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निशाने पर आतंक के सौदागर

    • जगत सिंह
    • Updated: 29 मई, 2017 05:00 PM
  • 29 मई, 2017 05:00 PM
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बुरहान वानी की मौत के बाद हिज्बुल की कमान संभालने वाले कमांडर सबज़ार भट्ट के साथ भी वहीं हुआ जो बुरहान के साथ हुआ था.

कश्मीर के त्राल में चल रहे एनकाउंटर में टॉप हिज्बुल कमांडर सबज़ार भट्ट मारा गया, सबज़ार ने बुरहान वानी की मौत के बाद हिज्बुल की कमान संभाली थी. पिछले साल 8 जुलाई को सिक्योरिटी फोर्सेज ने कश्मीर में मिलिटेंट्स के सरगना बुरहान वानी को मार गिराया था. और उसके बाद घाटी में लगातार चरमपंथियों के द्वारा हिंसा की वारदातों को अंजाम देने में काफी बढ़ोतरी भी हुई, लेकिन भारतीय सैन्य बालों ने भी घाटी से आतंकवाद को समूल नष्ट करने का बीड़ा उठाया. और एनकांउटर में ढेर आतंकवादी हिज्बुल कमांडर सबज़ार अहमद बट उसी क्रम में जुड़ा नया नाम है.

बुरहान वानी के साथ सबज़ार भट्ट

जम्मू कश्मीर में पुलवामा जिले के त्राल इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच फायरिंग उस समाय शुरू हुई जब शुक्रवार रात सेना के एक गश्ती दल पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद सेना ने वहां भी घेराबंदी कर रखी थी. बुरहान के बाद हिज्बुल मुजाहिदीन की कमान संभालने वाले सबज़ार सहित सात आतंकवादी त्राल के सेमोह गांव में एक घर के अंदर छिपे थे. इस दौरान सेना की गोलीबारी में सबज़ार मारा गया.

एक पुलिस अध‍िकारी के अनुसार 42 राष्ट्रीय राइफल्स के एक गश्ती दल पर त्राल के सइमूह गांव में रात करीब 9 बजे संदिग्ध आतंकियों द्वारा अचानक फायरिंग शुरू कर दी गई. इसके बाद घटनास्थल के आसपास के मकानों को खाली करा दिया गया और सेना ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया. मदद के लिए सेना के जवानों की और टुकड़‍ियां वहां भेजी गईं.

पिछले साल हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर वादी सुलग रही है. उसके बाद से उरी के सेना कैंप पर हमला सबसे बड़ी आतंकी वारदात थी. लेकिन आतंकियों और सेना के बीच तकरीबन रोज संघर्ष हो रहा है.

कश्मीर के त्राल में चल रहे एनकाउंटर में टॉप हिज्बुल कमांडर सबज़ार भट्ट मारा गया, सबज़ार ने बुरहान वानी की मौत के बाद हिज्बुल की कमान संभाली थी. पिछले साल 8 जुलाई को सिक्योरिटी फोर्सेज ने कश्मीर में मिलिटेंट्स के सरगना बुरहान वानी को मार गिराया था. और उसके बाद घाटी में लगातार चरमपंथियों के द्वारा हिंसा की वारदातों को अंजाम देने में काफी बढ़ोतरी भी हुई, लेकिन भारतीय सैन्य बालों ने भी घाटी से आतंकवाद को समूल नष्ट करने का बीड़ा उठाया. और एनकांउटर में ढेर आतंकवादी हिज्बुल कमांडर सबज़ार अहमद बट उसी क्रम में जुड़ा नया नाम है.

बुरहान वानी के साथ सबज़ार भट्ट

जम्मू कश्मीर में पुलवामा जिले के त्राल इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच फायरिंग उस समाय शुरू हुई जब शुक्रवार रात सेना के एक गश्ती दल पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद सेना ने वहां भी घेराबंदी कर रखी थी. बुरहान के बाद हिज्बुल मुजाहिदीन की कमान संभालने वाले सबज़ार सहित सात आतंकवादी त्राल के सेमोह गांव में एक घर के अंदर छिपे थे. इस दौरान सेना की गोलीबारी में सबज़ार मारा गया.

एक पुलिस अध‍िकारी के अनुसार 42 राष्ट्रीय राइफल्स के एक गश्ती दल पर त्राल के सइमूह गांव में रात करीब 9 बजे संदिग्ध आतंकियों द्वारा अचानक फायरिंग शुरू कर दी गई. इसके बाद घटनास्थल के आसपास के मकानों को खाली करा दिया गया और सेना ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया. मदद के लिए सेना के जवानों की और टुकड़‍ियां वहां भेजी गईं.

पिछले साल हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर वादी सुलग रही है. उसके बाद से उरी के सेना कैंप पर हमला सबसे बड़ी आतंकी वारदात थी. लेकिन आतंकियों और सेना के बीच तकरीबन रोज संघर्ष हो रहा है.

कौन है सबज़ार

- 25 वर्ष के करीब उम्र का आतंकवादी जो 2010 से आतंकी बना.

- बुरहान वानी के बचपन का दोस्त और विश्वासपात्र सबज़ार त्राल का रहने वाला था. इसके हाथ में  हिज़्बुल की कमान थी, और सीमा पर उसके काफी संपर्क थे. उसे डॉन के नाम से भी जाना जाता है.

- इसे सोशल मीडिया का भी जानकर माना जाता है, जिसके जिम्मे अपनी ताकत को सोशल मीडिया द्वारा बढ़ाने की जिम्मेदारी थी.

- हिज़्बुल मुजाहिदीन की ताकत पिछले 10 महीने में बढ़ी जिसके लिए सबज़ार ही जिम्मेदार माना जाता है, इसने कम उम्र के भटके हुए स्थानीय युवकों को अपने संगठन में जोड़ा.

- शुरुआती वीडियो में उसे बुरहान के साथ देखा जाता रहा है.

- सबज़ार पर आर्म्ड फोर्स के हथियार छीनने का भी आरोप है, और जिसका इस्तेमाल वो उन्हीं के खिलाफ करता था.  

बुरहान वानी का जो हश्र हुआ, उसके बाद उसी की राह पर चलने वालों का अंजाम यही होगा ये हमारी सेना ने बता दिया है. कश्मीर के इस बड़े आतंकी सबज़ार की मौत के बाद ये माना जा सकता है कि अब घाटी में चरमपंथियों की कमर टूट जाएगी, और भारतीय सरकार और सैनिकों के हौसले और बुलंद होंगे. सबज़ार की मौत निश्चित ही घाटी में शहीद हुए सैनिकों के लिए एक श्रद्धांजलि है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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