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पंजाब चुनाव से पहले सिख पॉलिटिक्स के उलझे दांव पेंच

    • संजय शर्मा
    • Updated: 03 मई, 2016 06:11 PM
  • 03 मई, 2016 06:11 PM
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पर्दा उठता है 13 अप्रैल को. बकौल आप नेता और पेशे से वकील एच एस फुल्का - लन्दन में उनके कार्यक्रम संयोजक इंदरपाल सिंह के फोन पर भारत से कॉल आती है. और...

पंजाब चुनाव की आहट से कांग्रेस के दिल में सिख दंगों की याद और सहानुभूति जगने लगी है. वहीं, सिखों से सहानुभूति की होड़ में आम आदमी पार्टी भी है. मुक़ाबला ज़बानी जंग का है - दिल्ली टू लंदन वाया पंजाब!

इस मेलोड्रामा का पर्दा उठता है 13 अप्रैल को. बकौल आप नेता और पेशे से वकील एच एस फुल्का - लन्दन में उनके कार्यक्रम संयोजक इंदरपाल सिंह के फोन पर भारत से कॉल आती है.

इसे भी पढ़ें: तीसरा युद्ध हो न हो, पंजाब की चुनावी जंग तो पानी पर ही होगी

डॉ. विनय प्रशांत किशोर के हवाले से बात करना चाहते हैं. इन्दरपाल और फुल्का दोनों को लगता है पीके शायद कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश करना चाह रहे हैं. जवाब सपाट और दो टूक होता है - ना.

14 अप्रैल को लंदन में बसे डॉ. विनय झा फिर फोन कर फुल्का से बात कराने को कहते हैं पर जवाब फिर ना.

अब सीन बदलता है. फुल्का भारत में और झा लन्दन में. फिर कॉल. फुल्का और झा के बीच 30 अप्रैल को पहली बार सीधी बात. "जी वो तो प्रशांत किशोर जी सिख दंगों के बारे में आपसे कुछ मशविरा चाहते थे. कांग्रेस इस मुद्दे को पंजाब चुनाव के घोषणापत्र में शामिल करना चाहती है. मैसेज गलत तरीके से पेश किया गया. कांग्रेस में शामिल होने की कोई बात ही नही है."

सिखों से सहानुभूति की होड़...

सिख दंगो पर कांग्रेस फुल्का से राय मांगे. घोषणापत्र में शामिल करने को और वो भी पंजाब चुनाव से पहले. बल्ले बल्ले. फुल्का साब तैयार तो हुए पर मीडिया...

पंजाब चुनाव की आहट से कांग्रेस के दिल में सिख दंगों की याद और सहानुभूति जगने लगी है. वहीं, सिखों से सहानुभूति की होड़ में आम आदमी पार्टी भी है. मुक़ाबला ज़बानी जंग का है - दिल्ली टू लंदन वाया पंजाब!

इस मेलोड्रामा का पर्दा उठता है 13 अप्रैल को. बकौल आप नेता और पेशे से वकील एच एस फुल्का - लन्दन में उनके कार्यक्रम संयोजक इंदरपाल सिंह के फोन पर भारत से कॉल आती है.

इसे भी पढ़ें: तीसरा युद्ध हो न हो, पंजाब की चुनावी जंग तो पानी पर ही होगी

डॉ. विनय प्रशांत किशोर के हवाले से बात करना चाहते हैं. इन्दरपाल और फुल्का दोनों को लगता है पीके शायद कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश करना चाह रहे हैं. जवाब सपाट और दो टूक होता है - ना.

14 अप्रैल को लंदन में बसे डॉ. विनय झा फिर फोन कर फुल्का से बात कराने को कहते हैं पर जवाब फिर ना.

अब सीन बदलता है. फुल्का भारत में और झा लन्दन में. फिर कॉल. फुल्का और झा के बीच 30 अप्रैल को पहली बार सीधी बात. "जी वो तो प्रशांत किशोर जी सिख दंगों के बारे में आपसे कुछ मशविरा चाहते थे. कांग्रेस इस मुद्दे को पंजाब चुनाव के घोषणापत्र में शामिल करना चाहती है. मैसेज गलत तरीके से पेश किया गया. कांग्रेस में शामिल होने की कोई बात ही नही है."

सिखों से सहानुभूति की होड़...

सिख दंगो पर कांग्रेस फुल्का से राय मांगे. घोषणापत्र में शामिल करने को और वो भी पंजाब चुनाव से पहले. बल्ले बल्ले. फुल्का साब तैयार तो हुए पर मीडिया में इसकी मुनादी करते हुए. मीडिया में मुकदमा गया तो पीके की टीम ने काउंटर कर दिया. इस बदले पैंतरे से तिलमिलाए वकील साब ने भी सारे सबूत एक साथ पेश कर दिए. "लो जी, सम्हालो तुहाडे SMS."

इसे भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल को क्यों अच्छे लगने लगे प्रशांत किशोर

सोशल मीडिया के पाले में वो सारे SMS जो विनय झा ने इंदर पाल सिंह को भेजे थे. तब कौन जानता था कि ये SMS भी सिख राजनीति में धारदार हथियार बन जाएंगे.

सबूत तो पेश हो गए अब पीके की टीम इसकी काट के लिए क्या पैंतरा, कौन सा दांव आजमाती है देखें. मुक़ाबला दिलचस्प होता जा रहा है. क्योंकि वैसे भी टीम पीके की मंज़िल भारत के चुनाव नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में रणनीतिक दांव पेंच और पैंतरेबाज़ी दिखाना है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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