• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

स्वामी-जेटली कोल्ड वॉर पर बीजेपी और संघ चुप क्यों?

    • रीमा पाराशर
    • Updated: 24 जून, 2016 12:14 PM
  • 24 जून, 2016 12:14 PM
offline
राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. यही बीजेपी में भी हुआ. पार्टी और सरकार में जेटली विरोधियों ने स्वामी का खुलकर समर्थन किया. आज नौबत ये है कि जेटली अपने मंत्रालय के अफसरों के बचाव में अकेले उतरे हुए हैं और पार्टी हो या संघ चुप रहकर गेम देख रही है.

केंद्र सरकार में नंबर 2 और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी के बीच चल रही कोल्ड वॉर अब खुलकर सामने आ गई है. ज़्यादातर मामलों पर सरकार के बचाव में उतरने वाले अरुण जेटली के ट्वीट ने ये साफ़ कर दिया कि स्वामी के साथ वो आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. जेटली ने ट्वीट किया कि "वित्त मंत्रालय के एक अनुशासित अफसर के खिलाफ अनुचित और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं."

दरअसल जेटली को ये जवाब इसलिए देना पड़ा क्योंकि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहाकर अरविंद सुब्रमण्यन के बाद स्वामी ने आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास पर हमला बोला. किसी ने ट्विटर पर लिखा कि शक्तिकांता दास ने देश की सेवा बहुत कर ली, अब उन्हें वापस तमिलनाडु भेज देना चाहिए. इस पर स्वामी ने लिखा कि मेरे ख्याल से उनके खिलाफ एक केस लंबित है जिसमें उन्होंने पी चिदंबरम को महाबलिपुरम में अहम जगहों पर जमीन हथियाने में मदद की थी.

 स्वामी का निशाना जेटली हैं? 

स्वामी का एक के बाद एक वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों पर मोर्चा खोलना ज़ाहिर है वित्त मंत्री को नागवार गुज़रा और वो भी ट्विटर वॉर में कूद पड़े.

लेकिन इस पूरे मामले के बाद बीजेपी और सरकार के भीतर चर्चा शुरू है कि क्यों स्वामी वित्त मंत्रालय के बहाने सीधे अरुण जेटली के साथ दो दो हाथ करने के मूड में हैं. आखिर जिस मंत्री को सरकार और पार्टी में नंबर 2 माना जाता है उसके खिलाफ बोलने पर भी स्वामी पर पार्टी चुप क्यों है?

यह भी पढ़ें-

केंद्र सरकार में नंबर 2 और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी के बीच चल रही कोल्ड वॉर अब खुलकर सामने आ गई है. ज़्यादातर मामलों पर सरकार के बचाव में उतरने वाले अरुण जेटली के ट्वीट ने ये साफ़ कर दिया कि स्वामी के साथ वो आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. जेटली ने ट्वीट किया कि "वित्त मंत्रालय के एक अनुशासित अफसर के खिलाफ अनुचित और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं."

दरअसल जेटली को ये जवाब इसलिए देना पड़ा क्योंकि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहाकर अरविंद सुब्रमण्यन के बाद स्वामी ने आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास पर हमला बोला. किसी ने ट्विटर पर लिखा कि शक्तिकांता दास ने देश की सेवा बहुत कर ली, अब उन्हें वापस तमिलनाडु भेज देना चाहिए. इस पर स्वामी ने लिखा कि मेरे ख्याल से उनके खिलाफ एक केस लंबित है जिसमें उन्होंने पी चिदंबरम को महाबलिपुरम में अहम जगहों पर जमीन हथियाने में मदद की थी.

 स्वामी का निशाना जेटली हैं? 

स्वामी का एक के बाद एक वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों पर मोर्चा खोलना ज़ाहिर है वित्त मंत्री को नागवार गुज़रा और वो भी ट्विटर वॉर में कूद पड़े.

लेकिन इस पूरे मामले के बाद बीजेपी और सरकार के भीतर चर्चा शुरू है कि क्यों स्वामी वित्त मंत्रालय के बहाने सीधे अरुण जेटली के साथ दो दो हाथ करने के मूड में हैं. आखिर जिस मंत्री को सरकार और पार्टी में नंबर 2 माना जाता है उसके खिलाफ बोलने पर भी स्वामी पर पार्टी चुप क्यों है?

यह भी पढ़ें- आखिर क्या और क्यों चाहते हैं स्वामी

दरअसल, इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब स्वामी को बीजेपी ने पार्टी में शामिल करने का मन बनाया जिसका अरुण जेटली ने खुलकर विरोध किया. सूत्रों की मानें तो स्वामी के पक्ष में आरएसएस का पूरा वोट था क्योंकि ना सिर्फ स्वामी राम मंदिर मुद्दे पर वकालत करते रहे बल्कि गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलना भी एक वजह रहा.

लेकिन कहानी तब दिलचस्प हुई जब सरकार में एक वरिष्ठ मंत्री ने अरुण जेटली के ना चाहते हुए भी स्वामी का समर्थन करना शुरू किया. यहां तक की स्वामी के सामने जेटली से उन्हें राज्यसभा सांसद बनाये जाने पर राय मांगी गई जिसका जेटली ने विरोध किया.

जेटली ने ये कहकर स्वामी को बीजेपी सीट पर राज्यसभा में भेजने से इनकार किया की स्वामी के बोल रोज़ाना सरकार को मुश्किल में डालेंगे. पार्टी और सरकार को उनके बयानों पर सफाई देनी पड़ेगी.

यह भी पढ़ें- बीजेपी के ब्रह्मास्त्र स्वामी बोले, अगला टारगेट - केजरीवाल सरकार

लेकिन राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और यही बीजेपी में भी हुआ. पार्टी और सरकार में जेटली विरोधियों ने स्वामी का खुलकर समर्थन किया और आज नौबत ये है की वित्त मंत्री होने के नाते जैटली अपने मंत्रालय के अफसरों के बचाव में अकेले उतरे हुए हैं और पार्टी हो या संघ चुप रहकर गेम देख रही है.

 इस कोल्ड वॉर पर बीजेपी और संघ की चुप्पी के मायने क्या है..

सूत्रों के मुताबिक संघ ने स्वामी बनाम जेटली की इस लड़ाई को ठंडा करने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह को स्वामी से बात करने को कहा था जिसके बाद बुधवार को स्वामी ने राजनाथ के घर जाकर उनसे मुलाकात भी की. स्वामी को राजनाथ करीबी भी माना जाता है लेकिन गुरुवार को सुबह से स्वामी ने फिर इस मसले पर एक के बाद एक ट्वीट करके साफ़ कर दिया की वो किसी के समझाने में आने वाले नहीं है.

फ़िलहाल अरुण जेटली के जवाब से ये साफ़ है की अब दोनों के बीच की ये लड़ाई उस मुकाम पर आ गई है जिसमे पार्टी और प्रधानमन्त्री ज़्यादा दिन चुप रह पाएंगे ऐसा लगता नहीं. क्योंकि विपक्ष से पहले खुद अरुण जेटली ये जवाब ज़रूर मांगेगे की आखिर स्वामी किसकी शह पर ये सब कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- स्वामी को चाहिए ये 7 पद, तुरंत

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲