• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

अरविंद केजरीवाल को क्यों अच्छे लगने लगे प्रशांत किशोर

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 07 अप्रिल, 2016 03:46 PM
  • 07 अप्रिल, 2016 03:46 PM
offline
केजरीवाल का मानना है कि कांग्रेस के लिए पंजाब में कैप्टन अमरिंदर से बेहतर उम्मीदवार प्रशांत किशोर साबित होंगे. प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस की साख बचा सकते है और साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी की जगह भी ले सकते हैं.

पंजाब चुनावों में 100 सीट जीतकर अरविंद केजरीवाल एक बड़ा पोलिटिकल स्टेटमेंट देने की फिराक में है. पोलिटिकल सर्वे भविष्यवाणी कर रहे हैं कि 117 सीटों की विधानसभा में कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल मिलकर महज 17 सीटें बटोर पाएंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि पंजाब में चुनावों से एक साल पहले से ही आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित लहर महसूस की जा रही है. लिहाजा, सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के कर्ताधर्ता अरविंद केजरीवाल के ऊपर है कि वह कैसे 100 सीटों के इस आंकडे को सच साबित कर दें.

अब इसे राजनीतिक हमला कहा जाए या अरविंद केजरीवाल की रणनीति का हिस्सा- उन्हें राज्य में कांग्रेस के प्रचार की जिम्मेदारी संभाल चुके प्रशांत किशोर अचानक से कांग्रेस के लिए तारणहार दिखाई देने लगे हैं. एक प्रमुख राष्ट्रीय अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में केजरीवाल ने राज्य में कांग्रेस का चेहरा रहे और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि पंजाब में कांग्रेस को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि प्रशांत किशोर को बतौर मुख्यमंत्री पेश किया जाए.

केजरीवाल का कहना है कि, ‘पंजाब में कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डुबो दिया है. कैप्टन अमरिंदर एक आलसी आदमी हैं. राजनीतिक और प्रशाषनिक कामकाज के लिए उनके पास वक्त नहीं है. वह सुबह 11 बजे सोकर उठते हैं और शाम 6 बजे के बाद किसी से मुलाकात के लिए उनके पास वक्त नहीं रहता.’ इसके उलट राजनीतिक हल्कों में यह जगजाहिर है कि अरविंद केजरीवाल एक वर्कोहॉलिक है. राजनीति और प्रशाषनिक कामकाज के लिए उनके पास 24/7 का वक्त है.

कैप्टन अमरिंदर और राहुल गांधी

अब कैप्टन...

पंजाब चुनावों में 100 सीट जीतकर अरविंद केजरीवाल एक बड़ा पोलिटिकल स्टेटमेंट देने की फिराक में है. पोलिटिकल सर्वे भविष्यवाणी कर रहे हैं कि 117 सीटों की विधानसभा में कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल मिलकर महज 17 सीटें बटोर पाएंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि पंजाब में चुनावों से एक साल पहले से ही आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित लहर महसूस की जा रही है. लिहाजा, सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के कर्ताधर्ता अरविंद केजरीवाल के ऊपर है कि वह कैसे 100 सीटों के इस आंकडे को सच साबित कर दें.

अब इसे राजनीतिक हमला कहा जाए या अरविंद केजरीवाल की रणनीति का हिस्सा- उन्हें राज्य में कांग्रेस के प्रचार की जिम्मेदारी संभाल चुके प्रशांत किशोर अचानक से कांग्रेस के लिए तारणहार दिखाई देने लगे हैं. एक प्रमुख राष्ट्रीय अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में केजरीवाल ने राज्य में कांग्रेस का चेहरा रहे और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि पंजाब में कांग्रेस को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि प्रशांत किशोर को बतौर मुख्यमंत्री पेश किया जाए.

केजरीवाल का कहना है कि, ‘पंजाब में कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डुबो दिया है. कैप्टन अमरिंदर एक आलसी आदमी हैं. राजनीतिक और प्रशाषनिक कामकाज के लिए उनके पास वक्त नहीं है. वह सुबह 11 बजे सोकर उठते हैं और शाम 6 बजे के बाद किसी से मुलाकात के लिए उनके पास वक्त नहीं रहता.’ इसके उलट राजनीतिक हल्कों में यह जगजाहिर है कि अरविंद केजरीवाल एक वर्कोहॉलिक है. राजनीति और प्रशाषनिक कामकाज के लिए उनके पास 24/7 का वक्त है.

कैप्टन अमरिंदर और राहुल गांधी

अब कैप्टन अमरिंदर सिंह पर ये प्रहार करने के बाद केजरीवाल पंजाब में कांग्रेस को बचाने की नसीहत भी दे रहे हैं. केजरीवाल का मानना है कि कांग्रेस के लिए पंजाब में कैप्टन अमरिंदर से बेहतर उम्मीदवार प्रशांत किशोर साबित होंगे. इसके आगे केजरीवाल का दावा है कि प्रशांत किशोर के सहारे कांग्रेस पहले तो पंजाब में अपनी साख बचा सकती है और उसके बाद वह राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी की जगह भी ले सकते हैं.

अब सवाल यह है कि अचानक अरविंद केजरीवाल को प्रशांत किशोर अपने जैसे मेधावी क्यों लगने लगे हैं? क्या अरविंद केजरीवाल को पंजाब में 100 सीट जीतने की चुनौती मंजूर नहीं है और इसलिए वह कांग्रेस को पंजाब जीतने का फॉर्मूला दे रहे हैं?

दरअसल, पंजाब में आम आदमी पार्टी की लहर के सामने अगर कोई पार्टी खड़ी है तो वह कांग्रेस है. राज्य में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल की सरकार के खिलाफ मजबूत एंटी-इंकम्बेंसी है. इसी एंटी-इंकम्बेंसी के चलते पोलिटिकल सर्वे बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के लिए सीटों का आंकलन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के सामने अगर कोई चुनौती है तो वह कांग्रेस पार्टी दे सकती है. बीजेपी-अकाली दल के खिलाफ एंटीइंकम्बेंसी में मुनाफा न सिर्फ आम आदमी पार्टी को है बल्कि कांग्रेस भी प्रबल दावेदार है. लिहाजा, अरविंद केजरीवाल के लिए जरूरी है कि वह ऐसी स्थिति में अपने प्रमुख दावेदार कांग्रेस को निशाने पर रखें और दिल्ली की तर्ज पर प्रतिद्वंदी को रावण बनाने में कोई कसर न छोड़े. अरविंद अच्छी तरह जानते हैं कि कैप्टन अमरिंदर के ऊपर किए ऐसे प्रहार एक कृषि प्रधान प्रदेश में मायने रखेंगे. वहां वोटर सुबह होते ही खेतों पर निकल जाते हैं. वहां का सिख शाम होते ही लस्सी पीकर और भी मिलनसार हो जाता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲