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आखिर क्यों मरने-मारने को तैयार हैं तमिलनाडु के AIADMK कार्यकर्ता

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 05 दिसम्बर, 2016 04:45 PM
  • 05 दिसम्बर, 2016 04:45 PM
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जयललिता की सेहत के लिए उनके पार्टी वर्कर कई जगहों पर पूजा हवन कर रहे हैं. वहीं, कुड्डालोर से खबर आ रही है कि पार्टी का एक कार्यकर्ता अम्मा की खबर पाते ही मृत्यु को प्राप्त हो गया है. आखिर ऐसा क्यों होता है तमिलनाडु में?

जयललिता के राजनैतिक गुरु एमजी रामचंद्रन ने अपने जीवन की शुरुआत फ़िल्मी दुनिया से की और बाद में राजनीती में आये, वहीं जयललिता ने भी जीवन की शुरुआत फिल्मों से की और तमिलनाडु की राजनीति के शिखर तक पहुंच गईं. जयललिता को हार्ट अटैक के बाद चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट किया गया हैं. उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम-ईसीएमओ पर रखा गया है. 74 दिनों में उन्हें दूसरी बाद दिल का दौरा पड़ा है. जयललिता की सेहत के लिए उनके पार्टी वर्कर कई जगहों पर पूजा हवन कर रहे हैं. वहीं, कुड्डालोर से खबर आ रही है कि पार्टी का एक कार्यकर्ता अम्मा की खबर पाते ही मृत्यु को प्राप्त हो गया है.

 एमजीआर के पुतले के साथ जयललिता

तमिलनाडु के  इतिहास पर अगर नजर डालें तो एमजी रामचंद्रन के बाद जयललिता ही ऐसी नेता हैं जिनके लिए सबसे ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई है. प्रश्न उठता है ऐसी कौन सी बात है जो तमिलनाडु के लोगों को आत्मा हत्या या सुसाइड करने को मजबूर करती है, जमीनी नेता, एक परिपाटी या भावनाएं.

ये भी पढ़ें- जयललिता: कहानी फ़िल्मी नहीं है...

पिछली बार जब अम्मा आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार दी गयी थीं तो उनके समर्थक इसे सहन नहीं कर पाए. कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद ही उनकी पार्टी के समर्थकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया था जिसमें 193 लोगों ने अपनी जान दे दी, जयललिता ने भी उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देकर उनके घावों पर मरहम...

जयललिता के राजनैतिक गुरु एमजी रामचंद्रन ने अपने जीवन की शुरुआत फ़िल्मी दुनिया से की और बाद में राजनीती में आये, वहीं जयललिता ने भी जीवन की शुरुआत फिल्मों से की और तमिलनाडु की राजनीति के शिखर तक पहुंच गईं. जयललिता को हार्ट अटैक के बाद चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट किया गया हैं. उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम-ईसीएमओ पर रखा गया है. 74 दिनों में उन्हें दूसरी बाद दिल का दौरा पड़ा है. जयललिता की सेहत के लिए उनके पार्टी वर्कर कई जगहों पर पूजा हवन कर रहे हैं. वहीं, कुड्डालोर से खबर आ रही है कि पार्टी का एक कार्यकर्ता अम्मा की खबर पाते ही मृत्यु को प्राप्त हो गया है.

 एमजीआर के पुतले के साथ जयललिता

तमिलनाडु के  इतिहास पर अगर नजर डालें तो एमजी रामचंद्रन के बाद जयललिता ही ऐसी नेता हैं जिनके लिए सबसे ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई है. प्रश्न उठता है ऐसी कौन सी बात है जो तमिलनाडु के लोगों को आत्मा हत्या या सुसाइड करने को मजबूर करती है, जमीनी नेता, एक परिपाटी या भावनाएं.

ये भी पढ़ें- जयललिता: कहानी फ़िल्मी नहीं है...

पिछली बार जब अम्मा आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार दी गयी थीं तो उनके समर्थक इसे सहन नहीं कर पाए. कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद ही उनकी पार्टी के समर्थकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया था जिसमें 193 लोगों ने अपनी जान दे दी, जयललिता ने भी उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देकर उनके घावों पर मरहम लगाने का काम किया था. पार्टी का दावा था कि 193 में से 139 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई, 17 लोगों ने आत्मदाह किया, 20 लोगों ने फांसी लगाई और 9 लोगों ने जहर खाकर अपनी जान दी.

 जयललिता के सपोर्टर

यही स्तिथि कुछ-कुछ जयललिता के उद्धारक एमजी रामचंद्रन के समय में भी देखने को मिली थी जब 1972 में एमजी आर को डीएमके से निष्कासित कर दिया गया था. इसके विरोध में दो लोगों ने आत्मा हत्या कर ली थी. यह तो बस एक शुरुआत थी.

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ज्यादा लोगों की जान देने का सिलसिला तो तब शुरू हुआ जब एमजी रामचंद्रन का दिसंबर 1987 में इंतकाल हुआ. तमिलनाडु में अफरातफरी मच गई थी, स्कूल, कॉलेज सब बंद कर दिए गए थे. इस दौरान 31 लोगों की मृत्यु हुई थी. इस प्रकार क़ी घटनाएं ज्यादातर तमिलनाडु में ही दिखाई देती हैं. वायको को जब डीएमके से निकाला गया था तब भी कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. सवाल यह है कि ये व्यक्ति प्रेम है या राजनैतिक प्रेम या भावना में बहकर दी जाने वाली आहुति?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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