• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

भाजपा ने इस ऑफिसर के साथ भी कर दिया कांग्रेस जैसा बर्ताव...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 16 अप्रिल, 2017 12:50 PM
  • 16 अप्रिल, 2017 12:50 PM
offline
ये बात है प्रदीप कास्नी की जो हरियाणा सरकार के कर्मचारी हैं. खास बात ये है कि इनके 13 ट्रांसफर भाजपा की सरकार में हुए हैं पिछले 2.5 साल के अंतराल में.

एक सरकारी अफसर भला अपने कार्यकाल में कितने ट्रांसफर झेल सकता है? या यूं कहें कि कितनी बार अनचाहे ट्रांसफर उसपर थोपे जा सकते हैं? अगर आपसे कहें कि एक IAS अफसर अपने 33 साल के करियर में 68 बार ट्रांसफर झेल चुका है तो आप क्या कहेंगे?

ये बात है प्रदीप कास्नी की जो हरियाणा सरकार के कर्मचारी हैं. खास बात ये है कि इनके 13 ट्रांसफर भाजपा की सरकार में हुए हैं पिछले 2.5 साल के अंतराल में.

अब कास्नी को हरियाणा खादी एवं ग्रामोद्योग में चीफ एक्जिक्यूटिव बना दिया गया है.

प्रदीप कास्नी को एक असाइनमेंट से सिर्फ कुछ ही घंटों में हटा दिया गया था.हुड्डा सरकार के खिलाफ किया था काम...

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में 5 कमिश्नरों की बहाली को रोक दिया था और राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे. ऐसा करने के 9 दिन के अंदर ही कास्नी का ट्रांसफर कर दिया गया था.

कास्नी को अपनी रैंक से काफी छोटे काम के लिए ट्रांसफर किया गया था. पहले वो हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी थे और उसके बाद उन्हें कमांड एरिया डेवलपमेंट एजेंसी के लिए ट्रांसफर कर दिया गया था.

कास्नी के ट्रांसफर के बाद भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उन पांचों कमिश्नरों को शपथ दिलाई थी. कास्नी का ट्रांसफर तब किया गया था जब कप्तान सिंह सोलंकी ने 6 कमिश्नरों की बहाली पर सवाल उठाया था. कास्नी को इसकी रिपोर्ट देनी थी और सरकार ने उन्हें पहले ही ट्रांसफर कर दिया था. ये 2014 की बात थी, लेकिन उसके बाद भी कास्नी के ट्रांसफर का सिलसिला रुका नहीं.

क्या कहते हैं नियम-

नियमों के अनुसार जब तक कोई जरूरी बात ना हो तब तक किसी एक IAS ऑफिसर को कम से कम 2 साल के लिए एक जगह पोस्टिंग मिलती है, लेकिन कास्नी...

एक सरकारी अफसर भला अपने कार्यकाल में कितने ट्रांसफर झेल सकता है? या यूं कहें कि कितनी बार अनचाहे ट्रांसफर उसपर थोपे जा सकते हैं? अगर आपसे कहें कि एक IAS अफसर अपने 33 साल के करियर में 68 बार ट्रांसफर झेल चुका है तो आप क्या कहेंगे?

ये बात है प्रदीप कास्नी की जो हरियाणा सरकार के कर्मचारी हैं. खास बात ये है कि इनके 13 ट्रांसफर भाजपा की सरकार में हुए हैं पिछले 2.5 साल के अंतराल में.

अब कास्नी को हरियाणा खादी एवं ग्रामोद्योग में चीफ एक्जिक्यूटिव बना दिया गया है.

प्रदीप कास्नी को एक असाइनमेंट से सिर्फ कुछ ही घंटों में हटा दिया गया था.हुड्डा सरकार के खिलाफ किया था काम...

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में 5 कमिश्नरों की बहाली को रोक दिया था और राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे. ऐसा करने के 9 दिन के अंदर ही कास्नी का ट्रांसफर कर दिया गया था.

कास्नी को अपनी रैंक से काफी छोटे काम के लिए ट्रांसफर किया गया था. पहले वो हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी थे और उसके बाद उन्हें कमांड एरिया डेवलपमेंट एजेंसी के लिए ट्रांसफर कर दिया गया था.

कास्नी के ट्रांसफर के बाद भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उन पांचों कमिश्नरों को शपथ दिलाई थी. कास्नी का ट्रांसफर तब किया गया था जब कप्तान सिंह सोलंकी ने 6 कमिश्नरों की बहाली पर सवाल उठाया था. कास्नी को इसकी रिपोर्ट देनी थी और सरकार ने उन्हें पहले ही ट्रांसफर कर दिया था. ये 2014 की बात थी, लेकिन उसके बाद भी कास्नी के ट्रांसफर का सिलसिला रुका नहीं.

क्या कहते हैं नियम-

नियमों के अनुसार जब तक कोई जरूरी बात ना हो तब तक किसी एक IAS ऑफिसर को कम से कम 2 साल के लिए एक जगह पोस्टिंग मिलती है, लेकिन कास्नी के केस में उन्हें सिर्फ कुछ घंटों के लिए फाइनेंस डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी बनाया गया था.

पहले भी एक अफसर के साथ हुआ है ऐसा...

आपको बहुचर्चित खेमका केस तो याद ही होगा. अगर नहीं पता तो आपको बता दूं कि अशोक खेमका वही हरियाणा सरकार का अफसर है जो 2012 में चर्चा में आया था. कारण था उस समय खेमका ने रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच की जमीन की डील को रोक दिया था.

खेमका ने अपने 25 साल के कार्यकाल में 47 ट्रांसफर देख लिए हैं. रॉबर्ट वाड्रा को एक्सपोज करते ही खेमका को जान से मारने की धमकियां मिलने लगी थीं इसके साथ ही उनके खिलाफ दो चार्जशीट भी दायर की गई थी जिसमें से हरियाणा सरकार ने उन्हें हाल ही में सीड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन मामले में क्लीनचिट दी है.

ये भी पढ़ें-

वसुंधरा का करारा जवाब, कांग्रेस में मातम मनाने वाला भी कोई नहीं

क्या राजनीति में सफलता के लिए गाली गलौज में पारंगत होना भी जरुरी है ?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲