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बीमार होना कोई गुनाह नही है...

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 20 नवम्बर, 2016 03:41 PM
  • 20 नवम्बर, 2016 03:41 PM
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बीमार होना कोई गुनाह नहीं है फिर क्यों राजनीतिक गलियारे मेंं नेता अपनी बीमारी को किसी सीक्रेट मिशन की तरह छुपाते हैं. सुषमा स्वराज ने अपनी बीमारी जाहिर करके नई शुरुआत की है.

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता अब बेहतर हैं और उन्हें अब IC से बाहर कर दिया गया है.  बहुत जल्द ही जयललिता को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी ऐसी उम्मीद की जा रही है. पूरे देश के लिए ये एक अच्छी खबर है मगर एक सवाल का जवाब जो शायद लोगों को ना मिल सके वो यह कि आखिर जयललिता को हुआ क्या था? लगभग दो महीने तक अपोलो के IC में बिताने के बाद भी ना तो उनकी बीमारी के बारे में कोई सूचना दी गई और ना ही उनके इलाज में लगे डॉक्टरों की टीम से बात करने की छूट मिल पाई. जयललिता के बीमारी किसी बड़े राज की तरह छुपा कर रखा गया और ले देकर उसी भारतीय परंपरा का निर्वहन किया गया जिसमें राजनेता ज्यादातर मौकों पर अपनी बीमारी को सार्वजनिक करने से बचते रहते हैं.

 सुषमा स्वराज-फाइल फोटो

इसके ठीक उलट पिछले हफ्ते ही दिल्ली की AIIMS में भर्ती हुई सुषमा स्वराज ने भारतीय राजनीति में एक स्वस्थ परंपरा की शुरुआत करते हुए अपनी बीमारी को सार्वजनिक करते हुए ट्वीट किया जिसमें उन्होंने अपनी किडनी ख़राब होने की जानकारी दी और साथ ही खुद के डायलिसिस पर होने की बात भी बताई. सुषमा स्वराज ने जिस साफगोई से अपनी बीमारी की सूचना सार्वजनिक की वो भारतीय राजनेताओं में अब तक कम ही देखने को मिला है.

ये भी पढ़ें-दो टूक सुनाने के मामले में सुषमा से बेहतर कोई नहीं

जयललिता तो उस कड़ी का एक और नाम जहाँ राजनेताओं का अपनी बीमारी की सूचना सार्वजनिक करना अपनी छवि और व्यक्तित्व को कम करना माना जाता है....

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता अब बेहतर हैं और उन्हें अब IC से बाहर कर दिया गया है.  बहुत जल्द ही जयललिता को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी ऐसी उम्मीद की जा रही है. पूरे देश के लिए ये एक अच्छी खबर है मगर एक सवाल का जवाब जो शायद लोगों को ना मिल सके वो यह कि आखिर जयललिता को हुआ क्या था? लगभग दो महीने तक अपोलो के IC में बिताने के बाद भी ना तो उनकी बीमारी के बारे में कोई सूचना दी गई और ना ही उनके इलाज में लगे डॉक्टरों की टीम से बात करने की छूट मिल पाई. जयललिता के बीमारी किसी बड़े राज की तरह छुपा कर रखा गया और ले देकर उसी भारतीय परंपरा का निर्वहन किया गया जिसमें राजनेता ज्यादातर मौकों पर अपनी बीमारी को सार्वजनिक करने से बचते रहते हैं.

 सुषमा स्वराज-फाइल फोटो

इसके ठीक उलट पिछले हफ्ते ही दिल्ली की AIIMS में भर्ती हुई सुषमा स्वराज ने भारतीय राजनीति में एक स्वस्थ परंपरा की शुरुआत करते हुए अपनी बीमारी को सार्वजनिक करते हुए ट्वीट किया जिसमें उन्होंने अपनी किडनी ख़राब होने की जानकारी दी और साथ ही खुद के डायलिसिस पर होने की बात भी बताई. सुषमा स्वराज ने जिस साफगोई से अपनी बीमारी की सूचना सार्वजनिक की वो भारतीय राजनेताओं में अब तक कम ही देखने को मिला है.

ये भी पढ़ें-दो टूक सुनाने के मामले में सुषमा से बेहतर कोई नहीं

जयललिता तो उस कड़ी का एक और नाम जहाँ राजनेताओं का अपनी बीमारी की सूचना सार्वजनिक करना अपनी छवि और व्यक्तित्व को कम करना माना जाता है. इससे पहले जयललिता के राजनीतिक गुरु माने जाने वाले M.G.रामचंद्रन की बीमारी की काफी कम जानकारी आम लोगों को दी गई थी. समय-समय पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की भी बीमार होने की ख़बरें आती हैं ,कई बार सोनिया गाँधी ने अपने इलाज के लिए विदेश भी जा चुकी हैं मगर उनकी बीमारी की जानकारी किसी को नही दी जाती.

एक राजनीतिज्ञ के तौर पर सार्वजनिक जीवन बीताने के बावजूद नेता आखिर अपनी बीमारी पर पर्दा डालना ही क्यों बेहतर समझते हैं, ये समझ से परे है. नेताओं को अगर ये डर है कि खुद की बीमारी को सार्वजनिक करना उनके व्यक्तित्व अथवा लोकप्रियता में कोई कमी ला सकता है तो उन्हें सुषमा स्वराज से सबक लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- सुषमा स्वराज ने एक हनीमून खराब होने से बचा लिया, लेकिन...

सुषमा स्वराज के यह बताने के बाद से कि उन्हें किडनी बदलने की जरुरत है उनके लिए भारत ही नहीं, पाकिस्तान समेत कई देशों से किडनी डोनोरों की लंबी फेहरिस्त सामने आ गई है और सुषमा स्वराज की बीमारी की जानकारी देने से उनके व्यक्तित्व को एक नया आयाम ही मिला है. हमारे देश से ठीक उलट अमेरिका में राष्ट्रपति की बीमारी से जुड़ी हर जानकारी मेडिकल बुलेटिन द्वारा सार्वजनिक की जाती है, जबकि हमारे देश के मेडिकल बुलेटिन में चीजें बताने से ज्यादा छुपाने पर ध्यान दिया जाता है. अब सुषमा स्वराज के ईमानदार प्रयास के बाद उम्मीद है की हमारे राजनेता अपनी बीमारी बताने में कोई गुरेज नही करेंगे क्योंकि बीमार होना कोई गुनाह नही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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