबरेली से बाहर भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगी-

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर के मुताबिक प्रियंका गांधी इस बार पूरे यूपी में चुनाव प्रचार करेंगी. प्रियंका पहली बार अमेठी और रायबरेली से बाहर भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगी, साथ ही वे सक्रिय राजनीति में कदम भी रखेंगी. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को जिताने का जिम्मा उन्हीं पर होता है. यहां के अलावा वह कहीं प्रचार नहीं करतीं. अगर वे सक्रिय राजनीति में आती हैं, तो कांग्रेस को नया चेहरा मिलेगा.

इंदिरा गाँधी की तरह कार्य शैली-

प्रियंका गाँधी के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि उनमे  उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि दिखती है और उनके भाषण देने की शैली भी इंदिरा गाँधी जैसी ही है. आम जनता कांग्रेस के अन्य नेताओं की अपेक्षा प्रियंका के भाषणों से जल्दी जुड़ाव महसूस करती है. इंदिरा गाँधी की तरह प्रियंका भी आम जनता के बीच में जाकर लोगों से मिलती हैं.

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पूर्व में, प्रियंका ने अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों के बाहर प्रचार नहीं किया. इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व उनके भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी करते हैं. कांग्रेस नेताओं के बड़े तबके का विश्वास है कि अगर प्रियंका पूरे प्रदेश में प्रचार करती हैं तो इससे पार्टी को बहुत फायदा होगा.

फिलहाल अब देखना है कि पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के अनुरूप  प्रियंका गांधी राजनीति में आती हैं अथवा नहीं और यदि आती हैं, तो क्या वो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार लगा पाती हैं या नहीं?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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