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गुजरात में एक अजीब रिश्‍ता कांग्रेस और केजरीवाल का !

    • आलोक रंजन
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2017 09:09 PM
  • 24 अक्टूबर, 2017 09:09 PM
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कांग्रेस, बीजेपी को हराने के लिए आप का साथ लेने के बदले उल्टा आप पर बीजेपी को मदद करने का आरोप लगा रही है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने आप को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.

गुजरात में चुनावी उबाल चरम पर है. अभी तक असेंबली इलेक्शन के तारीख की घोषणा नहीं की गयी है. लेकिन चुनावी सरगर्मी सिर चढ़कर बोल रही है. नेताओं को खींचने का दौर जारी है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है. यहां पर बीजेपी पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतने का दावा ठोक रही है. कांग्रेस विकास के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी अपने दौरों में खुले तौर पर बीजेपी की धज्जियां उड़ा रहे हैं. बीजेपी के खिलाफ के सारे लोगों को एकजुट करने में कांग्रेस पूरी तरह सक्रिय है.

पिछड़ा-दलित-आदिवासी एकता मंच के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकौर को अपने खेमे में लेने में वो सफल भी हो चुके हैं. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का साथ देने का ऐलान पहले ही कर दिया है. रही बात जिग्नेश मेवानी की तो उन्होंने संकेत दिए हैं कि कुछ दिन में वे कोई कदम उठाएंगे. हालांकि उनका भी मत अन्य दो युवा नेताओं की तरह ही है. वो भी मानते हैं कि वर्तमान बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी है. बीजेपी, कांग्रेस पर आरोप लगा रही है की वोट बैंक के लिए वे इन युवा नेताओं को भड़का रही है.

कांग्रेस असंतुष्टों को अपने साथ जोड़ रही है

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी यानी आप भी गुजरात के सियासी मैदान में छलांग लगा चुकी है. उसने तो चुनाव के लिए अपने 11 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. प्रत्याशियों की घोषणा के दौरान आप ने साफ कर दिया था की उनकी पार्टी बीजेपी से गुजरात को छुटकारा दिलाने के वचन के साथ चुनाव लड़ेगी. साथ भी ये भी कहा की उनकी लड़ाई सीधे सत्तारूढ़ दल के साथ है. इस चुनाव में उनकी मंशा ये है की जहां वे कमजोर हैं, जहां मतों के विभाजन की संभावना है वहां वो उम्मीदवार नहीं उतरेंगे.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात में बीजेपी को...

गुजरात में चुनावी उबाल चरम पर है. अभी तक असेंबली इलेक्शन के तारीख की घोषणा नहीं की गयी है. लेकिन चुनावी सरगर्मी सिर चढ़कर बोल रही है. नेताओं को खींचने का दौर जारी है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है. यहां पर बीजेपी पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतने का दावा ठोक रही है. कांग्रेस विकास के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी अपने दौरों में खुले तौर पर बीजेपी की धज्जियां उड़ा रहे हैं. बीजेपी के खिलाफ के सारे लोगों को एकजुट करने में कांग्रेस पूरी तरह सक्रिय है.

पिछड़ा-दलित-आदिवासी एकता मंच के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकौर को अपने खेमे में लेने में वो सफल भी हो चुके हैं. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस का साथ देने का ऐलान पहले ही कर दिया है. रही बात जिग्नेश मेवानी की तो उन्होंने संकेत दिए हैं कि कुछ दिन में वे कोई कदम उठाएंगे. हालांकि उनका भी मत अन्य दो युवा नेताओं की तरह ही है. वो भी मानते हैं कि वर्तमान बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी है. बीजेपी, कांग्रेस पर आरोप लगा रही है की वोट बैंक के लिए वे इन युवा नेताओं को भड़का रही है.

कांग्रेस असंतुष्टों को अपने साथ जोड़ रही है

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी यानी आप भी गुजरात के सियासी मैदान में छलांग लगा चुकी है. उसने तो चुनाव के लिए अपने 11 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. प्रत्याशियों की घोषणा के दौरान आप ने साफ कर दिया था की उनकी पार्टी बीजेपी से गुजरात को छुटकारा दिलाने के वचन के साथ चुनाव लड़ेगी. साथ भी ये भी कहा की उनकी लड़ाई सीधे सत्तारूढ़ दल के साथ है. इस चुनाव में उनकी मंशा ये है की जहां वे कमजोर हैं, जहां मतों के विभाजन की संभावना है वहां वो उम्मीदवार नहीं उतरेंगे.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए आप, कांग्रेस का साथ देने तक तैयार थी. लेकिन कांग्रेस ने उसके पॉजिटिव रिस्पांस पर नेगेटिव रुख जताया. अगर गुजरात में बीजेपी को हराना है तो उसे आप से सहयोग लेने में गुरेज़ क्यों है? जब वो अन्य असंतुष्ट नेताओं का साथ ले सकती है, तो फिर आप से क्यों नहीं? अगर आपको याद है तो 2013 में कांग्रेस के समर्थन से ही दिल्ली में आप की पहली सरकार बनी थी.

कांग्रेस, बीजेपी को हराने के लिए आप का साथ लेने के बदले उल्टा आप पर बीजेपी को मदद करने का आरोप लगा रही है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने आप को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि- आप, बीजेपी को सियासी लाभ पहुंचा रही है. केजरीवाल की पार्टी उन्हीं राज्यों में चुनाव लड़ती है जहां बीजेपी या उसके गठबंधन की सरकार है. और ऐसा करके वे सरकार विरोधी लहर को बांटने और कांग्रेस के वोट में सेंध लगाने की कोशिश करते हैं. मिसाल के तौर पर इस वर्ष आप ने पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव तो लड़ा, लेकिन गैर बीजेपी शासित उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर के चुनाव से दूर रही. अब वो बीजेपी शासित गुजरात में चुनाव लड़ने जा रही है. लेकिन कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में नहीं.

कांग्रेस आप का दामन थामने के बजाए उसके दाग दिखा रही है

जिन 11 सीटों पर आप ने उम्मीदवारों का ऐलान किया है, उनमें से ज्यादातर सीटें ऐसी हैं जहां पाटीदार आंदोलन की वजह से बीजेपी के लिए सीट बचाना काफी कठिन होगा. साथ ही साथ इन 11 सीटों में से 5 सीटें ऐसी हैं जहां 2012 विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने काफी कम अंतर से विजय पायी थी. पिछले चुनावों में इन 11 सीटों में से 9 सीट बीजेपी के पास थी और कांग्रेस के पास 2 सीट.

आप की गुजरात में रणनीति

आप का शुरू में ये विचार था की वो पूरी ताकत से गुजरात में विधान सभा का चुनाव लड़ेगी और सभी सीटों में अपना उम्मीदवार उतारेगी. लेकिन बाद में पंजाब, गोवा के विधानसभा और दिल्ली के नगर निगम चुनाव में मिली हार के बाद खबर निकल कर आयी है की आप गुजरात के चुनावों से दूर रहेगी. गुजरात में 11 उम्मीदवारों के ऐलान के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं की वो टोटल कितने सीटों से चुनाव लड़ेगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आप सिर्फ उन्हीं सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेगी जहां भाजपा विरोधी लहर चरम पर है. अहमदाबाद, सूरत, सौराष्ट्र के कुछ इलाके में बीजेपी से लोगों की नाराजगी काफी अधिक है. और इन्हीं सीटों पर वो ज्यादा फोकस कर रही है. आप की स्ट्रेटेजी ये भी है की जिन सीटों पर वो उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी वहां बीजेपी को हराने के लिए अन्य विपक्षी दलों का साथ देगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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