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सियासत

मोदी-शाह के स्वर्णिम युग में चेन्नई एक्सप्रेस का डिरेल हो जाना!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 23 अगस्त, 2017 05:11 PM
  • 23 अगस्त, 2017 05:11 PM
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कहां एआईएडीएमके के एनडीए में शामिल होने और उसके नेताओं के मंत्री बनने की चर्चा चल रही थी - और कहां विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचा दिया गया.

हफ्ते भर में दो-दो रेल हादसों के एपिसेंटर भले ही सिर्फ सुरेश प्रभु हों, लेकिन उसके असर से सत्ताधारी दल की सियासी रफ्तार थम सी गयी है. आखिर मोदी-शाह की जोड़ी के स्वर्णिम युग की यात्रा के बीच में ही चेन्नई एक्सप्रेस के डिरेल हो जाने को आखिर किस रूप में देखा जाये?

कहां जेडीयू के बाद एआईएडीएमके के भी एनडीए में शामिल होने और उसके नेताओं के मंत्री बनने की चर्चा चल रही थी - और कहां विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचा दिया गया. कहां एआईएडीएमके को साथ लेकर बीजेपी 2019 में राजनीतिक रसूख वाले हर दल को साथ होने की उम्मीद पाले हुई थी - और कहां रास्ते में भी चेन पुलिंग हो गयी.

सियासत के सफर में डिरेल होने के मायने

कांग्रेस मुक्त भारत से विपक्ष की मुक्ति पर शिफ्ट हो चुकी बीजेपी की मुहिम अच्छी स्पीड में आगे बढ़ी जा रही थी. बिहार के बाद बाकी राज्यों में छोटी मोटी हेर फेर के बाद तमिलनाडु में भी मिशन अपना मुकाम हासिल कर चुका था. एआईएडीएमके के दोनों धड़े ऊपर से आये बाहरी दबाव में ही सही एक दूसरे की शर्तों को पूरा करते हुए हाथ मिला कर अपनी अपनी कुर्सी संभाल चुके थे. होने को तो वो भी होता ही है जो कोई सोचा नहीं रहता. जिस चेन्नई एक्सप्रेस पर मोदी-शाह की जोड़ी सवार थी उसके भी 19 डिब्बे डिरेल हो गये और फिर से रिजॉर्ट में पहुंचा दिये गये. छह महीने के भीतर ये दूसरा मौका है जब तमिलनाडु में विधायकों को रिजॉर्ट में ले जाया गया है. इस बार संख्या सिर्फ 19 है, जिनके बारे में शशिकला के भांजे टीटीवी दिनाकरन के समर्थक होने का दावा किया जा रहा है.

मौके की तलाश में बैठी मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके का दावा है कि मुख्यमंत्री ई पलानीसामी के पक्ष में आंकड़े नहीं बचे हैं. डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन है. कांग्रेस अपने बूते तो कुछ नहीं कर सकती लेकिन डीएमके के जरिये वो एआईएडीएमके को घेर कर बीजेपी को डैमेज करने का मौका भी नहीं छोड़ना चाहेगी.

हफ्ते भर में दो-दो रेल हादसों के एपिसेंटर भले ही सिर्फ सुरेश प्रभु हों, लेकिन उसके असर से सत्ताधारी दल की सियासी रफ्तार थम सी गयी है. आखिर मोदी-शाह की जोड़ी के स्वर्णिम युग की यात्रा के बीच में ही चेन्नई एक्सप्रेस के डिरेल हो जाने को आखिर किस रूप में देखा जाये?

कहां जेडीयू के बाद एआईएडीएमके के भी एनडीए में शामिल होने और उसके नेताओं के मंत्री बनने की चर्चा चल रही थी - और कहां विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचा दिया गया. कहां एआईएडीएमके को साथ लेकर बीजेपी 2019 में राजनीतिक रसूख वाले हर दल को साथ होने की उम्मीद पाले हुई थी - और कहां रास्ते में भी चेन पुलिंग हो गयी.

सियासत के सफर में डिरेल होने के मायने

कांग्रेस मुक्त भारत से विपक्ष की मुक्ति पर शिफ्ट हो चुकी बीजेपी की मुहिम अच्छी स्पीड में आगे बढ़ी जा रही थी. बिहार के बाद बाकी राज्यों में छोटी मोटी हेर फेर के बाद तमिलनाडु में भी मिशन अपना मुकाम हासिल कर चुका था. एआईएडीएमके के दोनों धड़े ऊपर से आये बाहरी दबाव में ही सही एक दूसरे की शर्तों को पूरा करते हुए हाथ मिला कर अपनी अपनी कुर्सी संभाल चुके थे. होने को तो वो भी होता ही है जो कोई सोचा नहीं रहता. जिस चेन्नई एक्सप्रेस पर मोदी-शाह की जोड़ी सवार थी उसके भी 19 डिब्बे डिरेल हो गये और फिर से रिजॉर्ट में पहुंचा दिये गये. छह महीने के भीतर ये दूसरा मौका है जब तमिलनाडु में विधायकों को रिजॉर्ट में ले जाया गया है. इस बार संख्या सिर्फ 19 है, जिनके बारे में शशिकला के भांजे टीटीवी दिनाकरन के समर्थक होने का दावा किया जा रहा है.

मौके की तलाश में बैठी मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके का दावा है कि मुख्यमंत्री ई पलानीसामी के पक्ष में आंकड़े नहीं बचे हैं. डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन है. कांग्रेस अपने बूते तो कुछ नहीं कर सकती लेकिन डीएमके के जरिये वो एआईएडीएमके को घेर कर बीजेपी को डैमेज करने का मौका भी नहीं छोड़ना चाहेगी.

गाड़ी पटरी पर लाने की चुनौती...

डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता एमके स्टालिन राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा सत्र बुलाने और पलानीसामी को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश देने की मांग की है. स्टालिन का कहना है कि ताजा घटनाक्रम के बाद राज्य में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट पैदा हो गया है - क्योंकि पलानीस्वामी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार अपना बहुमत खो चुकी है. स्टालिन ने कर्नाटक का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसी हालत होने पर एक बार वहां के राज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था.

इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद तमिलनाडु में मामला वास्तव में फंसा नजर आ रहा है. बीजेपी के दबाव में दोनों गुटों ने आपस में समझौता कर तो लिया लेकिन उन्हें दिनाकरन के समर्थकों के खिलाफ चले जाने का अंदाजा शायद न रहा हो, वरना रणनीति में सेफगार्ड के भी कुछ इंतजाम जरूर किये गये होते.

पनीरसेल्वम कैंप की मांग पर मुख्यमंत्री पलानीसामी ने जयललिता के इलाज और मौत की परिस्थितियों की न्यायिक जांच के आदेश तो दे ही दिये थे, अब शशिकला और दिनाकरन को पूरी तरह किनारे लगाने की तैयारी थी. ऐन वक्त पर दिनाकरन समर्थकों को रिजॉर्ट पहुंचा दिये जाने के बाद बाजी पलटी दिखने लगी है.

कितने पानी में हैं पलानीसामी

234 सीटों वाली तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता के निधन से एक सीट खाली है जिस पर उपचुनाव हो रहा था लेकिन घपलों के चलते रद्द कर दिया गया. फिलहाल 233 में एआईएडीएमके के पास कुल 134 विधायक हैं, जबकि विपक्षी डीएमके के 89 विधायक हैं. गठबंधन के चलते डीएमके के पक्ष में कांग्रेस के 8 और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की एक सीट है.

स्टालिन का दावा है कि तीन और विधायक पलानीसामी का साथ छोड़ रहे हैं. इस हिसाब से देखें तो पुड्डुचेरी रिजॉर्ट भेजे गये दिनाकरन के 19 समर्थक और ये तीन मिलकर 22 हो जाते हैं. 134 में से 22 के कम हो जाने पर पलानीसामी के पक्ष में 112 विधायक ही बचते हैं. बहुमत का आंकड़ा 117 है अगर वाकई ऐसा है तो पलानीसामी के पक्ष में आंकड़ा कम हो जा रहा है.

बीजेपी की राह में रोड़े

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का 22 से 24 अगस्त तक तमिलनाडु दौरा तय था, लेकिन उसे रद्द कर दिया गया. माना जा रहा है कि मोदी सरकार के कैबिनेट में फेरबदल के चलते ऐसा किया गया. खबर है कि दिल्ली में डटे शाह बीजेपी के मंत्रियों और संगठन के नेताओं को ठोक-बजा के देख रहे हैं. ये मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी विस्तार और फेरबदल माना जा रहा है जिसमें कई मंत्रियों के संगठन में आने और संगठन से कुछ नेताओं के मंत्री बनने की संभावना जतायी गयी है. मोदी सरकार में फिलहाल 71 मंत्री हैं इसलिए संख्या के ज्यादा बढ़ने का स्कोप कम ही है.

इसी दौरान जेडीयू कोटे से दो मंत्री और एआईएडीएमके से तीन की संभावना जतायी गयी है. संभव है मंत्रिमंडल विस्तार होने तक तमिलनाडु की मामला सुलझ जाये. एआईएडीएमके के एनडीए में आ जाने से बीजेपी संसद में और मजबूत हो जाती. फिलहाल एआईएडीएमके के 50 सांसद हैं - 37 लोक सभा में और 13 राज्य सभा में. फिलहाल ये होल्ड पर आ गया है.

सियासत के इस खेल में बीजेपी के डबल रोल देखने को मिले हैं. बिहार में उस पर महागठबंधन और कुछ हद तक जेडीयू को भी तोड़ने का इल्जाम लगा तो तमिलनाडु में उसे टूटे दलों, या दिलों जो भी समझें, को जोड़ते भी देखा गया - लेकिन इसी बीच रफ्तार पकड़ चुकी बीजेपी की गाड़ी अचानक डिरेल हो गयी - और अब हादसे से उबरने में राहत और बचाव दल जुटे हुए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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